बीजेपी को पहली बार लगा GST का डर, एक हार से मोदी के माथे पर पसीना

2014 के बाद पहली बार नरेंद्र मोदी और अमित शाह के माथे पर पसीना आया है, जीएसटी का खौफ बीजेपी को सता रहा है, कारोबारियों की नाराजगी भारी पड़ रही है।

New Delhi, Oct 16: बीजेपी ने जो रणनीति बनाई थी वो अब फेल होती दिख रही है। आखिर जीएसटी और नोटबंदी जैसे फैसलों का खौफ बीजेपी पर दिखाई देने लगा है। ये पहली बार है जब 2014 में चुनाव जीतने के बाद मोदी और शाह के माथे पर पसीना आ रहा है, इस से पहले कई सियासी जंग इन दोनों की जोड़ी जीत चुकी है, लेकिन जैसे जैसे 2019 पास आता जा रहा है बीजेपी के खेमे में बेचैनी बढ़ती जा रही है। हो सकता है कि बीजेपी ने 2019 के लिए कोई और रणनीति बना रखी है, लेकिन वर्तमान में जो सूरते हाल दिख रहे हैं वो बीजेपी के लिए डरावने है। बीजेपी चारों तरफ से घिरती दिख रही है। गुरदासपुर उप चुनाव ने तो आईना ही दिखा दिया है।

Advertisement

बीजेपी और मोदी की सबसे बड़ी चिंता जीएसटी के असर की है, जिस तरह से देश के कारोबारियों पर जीएसटी की मार पड़ी है उस से वो काफी नाराज हैं। कारोबारियों की नाराजगी का नुकसान बीजेपी को हेने भी लगा है। बीजेपी भले ही गुजरात चुनाव को लेकर ज्यादा परेशान न हो लेकिन ये नहीं भूलना चाहिए कि गुजरात में कारोबारियों का बड़ा समूह रहता है। कारोबार गुजरातियों के लिए सरकारी नौकरी से बढ़कर है। जिस तरह से हाल ही में कमल का फूल हमारी भूल वाले बिल सोशळ मीडिया पर छाए थे, वो बीजेपी के लिए सही नहीं है। जीएसटी के कारण कारोबारियों को हो रही तकलीफ का आंकलन करने के लिए अब पार्टी ने नया प्लान तैयार किया है।

Advertisement

बीजेपी के तमाम बड़े नेता और मंत्री कारोबारियों से मुलाकात करेंगे, उनसे मिलकर उनकी मुश्किलों के बारे में जानेंगे। उनकी समस्याएं सुनकर एक रिपोर्ट बनाएंगे और उसे वित्त मंत्रालय के हवाले किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट पर वित्त मंत्रालय फौरन कार्रवाई करेगा और जीएसटी काउंसिल के जरिए उनकी समस्याओं को निपटाया जाएगा। बताया जा रहा है कि इस प्लान का खाका तैयार हो गया है, और जल्द ही इसे अमल में लाया जाएगा। ये साफ है कि अब मोदी को पता चल गया है कि जीएसटी का दांव उल्टा पड़ गया है। इसका सियासी फायदा विरोधी उठा रहे हैं। कभी बीजेपी को उद्योगपतियों की पार्टी कहा जाता था, लेकिन अब वही तबका उस से दूर होता दिख रहा है।

Advertisement

जीएसटी से छोटे और मझोले कारोबारियों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। इनको रिटर्न भरने से लेकर माल खरीदने और उसे बेचने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब बीजेपी को लग रहा है कि 2019 से पहले इनकी नाराजगी को दूर करना बहुत जरूरी हो गया है। नाराज काारोबारी वर्ग को मनाया नहीं गया या फिर उनको राहत नहीं दी गई तो सियासी नुकसान हो सकता है। लेकिन इस कोशिश में बीजेपी पर फिर से उद्योगपतियों की तरफदारी करने का आरोप लग सकता है। बीजेपी ने सूट बूट की सरकार की छवि तोड़ने की जो कोशिशें की हैं वो सब बेकार हो जाएंगी। यानी बीजेपी के एक तरफ कुंआ है तो दूसरी तरफ खाई है। देखना है कि इस चुनौती से बीजेपी कैसे उबरती है और क्या कांग्रेस इसका भरपूर फायदा उठा पाएगी।