उपराज्‍यपाल अनिल बैजल ने केजरीवाल को भिगो-भिगोकर दिया ज्ञान ?

दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल अनिल बैजल ने मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कुछ नसीहत दी है। देखना है कि वो इन नसीहत पर अमल करते हैं या फिर राजनीति ?

New Delhi Oct 18 : दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल अनिल बैजल और दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल का झगड़ा जग जाहिर है। दरसअल, ये झगड़ा व्‍यक्ति विशेष नहीं बल्कि पद के साथ है। जब‍ से अरविंद केजरीवाल ने दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री पद की कुर्सी संभाली है उनकी कभी भी उपराज्‍यपाल से नहीं बनी है। पहले नजीब जंग दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल थे तब उसने भी केजरीवाल का 36 का आंकड़ा रहता था। अब अनिल बैजल उपराज्‍यपाल हैं तो उसने भी दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री की नहीं बनती है। अरविंद को लगता है कि दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल केंद्र के इशारे पर काम करते हैं और उनकी सरकार को बेवजह परेशान करते हैं। जबकि दिल्‍ली में जो भी उपराज्‍यपाल रहा वो यही कहता रहा कि दिल्‍ली सरकार को संवैधानिक दायरे में रहते हुए ही सारे काम करने चाहिए।

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बहरहाल, इस जंग के बीच दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल अनिल बैजल ने केजरीवाल के एक खत का जवाब देते हुए उन्‍हें नसीहत दी है कि वो लोगों को जागरूक करेंगे। दरसअल, अभी कुछ दिनों पहले ही दिल्‍ली सचिवालय के बाहर से अरविंद की लकी वैगनआर कार चोरी हो गई थी। कार चोरी होने के बाद अरविंद केजरीवाल ने केंद्र पर निशाना साधते हुए दिल्‍ली की कानून व्‍यवस्‍था पर सवाल खड़े किए थे। दरसअल, दिल्‍ली पुलिस गृह मंत्रालय के अधीन आती है। हालांकि दिल्‍ली पुलिस ने चंद दिनों के भीतर ही उनकी कार को गाजियाबाद से ढूंढ निकाला था। इसी संबंध में दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री ने उपराज्‍यपाल को खत लिख दिया था। उपराज्‍यपाल ने भी इसका जवाब दे दिया है वो भी तमाम नसीहतों के साथ।

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दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल अनिल बैजल ने कहा कि केजरीवाल को चाहिए कि वो नियमों का पालन कर दिल्ली के लोगों को मोटिवेट करें। दिल्‍ली पुलिस के जवानों ने सिर्फ दो दिन के भीतर ही उनकी चोरी कार को बरामद कर लिया था इसके लिए उन्‍हें पुलिस की तारीफ करनी चाहिए ना कि उनकी निंदा। अनिल बैजल ने केजरीवाल से कहा कि आपसे उम्‍मीद की जाती है कि आप पार्किंग की जगह पर ही गाड़ी खड़ी करेंगे और दिल्‍ली पुलिस के जवानों से  को-ऑपरेट करेंगे। इसके साथ ही उन्‍होंने ये भी कहा कि आपसे ये भी उम्‍मीद है कि आप अपनी गाड़ी मेें सिक्युरिटी इक्विपमेंट्स भी लगवाएंगे। मतलब साफ है कि दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री खुद नियमों का पालन नहीं करते और आरोप दूसरों पर मढ़ते हैं।

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जाहिर है एक मुख्‍यमंत्री से इस बात की उम्‍मीद की जाती है वो खुद भी नियमों का पालन करे और जनता को भी इसके लिए मोटिवेट करे। लेकिन, दिल्‍ली में ये अफसोस की बात है कि हमेशा से यहां दिल्‍ली सरकार और उपराज्‍यपाल के बीच टकराव होता है। वो भी संवैधानिक मसलों पर। दरसअल, दिल्‍ली को पूर्ण राज्‍य का दर्जा हासिल नहीं है। ऐसे में उसे कई कामों के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी होती है। अगर ये सब संवैधानिक है तो फिर असंवैधानिक काम कर अराजकता फैलाने की जरूरत क्‍या है। केजरीवाल को भी चाहिए कि अगर वो किसी पर ऊंगली उठाते हैं तो पहले अपने भीतर झांक लें। ताली एक ओर से नहीं बजती। केंद्र और दिल्‍ली सरकार साथ मिलकर बेहतर दिल्‍ली बना सकते हैं। बशर्ते काम में वोट बैंक की राजनीति ना हो।