क्या गौशाला के नाम पर मुलायम परिवार योगी सरकार को ब्लैकमेल कर रहा है?

यह कोई गौसेवा वग़ैरा नहीं है, केवल योगी सरकार को ब्लैक्मेल कर 54 एकड़ क़ीमती सरकारी ज़मीन पर क़ब्ज़ा बरक़रार रखने की कोशिश है।

New Delhi, Oct 17: पहले लखनऊ में 54 एकड़ सरकारी ज़मीन पर गौशाला-NGO जीवाश्रय (कान्हा उपवन) के नाम पर अपर्णा यादव/मुलायम परिवार का क़ब्ज़ा और अब ‘योगी सरकार’ के विरुद्ध ब्लैकमेलिंग की राजनीति !  अपर्णा यादव और उनके गैंग ने अपने NGO-जीवाश्रय के माध्यम से नगर निगम लखनऊ की बेशक़ीमती ज़मीन ( रु. 1500 करोड़) पर गौशाला के नाम पर क़ब्ज़ा कर रखा है। और अब प्रचारित कराया जा रहा है कि योगी जी द्वारा पैसा न दिए जाने के कारण वहाँ स्थित गायें भूखों मर रही हैं…. अर्थात योगी सरकार को बदनाम करने के लिए राजनीतिक साज़िश की जा रही है।  यदि सरकारी पैसे से ही गौशाला चलानी थी तो गौसेवा का ढोंग क्यों? अखिलेश सरकार में राज्य सरकाए द्वारा गौशल्याओं के लिए आरक्षित राज्य के कुल बजट का 85% अपर्णा यादव की NGO-जीवाश्रय को ही दे दिया जाता था, जबकि प्रदेश की कुल 724 गौशालाएँ हैं।

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अपर्णा यादव व उनके पति प्रतीक यादव/मुलायम परिवार हज़ारों करोड़ के मालिक हैं, तो गौसेवा के लिए सरकार से पैसा क्यों लेते हैं ? और यदि आप गौशाला नहीं चला सकते हो, तो छोड़ क्यों नहीं देते? यह कोई गौसेवा वग़ैरा नहीं है, केवल प्रदेश सरकार को ब्लैक्मेल कर 54 एकड़ क़ीमती सरकारी ज़मीन पर क़ब्ज़ा बरक़रार रखने की कोशिश है। सरकार को अपर्णा यादव/ मुलायम परिवार की ब्लैकमेलिंग में नहीं आना चाहिए। योगी सरकाए को क्या करना चाहिए:- मुलायम परिवार से बेशक़ीमती 54 एकड़ ज़मीन, क़ीमत लगभग रु. 1500 करोड़ से तत्काल क़ब्ज़ा हटवाया जाए। मुलायम परिवार ने मथुरा के जवाहरबाग़ में रामवृक्ष यादव के माध्यम से क़ब्ज़ा किया गया था और यहाँ ‘गौशाला’ के नाम पर क़ब्ज़ा किया हुआ है। इसी तरह का क़ब्ज़ा ‘जौहर’ विश्वविध्यालय नाम पर रामपुर में सैकड़ों एकड़ सरकारी ज़मीनों पर आज़म ख़ान ने कर रखा है।

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अब तक अपर्णा यादव के ‘जीवाश्रय’ को मिले राज्य व केंद्र सरकार के पैसे के दुरुपयोग व ज़मीन पर किए गए क़ब्ज़े का स्पेशल ऑडिट/जाँच करायी जाए।  – इस संस्था के साथ कहीं कोई अराजक तत्व तो नहीं जुड़े हैं क्यों कि इस गौशाला के नज़दीक की एक बड़ा बूचडखाना है तो कहीं गौशाला के नाम पर कटने के लिए गाओं की सप्लाई तो नहीं हो रही है ? यह भी जाँच का विषय है।  – जब जून में मेरे घर पर हमला हुआ था तो किसी ने बताया था कि हमला करने वालों में अपर्णा यादव की इस NGO-जीवाश्रय से जुड़े गुंडों/अराजकतत्वों का हाथ भी था।मेरी FIR पर इस सम्बंध में पुलिस द्वारा जाँच की जा रही है। यह भी जाँच करायी जानी चाहिए कि बिना विज्ञापन व उचित चयन प्रक्रिया के कैसे तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व नगर विकास मंत्री आज़म खान ने अपर्णा यादव को यह क़ब्ज़ा कराया गया ?

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नगर विकास विभाग व नगर निगम, लखनऊ के सभी सम्बंधित अधिकारियों को भी इस अनियमित कृत्य के लिए दंडित किया जाए।  अतः सरकार द्वारा इस ज़मीन से मुलायम परिवार का अवैध क़ब्ज़ा तुरंत हटवाया जाए। इसे या तो सरकार/नगर निगम/ उत्तर प्रदेश गौसेवा आयोग स्वयं चलाए या फिर विज्ञापन निकाल कर किसी ‘सच्ची’ गौसेवक संस्था को दिया जाए। आज अपर्णा यादव व उनके गैंग द्वारा टीवी चैनल्स व अख़बारों में ब्लैकमैल करने कि नियत से यह प्रचारित किया जा रहा है कि ‘योगी’ सरकार के पैसा न देने के कारण गायें मर रही हैं…. इस मुलायम परिवार के भूमाफ़ियाओं के गैंग को सबक़ सिखाना ज़रूरी है। आपको याद होगा कि इसी वर्ष अप्रेल में जब इटावा में मुलायम सिंह यादव के घर बिजली विभाग द्वारा छापा मार कर बिजली चोरी पकड़ी थी, तो यह सामने आया था कि मुलायम सिंह यादव 5 किलोवॉट का मीटर लगाकर यूज कर रहे थे आठ गुना से ज्यादा बिजली….आज इसी तरह उनकी बहू अपर्णा यादव भी चोरी और ऊपर से सीना ज़ोरी पर आमादा है। क्या कहते हैं आप ?