बीजेपी की जीत पर ‘खामोश’ रहने वाले ‘शत्रु’ ने हार पर कसा तंज
बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा अपनी ही पार्टी को कठघरे में खड़ा करने का भी कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। जीत पर बोले ना बोले, पर हार पर ज्ञान जरूर देते हैं।
New Delhi Oct 16 : बिहार के पटना साहिब से बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा का बहुत ही चर्चित डायलॉग है ‘खामोश’। लेकिन वो अपने इस देशव्यापी चर्चित डायलॉग का इस्तेमाल खुद पर अपनी सुविधा के मुताबिक ही करते हैं। अगर भारतीय जनता पार्टी की देश के किसी भी कोने में जीत होती है तो शत्रुघ्न सिन्हा खामोश रहते हैं। इसके उलट अगर देश के किसी भी कोने में बीजेपी की हार हो जाती है तो सर जी ज्ञान देने में पीछे नहीं रहते हैं। अभी रविवार को ही पंजाब के गुरदासपुर लोकसभा के उपचुनाव के नतीजे आए थे। इस चुनाव में बीजेपी की करारी शिकस्त हुई थी। कांग्रेस की जीत हुई। इस हार पर शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी ही पार्टी के नेताओं को ज्ञान देना शुरु कर दिया है। सोशल मीडिया पर पूरी की पूरी हार की कहानी लिख दी है। हार की वजह भी गिना और बता डाली है।
शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि जैसी उम्मीद थी, गुरदासरपुर उपचुनाव में करीब दो लाख वोटों के अंतर से अपमानजनक हार मिली। यानी शत्रुघ्न सिन्हा को ये बात पता थी कि गुरदासपुर की सीट बीजेपी नहीं जीत पाएगी। उन्होंने खुद इस बात को स्वीकार भी किया है। शत्रुघ्न सिन्हा ने लिखा है कि इस हार की उम्मीद पहले से ही थी क्योंकि प्रसिद्ध, लोकप्रिय और महान स्वर्गीय विनोद खन्ना के किसी भी करीबी को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया। यानी शत्रुघ्न सिन्हा चाहते हैं कि बीजेपी भी कांग्रेस की राह पर चले और टिकटों के बंटवारे में भी भाई-भजीतावाद या रिश्तेदारों को बढ़ावा दे। इसका जवाब उन्हें जरूर देना चाहिए। बहरहाल, उनका कहना है कि मेरे अवलोकन और फीडबैक को बीजेपी आत्मनिरीक्षण के तौर पर ले। लेना भी चाहिए।
शत्रुघ्न सिन्हा ने ट्विटर पर लिखा है कि हम अपनी हार स्वीकार करते हैं और कांग्रेस उम्मीदवार सुनील जाखड़ को जीत की बधाई देते हैं। उन्होंने सुशील जाखड़ को योग्य पिता का योग्य बेटा करार दिया है। दरसअल, सुनील जाखड़ पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष रहे बलराम जाखड़ के बेटे हैं। शत्रुघ्न सिन्हा ये भी मानते हैं कि गुरदासपुर से बीजेपी की हार और कांग्रेस की जीत के पीछे नवजोत सिंह सिद्धू का असर रहा है। उन्होंने इस चुनावी जंग में सच्ची खेल भावना का परिचय दिया है। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी ही पार्टी को नसीहत देते हुए लिखा है कि हमें इस हार को आइने में देखने की जरूरत है। वो कहते हैं कि दिवारों पर लिखी बातों को पढि़ए और लोगों के मूड का अनुमान लगाइए।
चलिए शत्रुघ्न सिन्हा की सारी बात मान लेते हैं। बीजेपी गुरदासपुर की सीट हारी है इसमें कोई शक नहीं है। उसे करारी शिकस्त मिली है इसमें भी कोई दोराय नहीं है। लेकिन, क्या एक सीट से पूरे देश का मूड तय किया जा सकता है। शत्रुघ्न सिन्हा को इस बात का जवाब देना चाहिए। उन्हें इस बात का भी जवाब देना चाहिए जब कि गुजरात, महाराष्ट्र, केरल और पश्चिम बंगाल में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहता है तो वो खामोश क्यों रहते हैं। कहना नहीं चाहिए लेकिन, जब शत्रुघ्न सिन्हा ने बात छेड़ ही दी है तो ये बताना भी जरूरी है कि 2014 में विनोद खन्ना ने मोदी लहर की वजह से ही चुनाव जीता था। लेकिन, गुरदासपुर की जनता उसने बहुत खुश नहीं थी। वो अपनी बीमारी की वजह से क्षेत्र में ध्यान ही नहीं दे पाते थे। ऐसी सूरत में इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि विनोद खन्ना के करीबी को टिकट मिलता तो वो जीत ही जाता। पंजाब में अकालियों की वजह से बीजेपी को नुकसान हुआ है ये बात भी शत्रुघ्न सिन्हा को बतानी चाहिए। जाे उन्होंने नहीं बताई। आखिर वो सच्चाई पर खामोख क्यों हैं। बीजेपी के शत्रु पार्टी की हार पर तो ज्ञान देते हैं लेकिन, कभी उन्होंने जीत का कोई फार्मूला सुझाया है क्या ?