गुजरात भूल जाइए राहुल गांधी, हिमाचल भी जा रहा है आपके ‘हाथ’ से

कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने अपनी चुनावी स्‍ट्रैटजी बदलते हुए सारा फोकस गुजरात में लगा दिया है। लेकिन, इस बार हिमाचल बचाना भी भारी पड़ेगा।

New Delhi Oct 20 : कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी को लग रहा है कि इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी कुछ कमाल कर सकती है। शायद इसी वजह से उन्‍होंने अपना सारा फोकस गुजरात विधानसभा पर ही कर दिया है। राहुल गांधी की सोशल मीडिया की टीम भी काफी सक्रिय हो गई है। जो जमीन हालात को देश के सामान बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का काम करती है। ये राजनीति है। इसमें इस तरह की बातें तकलीफ देने वाली नहीं होती हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सोशल मीडिया की टीम ने भी कुछ ऐसा ही किया था। अब कांग्रेस ने बीजेपी से सबक लेते हुए वही काम शुरु कर दिया है। लेकिन, इन तीन सालों में साेशल मीडिया में भी बहुत बदलाव हो गया है।

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अगर राहुल गांधी को लगता है कि वो सिर्फ सोशल मीडिया के जरिए ही गुजरात या फिर हिमाचल प्रदेश का चुनाव जीत लेंगे तो ये उनकी गलतफहमी है। गुजरात तो छोडि़ए जो ग्राउंड रिपोर्ट है उसके मुताबिक इस बार हिमाचल प्रदेश भी राहुल गांधी या कहें कांग्रेस के हाथ से निकल रहा है। रिपोर्टस बताती हैं कि हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह के खिलाफ चल रहे आय से अधिक संपत्ति के मुकदमे कांग्रेस के लिए टेढी खीर साबित होंगे। बीजेपी इस चुनाव में वीरभद्र सिंह के भ्रष्‍टाचार की बघिया उधेड़कर रख देगी। ये बात राहुल गांधी को समझनी होगी। वैसे भी हिमाचल कांग्रेस के भीतर ही सबकुछ ठीक नहीं है। गुटबाजी अपने चरम पर है। तो क्‍या माना जाए कि इन्‍हीं सब वजहों से राहुल गांधी अब तक हिमाचल नहीं गए हैं।

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या फिर उन्‍होंने नतीजों से पहले ही हार मान ली है। अभी अगस्‍त के महीने में ही CSDS ने गुजरात में सर्वे किया था। उस वक्‍त CSDS के सर्वे बता रहे थे कि गुजरात में 182 विधानसभा सीटों में 150 पर बीजेपी की जीत हो सकती है। चुनाव विश्‍लेषक प्रवीण पाटिल भी ये कह चुके हैं कि गुजरात और हिमाचल दोनों ही राज्‍यों के चुनाव इस बार बीजेपी के लिए बेहद आसान हैं। अगर दोनों ही राज्‍यों के चुनाव बीजेपी के लिए आसान हैं तो फिर राहुल गांधी का कौन सा गणित उन्‍हें ये संकेत दे रहा है कि वो गुजरात में सरकार बना सकते हैं। अब इसी साल के ही कुछ नतीजे देख लीजिए। उत्‍तर प्रदेश में बीजेपी ने अपना परमच लहराया। उत्‍तराखंड में कांग्रेस को सत्‍ता से बेदखल कर दिया गया। गोवा में ज्‍यादा सीटें मिलने के बाद भी कांग्रेस सरकार नहीं बना पाई।

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मणिपुर जहां कभी बीजेपी की सरकार नहीं बनी इस बार के विधानसभा चुनाव में वहां भी कमल खिला। यहां की जनता ने ही पंजे को मरोड़ दिया। राष्‍ट्रपति और उपराष्‍ट्रपति के चुनाव में भी बीजेपी ने जो चाहा वो ही किया। पूरे के पूरे विपक्ष की स्‍ट्रैटजी धरी की धरी रह गई। इन सब के बाद भी राहुल गांधी को लगता है कि गुजरात और हिमाचल में जनता का मूड बीजेपी के खिलाफ है। असल में कांग्रेस का ये मूड सोशल म‍ीडिया की उपज है। जबकि हकीकत सोशल मीडिया पर आने वाली खबरों से बहुत अलग है। ऐसे में खुद राहुल गांधी को ये देखना चाहिए कि वो सोशल मीडिया से इतर जमीन पर किस तरह से कांग्रेस को मजबूत बना सकते हैं। राहुल गांधी के सामने अपने सहयोगी दलों को भी साथ लेकर चलने की बड़ी चुनौती है।