रोहिंग्या मुसलमानों को राहत : ‘राष्ट्र सुरक्षा’ पर भारी पड़ा ‘मानवाधिकार’
रोहिंग्या मुसलमानों को देश की सबसे बड़ी अदालत से फौरी राहत मिल गई है। अगली सुनवाई तक ये मुसलमान वापस नहीं भेजे जाएंगे। जानिए पूरा मामला।
New Delhi Oct 13 : रोहिंग्या मुसलमान देश के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। जहां एक ओर केंद्र सरकार रोहिंग्या शरणार्थियों को देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए खतरा मान रही है वहीं दूसरी ओर इन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत फौरी राहत मिल चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई तक इन मुसलमानों को वापस भेजने पर रोक लगा दी है। 21 नवंबर को इस केस की अगली सुनवाई होगी। अब ये मामला राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम मानवाधिकार का बन गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को अपने-अपने तर्क तैयार कर अदालत के समक्ष रखने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई के दौरान कहा कि मानवीय मूल्य हमारे संविधान का आधार है। लेकिन, देश की सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा भी बहुत जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि रोहिंग्या शरणार्थियों में पीडि़त महिलाओं और बच्चों की भी अनदेखी नहीं की जा सकती है। इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार को आदेश दिया है कि वो अगली सुनवाई तक इन लोगों को वापस ना भेजें। रोहिंग्या शरणार्थियों ने ही सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें इन लोगों को अवैध शरणार्थी करार देते हुए वापस म्यांमार जाने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच इस केस की सुनवाई कर रही है। जिसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा भी शामिल हैं। इस खंडपीठ में दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं। अदालत इसके सभी पहलुओं पर सुनवाई करेगी।
जबकि केंद्र सरकार नहीं चाहती कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल दे। केंद्र सरकार ने जो हलफनामा दाखिल किया है उसमें कहा गया है कि ये मामला कार्यपालिका का है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप ना करे। इसके साथी ही रोहिंग्या मुसलमानों को देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए खतरा भी बताया गया है। सरकार का कहना है कि हम इन लोगों को शरण नहीं दे सकते हैं। ये लोग शरणार्थी नहीं घुसपैठिए हैं। दरसअल, केंद्र सरकार को जो खुफिया जानकारी मिली है उसके मुताबिक रोहिंग्या शरणार्थी आतंकी संगठनों के प्रभाव में हैं। म्यांमार में इनका एक आतंकी संगठन भी सक्रिय है। जिसका नाम आराकान रोहिंग्या रक्षा सेना है। इसके तार पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से भी जुड़े हैं।
आराकान रोहिंग्या रक्षा सेना ने ही म्यांमार में उत्पात मचाया हुआ है। वो म्यांमार के सुरक्षाबलों को अपना निशाना बनाते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि बड़े पैमाने पर रोहिंग्या मुसलमान परेशान हैं। जिन्हें ना तो म्यांमार अपना रहा है और ना ही बांग्लादेश और बर्मा। लेकिन, ये बात भी सच है कि शरणार्थियों की भीड़ में ज्यादातर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग ही दिखाई पड़ते हैं। युवाओं की भीड़ शरणार्थी कैंपों से गायब है। ये देश के लिए बड़ी चुनौती है। अदालत के सामने भी ये राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम मानवाधिकार की चुनौती के तौर पर सामने आए हैं। देखना होगा कि 21 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट इस केस में क्या कुछ कहता है। इन मुसलमानों को भारत में शरण मिलती है या फिर इन्हें वापस जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट में दलीलें भावनात्मक पहलुओं पर नहीं, बल्कि कानूनी बिंदुओं पर आधारित होगी।