राहुल गांधी कांग्रेस के ‘दगे कारतूसों’ की करेंगे छुट्टी ? वैसे खुद में भी है ‘पोटाश’ कम

कांग्रेस में इन दिनों राहुल गांधी की ताजपोशी की तैयारियां चल रही हैं। वो चाहते हैं क‍ि ताजपोशी से पहले कांग्रेस पार्टी का कायाकल्‍प किया जाए।

New Delhi Oct 12 : माना जा रहा है कि इसी महीने के अंत तक राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी का राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बना दिया जाएगा। वो अपनी मम्‍मी की जगह इस गद्दी पर बैठेंगे और पार्टी का कामकाज संभालेंगे। लेकिन, इससे पहले वो चाहते हैं कि पार्टी का मेकओवर हो जाए। दगे कारतूसों की छुट्टी कर दी जाए। कांग्रेस पार्टी में नेताओं की कोई कमी नहीं हैं। लेकिन, दमदार नेता एक भी नहीं दिखता है। वैसे तो राजनैतिक पोटाश की कमी राहुल गांधी के भीतर भी खूब है।  लेकिन, फिर भी उनके नाम के आगे गांधी जुड़ जाने से कम से कम पार्टी के भीतर इसकी कोई जरुरत महसूस नहीं होती है। बिना पोटाश वाले राहुल गांधी चाहते हैं कि टॉप लेवल से लेकर ग्राउंड तक सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं में सियासत का बारूद भर दिया जाए।

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शायद यही वजह है कि उन्‍होंने अपना रंग, रूप और तेवर तीनों ही चीजों को बदल लिया है। ये बदलाव राहुल गांधी के अंदर उस वक्‍त से देखने को मिल रहा है जब से वो अमेरिका रिटर्न हुए हैं। राहुल गांधी खुद ग्राउंड पर काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गढ़ में घुसकर उन्‍हें चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं। उनके साथ जुड़ी युवा नेताओं की टीम भी काफी सक्रिय हो उठी है। बुजुर्ग नेता उनके साथ कम ही नजर आते हैं। दरअसल, राहुल गांधी चाहते हैं कि जिस तरह से बीजेपी ने 2014 में कांग्रेस पार्टी को घेरा था। उसी तर्ज पर 2019 में कांग्रेस भी भारतीय जनता पार्टी को घेरे। सोशल मीडिया से लेकर जमीन तक पर बीजेपी को पटखनी दी जाए। राहुल गांधी के सामने वक्‍त कम है और चुनौती बढ़ी है। फिर भी वो इसे पूरा करना चाहते हैं।

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दरअसल, राहुल गांधी के जमीन पर उतरने के कई मतलब हैं। एक तो वो अपने बुजुर्ग और एसी रूम में बैठकर पॉलिटिक्‍स का ज्ञान बघारने वाले नेताओं को ये संदेश देना चाहते हैं कि वो भी जमीन पर उतरे और काम करें। जनता से संवाद बढ़ाएं। दूसरे पार्टी के भीतर अगर नेतृत्‍व के नाम पर देखेंगे तो सिर्फ सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही नजर आएंगे। सोनिया गांधी बीमारी की वजह से पब्लिक कार्यक्रमों में हिस्‍सा लेने से कतराती हैं। यही वजह है कि राहुल गांधी की ताजपोशी भी जल्‍दी ही हो रही है। इसके साथ ही राहुल अपनी पार्टी के कुछ सुकुआर (कामचोर) नेताओं पर कार्रवाई कर भी ये संदेश दे सकते हैं कि उन्‍हें पार्टी के भीतर दगे हुए कारतूसों की कतई जरूरत नहीं है।  

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इसके अलावा कांग्रेस पार्टी को वेंटीलेटर से निकालने के लिए और उसमें जान फूंकने के लिए कई मोर्चो पर एक साथ काम किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर पार्टी की सक्रियता को बढ़ाया जाएगा। प्रवक्‍ताओं की फौज तैयार की जाएगी। इसके अलावा कम्‍युनिकेशन डिपार्टमेंट में भी बदलाव की तैयारी है। प्रवक्‍ताओं की टीम को बनाने से पहले इस बात का ध्‍यान रखा जाएगा कि कांग्रेस के प्रवक्‍ता बीजेपी को तर्कसंगत तरीके से परास्‍त कर सकें। राहुल गांधी कुछ और नए प्रयोगों के भी मूड में हैं। देखना दिलचस्‍प होगा कि 2019 से पहले क्‍या वो वाकई बाहुबलि की भूमिका में नजर आ पाएंगे या फिर अपनी पप्‍पू वाली इमेज को ही बरकरार रखेंगे। जंग इमेज बदलने की ही है। पार्टी की भी और अपनी भी।