इतना गुरूर अच्छा नहीं, जनता को ललकारना बंद करिए अरुण जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली कहते हैं कि जीएसटी पर जनता किसके साथ है ये गुजरात चुनाव से पता चलेेगा, गुरदासपुर की जनता का जवाब शायद सुन नहीं पाए हैं।

New Delhi, Oct 15: ये खूब है, फैसले आप करिए, नीतियां आप बनाइए, और उन नीतियो, फैसलों पर जब विरोधी सवाल खड़ा करे तो आप कहिए कि जवाब जनता देगी, ये किस बात का घमंड है, कैसा गुरूर है, जो अब मोदी सरकार के मंत्रियों पर दिखाई देने लगा है। ये ठीक है कि जनता ने नोटबंदी के फैसले का समर्थन किया, घंटों एटीएम और बैंक की लाइन में लगकर सब्र के साथ सरकार का साथ दिया। जनता साथ दे रही है तो इसका मतलब ये थोड़े न होता है कि आप जनता को निचोड़ लीजिए। नोटबंदी से जनता उबर भी नहीं पाई थी कि आप जीएसटी ले कर चले आए, जल्दबाजी में बिना पूरी तैयारी के नोटबंदी की तरह जीएसटी का फैसला भी जनता पर थोप दिया गया। अब जनता के सब्र का बांध टूट रहा है, वो सरकार का साथ तो दे रही है लेकिन उस से उसे कोई फायदा नही हो रहा है।

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इसके बाद भी मोदी सरकार के मंत्री लगातार कह रहे हैं कि जनता उनके साथ है, नोटबंदी और जीएसटी पर विरोधी सवाल उठा रहे हैं तो जवाब देने के लिए अरुण जेटली तो केंद्र सरकार में वित्त मंत्री हैं, इन दोनों फैसलों में उनकी अहम भूमिका है, अरुण जेटली ने कहा कि गुजरात का विधानसभा चुनाव ये बता देगा कि जनता किसके साथ है, अरे भाई जनता तो आपके साथ है ही, क्यों बार बार उसकी वफादारी पर शक कर रहे हैं। जेटली कहते हैं कि यूपी चुनाव में जनता ने बताया था कि वो किसके साथ है, अब गुजरात चुनाव में ये साफ हो जाएगा कि जीएसटी के बाद जनता किसके साथ है। जीएसटी और नोटबंदी का फैसला करने से पहले जनता से तो नहीं पूछा था, वो तो अचानक लागू कर दिया गया था।

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हां ये जरूर है कि देश के नाम पर जनता ने दोनों फैसलों को स्वीकार कर लिया है। तमाम परेशानियां झेलीं, मगर उस से फायदा क्या हुआ, जीएसटी के कारण छोटे कारोबारियों को परेशानी हो रही है। जीएसटी को लेकर स्थिति साफ नहीं है, कई कन्फ्यूजन हैं। कहां लगना है, कितना लगना है, कौन किस स्लैब में आएगा, कब तक दाखिल करना है, मगर सरकार को इस से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा है। वो तो जनता के दम पर विरोधियों को पस्त करने में लगी हुई है, वो भूल रही है कि इस से जनता पस्त होती जा रही है। रोजगार का अकाल पड़ गया है, अर्थव्यवस्था पटरी से उतरती दिख रही है। सवाल पूछो तो कहा जाता है कि जनता जवाब देगी।

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अगर जनता का ही जवाब सुनना है तो अरुण जेटली को पंजाब की जनता का जवाब सुनना चाहिए। गुरदासपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार को कांग्रेस के प्रत्याशी ने लगभग दो लाख वोटों से हरा दिया है। ये जवाब काफी नहीं है तो केरल में एक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी जनता ने कुछ ऐसा ही जवाब दिया है। वहां पर बीजेपी चौथे नंबर पर रही। क्या इन दो राज्यों की जनता का जवाब सुनेंगी मोदी सरकार, नोटबंदी और जीएसटी के खिलाफ जनता का गुस्सा बढ़ रहा है, देशभक्ति, राष्ट्रवाद, राम मंदिर, न्यू इंडिया इन सारी बातों से जनता का पेट नहीं भरता है, आपने 5 साल मांगे थे, जनता ने दिए, लेकिन अब आपकी बारी है कि जनता की झोली में वो डालें जिसकी उसे उम्मीद है, नहीं तो आपकी झोली खाली रह जाएगी।