अमेरिका ने की भारत की तारीफ तो चिढ़ गया चीन, पाकिस्तान को भी लगी ‘लाल मिर्ची’
अमेरिका की ओर से की गई भारत की तारीफ और चीन-पाकिस्तान को खरी-खोटी सुनाने वाले बयान के बाद बीजिंग भड़क उठा है, वो आग-बबूला है।
New Delhi Oct 20 : चीन और पाकिस्तान कभी किसी के भरोसेमंद साथी नहीं हो सकते हैं। खासतौर पर भारत के साथ तो ये दोनों ही देश कभी भी बेहतर दोस्ती नहीं निभा सकते हैं। ये बात अब अमेरिका भी समझ में आ गई है। अभी हाल ही में अमेरिका ने भारत की तारीख करते हुए उसे सबसे भरोसेमंद साझेदार बताया था। इसके साथ ही चीन और पाकिस्तान को खूब खरी खोटी भी सुनाई थी। लेकिन, अब यूएस का ये बयान चीन और पाकिस्तान को नागवार गुजर रहा है। दोनों की देशों के मानो लाल मिर्च लग गई है। चीन का कहना है कि अमेरिका उसके साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर रहा है। जो ठीक नहीं है। उसे इससे बाहर निकलना चाहिए। दरसअल, चीन को इस बात का भी डर है कि अगर अमेरिका और भारत दो महाशक्तियां एक साथ आ जाती हैं तो चीन के लिए सबसे बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी।
हमेशा से चीन का सीधा मुकाबला अमेरिका से रहा है। अमेरिका इस बात को समझता है कि अगर चीन को काबू में करना है और उस पर दवाब बनाना है तो उसे भारत का साथ लेना ही होगा। अभी हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने भारत की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि यूएस अनिश्चितता और चिंता के इस दौर में वैश्विक मंच पर हिंदुस्तान का भरोसेमंद साझेदार है। रेक्स टिलरसन यहीं नहीं रूके थे। उन्होंने चीन के भड़काऊ कृत्यों के बीच अमेरिका के भारत के साथ खड़े होने के मजबूत और स्पष्ट संकेत भी दिए थे। टिरलसन ने चीन को काफी खरी खोटी सुनाई थी। खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के विवाद को बढ़ावा देने के लिए बीजिंग को जिम्मेदार ठहराया गया था।
अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन का यही बयान चीन को नागवार गुजर रहा है। चीन अमेरिका के साथ-साथ भारत पर भी भड़का हुआ है। अमेरिकी विदेश मंत्री रिक्स टिलरसन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्री की प्रवक्ता लिउ कांग ने कहा कि अमेरिका को चीन के विकास और वैश्विक व्यवस्था में चीन की सकारात्मक भूमिका को देखकर ही कोई बयान देना चाहिए था। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता का कहना है कि कि अमेरिका को चाइना के साथ पक्षपातपूर्ण रवैये से बाहर निकलकर आपसी सहयोग पर फोकस करने की जरूरत है। इस वक्त गतिरोधों को खत्म करने की जरूरत है ना कि उन्हें बढ़ाने की। दोनों देशों को आपसी रिश्तों को मजबूत करने के लिए काम करने चाहिए।
इसके साथ ही चीन ने ये भी कह दिया है कि इस सहयोग में हम अपने हितों का नुकसान नहीं कर सकते हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक चीन UN चार्टर के मुताबिक वैश्विक मामलों पर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उसी के हिसाब से काम भी कर रहा है। लेकिन, दूसरे देशों के हितों के लिए चीन अपना नुकसान नहीं कर सकता। और ना ही बीजिंग अपने वैधानिक हितों और अधिकारों को किसी को भी नुकसान पहुंचाने की इजाजत दे सकता है। यानी वो इशारों ही इशारों में अमेरिका को धमकी भी दे रहा है। अमेरिका और चीन के बीच ये तल्खी उस वक्त देखने को मिल रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले महीने चीन के दौरे पर जाने वाले हैं। आठ नवंबर को ट्रंप चीन पहुंचेंगे। देखिए तब तक क्या क्या होता है। ये कूटनीति है। जिसे समझना बहुत जरूरी है।