कड़े फैसलों के बाद भी देश की जनता की पहली पसंद हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

एक सर्वे सामने आया है। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में कोई भी कमी नहीं दिखाई पड़ी है। मतलब साफ है कि देश की जनता को मोदी पर आज भी पूरा भरोसा है।

New Delhi Oct 18 : कांग्रेस के उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी चीख-चीखकर कह रहे हैं कि देश की जनता का मोह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी से भंग हो गया है। फिर चाहें वो पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी हों या फिर आरजेडी सुप्रीम लालू यादव इन लोगों को भी यही लगता है कि देश की जनता मोदी से रूठ गई है। लेकिन, अगर प्‍यू रिसर्च सेंटर के सर्वेक्षण पर यकीन करें तो देश की जनता का भरोसा आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में उतना ही बरकरार है जितना तीन साल पहले हुआ करता था। यानी उनकी लोकप्रियता और जनता के बीच उनके नाम को लेकर विश्‍वास में कोई कमी नहीं आई है। प्‍यू रिसर्च सेंटर के सर्वेक्षण के मुताबिक देश के 85 फीसदी लोग मोदी सरकार के कामकाज पर विश्‍वास करते हैं।

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सबसे खास बात ये है कि लोग ये भी कहते हैं कि देश को सुधारने के लिए तानाशाही और कडे फैसलों की जरूरत है। ऐसे में 55 फीसदी लोगों ने तानाशाही के सवालों का भी समर्थन किया है। यानी लोग मानते हैं कि देश के विकास में कड़े फैसलों की जरूरत है और वो दम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भीतर है। 27 फीसदी लोग चाहते हैं कि देश में मजबूत नेता हों। सरकार का नेतृत्‍व मजबूत नेता के हाथ में हो। सर्वेक्षण में ये भी दिखाया गया है कि देश की अर्थव्‍यवस्‍था 2012 से 6.9 फीसदी की दर से बढ़ रही है। वैश्विक स्‍तर पर 26 फीसदी लोग मानते हैं कि इस तरह की व्‍यवस्‍था शासन के लिए बहुत बेतहर होगी। नेता बिना किसी दखल के फैसले लेने में सक्षम रहेंगे। ये सर्वे राष्‍ट्रीय स्‍तर के साथ-साथ वैश्विक स्‍तर पर भी कराया गया है।

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प्‍यू रिसर्च सेंटर का ये सर्वेक्षण पिछले साल के ए और सर्वे की भी याद दिलाता है। उस वक्‍त देश में नोटबंदी का शोर था। चारों ओर से सियासी हाहाकार मचा हुआ था। जहां एक ओर आम जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी का समर्थन कर रही थी वहीं दूसरी ओर सियासी दल ये शोर मचा रहे थे आम जनता इससे काफी परेशान है। जहां तक ध्‍यान आता है ये सर्वे नवंबर महीने में आया था। उस वक्‍त विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर दवाब बना रहा था कि वो नोटबंदी के फैसले को वापस लें। इसके बाद ही देश में रायशुमारी का सिलसिला शुरु हो गया था। नवंबर 2016 में इनसॉर्ट ने ग्‍लोबल मार्केट रिसर्च कंपनी IPSOS की मदद से नोट बैन को लेकर सर्वे किया था।  जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 500 और 1000 के नोटों को बंद करने को लेकर आम जनता की राय जानी गई थी।

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उस वक्‍त इनसॉर्ट ने ग्‍लोबल मार्केट रिसर्च कंपनी IPSOS की मदद से नोट बंदी के फैसले पर देश के करीब पांच लाख लोगों का रिस्‍पांस लिया था। सैंपल साइज को इसलिए बढ़ा रखा गया था ताकि पूरे देश का आकलन किया जा सके। इस सर्वे में ज्‍यादातर उन लोगों को शामिल किया गया था जिनकी उम्र 35 साल से कम थी। IPSOS के सर्वे पल्‍स आफ इंडिया में 82 फीसदी लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोट बंदी के फैसले को सही ठहराया था। 84 फीसदी जनता का मानना था कि काले धन को लेकर केंद्र सरकार वाकई गंभीर है। 52 फीसदी लोग सरकार के इस फैसले से सहमत नहीं थे। लेकिन, बड़ी आबादी उस वक्‍त भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ थी और आज भी साथ है। उस वक्‍त भी राजनैतिक तौर पर उनके खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की गई थी और आज भी वहीं कोशिशें हो रही हैं।