मुस्लिम महिलाओं ने की भगवान राम की आरती, इसे कहते हैं मिसाल

मुस्लिम महिलाओं ने धर्मनिरपेक्षता की मिसाल कायम कर दी है। उन्‍होंने भगवान राम की आरती उतारी लेकिन, ये बात कई लोगों को नागवार गुजर रही है।

New Delhi Oct 21 : धर्मनिरपेक्षता के नाम पर देश में कई नेता बातें तो खूब बड़ी-बड़ी करते हैं। लेकिन, सिर्फ बातों से ही धर्मनिरपेक्षता की मिसालें कायम नहीं हुआ करती हैं। उसके लिए कुछ करना पड़ता है। मिसाल कायम करने के लिए राजनीति से ऊपर उठना पड़ता है। उत्‍तर प्रदेश की मुस्लिम महिलाओं ने धर्मनिरपेक्षता की सच्‍ची मिसाल कायम की है। दिवाली के मौके पर बनारस में मुस्लिम महिलाओं ने भगवान राम की आरती उतारी। उनकी पूजा अर्चना की। जाहिर है बनारस की मुस्लिम महिलाओं का ये कदम काबिले-तारीफ है। लेकिन, बहुत से लोगों को मुस्लिम महिलाओं की ये पूजा अर्चना रास नहीं आ रही है। इनका विरोध किया जा रहा है। जबकि हकीकत ये है कि इनकी सराहना होनी चाहिए।

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बनारस में मुस्लिम महिलाओं की भगवान राम की आरती को लेकर तो दारूल उलूम ने अजीबोगरीब बयान ही दे डाला है। एक उलेमा का कहना है कि अगर कोई भी मुसलमान अल्‍लाह कि अलावा किसी और भगवान की पूजा करता है तो वो मुस्लिम ही नहीं हो सकता है। मुस्लिम महिलाओं की पूजा अर्चना को लेकर नई बहस छिड़ गई है। जो नहीं छिड़नी चाहिए थी। बहुत से हिंदु भी दरगाहों में जाकर सजदा करते हैं। तो क्‍या उन्‍हें हिंदू मानने से ही इनकार कर दिया जाए। हरगिज नहीं। इस वक्‍त देश के भीतर एक बेहतर माहौल बनाने की जरूरत है। जिसमें दिवाली के मौके पर मुसलमान भी हिंदुओं के साथ खड़े हों और हिंदू भी ईद के मौके पर मुसलमान भाईयों के गले लगे और उन्‍हें मुबारकबाद दें।

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बड़े पैमाने पर ऐसा होता भी है। लेकिन, चंद नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए हमेशा हिंदू और मुसलमानों को लड़वाने की फिराक में रहते हैं। वो चाहते कि जितना वोटों का ध्रुवीकरण होगा उतना उन्‍हें फायदा मिलेगा। ऐसे नेता दुनिया के सामने ये दिखाने की कोशिश करते हैं कि वो सबसे बड़े धर्मनिरपेक्ष हैं। लेकिन, हकीकत दिखावे से एकदम जुदा होते हैं। धर्मनिरपेक्ष का राग अलापने वाले नेता ही सबसे बड़े सांप्रदायिक नजर आते हैं। यहां किसी भी नेता का नाम लेना ठीेक नहीं होगा। जनता हर किसी को जानती है और पहचानती है। आज अगर दारूल उलूम बनारस की उन मुस्लिम महिलाओं को मुसलमान मानने से ही इनकार कर रहा है जिन्‍होंने भगवान राम की आरती उतारी है तो ऐसे में शो कॉल्‍ड धर्मनिरपेक्ष नेता शांत क्‍यों बैठे हैं ?

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वो सामने आकर इन मुस्लिम महिलाओं का विरोध करने वालों का विरोध क्‍यों नहीं करते हैं ? हर तरफ खामोशी है। मुस्लिम महिलाओं की ओर से ये मिसाल 18 अक्‍टूबर को कायम की गई। भगवान श्री राम की आरती करने वाली मुस्लिम महिलाओं के ग्रुप की नेता नाजनीन अंसारी का कहना है कि हमारी जियारतगाह का नाम अयोध्‍या है। जहां इमाम-ए-हिंद श्रीराम रहते हैं। नाजनीन अंसारी हिंदू-मुस्लिम भाईचारे में यकीन रखती हैं। उनका कहना है कि इस तरह के आयोजन से सामाजिक एकता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। भगवान श्रीराम हर किसी के पूर्वज हैं। धर्म और नाम बदल जाने से पूर्वज नहीं बदला करते हैं। नाजनीन अंसारी कहती हैं कि भगवान राम की गाथा गाने से न सिर्फ हिंदू और मुसलमानों के बीच प्रेम और सद्भाव बढ़ता है, बल्कि ये इस्लाम की उदारता भी दिखाता है।