गुजरात इलेक्‍शन में कांग्रेस के ‘एजेंट’ बने हार्दिक पटेल, टीम में पड़ी फूट

पाटीदार आंदोलन की अगुवाई करने वाले हार्दिक पटेल ने गुजरात इलेक्‍शन में कांग्रेस के समर्थन के साफ संकेत दे दिए हैं। लेकिन, उनकी टीम बिखरने लगी है।

New Delhi Oct 22 : गुजरात विधानसभा चुनाव में शह और मात का खेल जारी है। गुजरात इलेक्‍शन से पहले जहां एक ओर युवा नेता जिग्‍नेश ठाकोर ने कांग्रेस में शामिल होने का एलान कर दिया है वहीं दूसरी ओर पाटीदार आंदोलन की अगुवाई करने वाले हार्दिक पटेल ने भी ये स्‍पष्‍ट संकेत दे दिए हैं कि वो बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस को सपोर्ट करेंगे। लेकिन, हार्दिक पटेल का ये फैसला उनकी टीम को नागवार गुजर रहा है। हार्दिक पटेल की टीम में फूट पड़ गई है। हार्दिक के दो प्रमुख सहयोगियों ने ही उनका साथ छोड़ दिया है। पाटीदार आंदोलन में हार्दिक के साथी रहे वरूण पटेल और रेशमा पटेल भारतीय जनता पार्टी ज्‍वाइन कर ली है। इसके साथ ही उन्‍होंने हार्दिक पटेल को कांग्रेस पार्टी का एजेंट करार दिया है।

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ये दोनों ही नेता हार्दिक के बहुत करीबी माने जाते हैं। दरअसल इन लोगों को ये बात कतई पसंद नहीं आई कि हार्दिक अपनी ओर से पूरे पाटीदार समाज की ठेकेदारी कर कांग्रेस को समर्थन करने का एलान करें। हालांकि वरूण और रेशमा पटेल दोनों ही बीजेपी के आलोचक रहे हैं। लेकिन, हार्दिक की दगाबाजी के बाद उन लोगों के पास बीजेपी में जाने के अलावा कोई दूसरा रास्‍ता नहीं था। इन दोनों ही पाटीदार नेताओं ने गुजरात के मुख्‍यमंत्री विजय रूपाणी और बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। बीजेपी ज्‍वाइन करने के बाद ही इन लोगों ने आरोप लगाया कि हार्दिक पटेल कांग्रेस के एजेंट बन गए हैं। इन लोगों ने दावा किया कि हार्दिक मौजूदा बीजेपी सरकार को राज्‍य से बाहर करने के लिए ही पाटीदार आंदोलन का इस्‍तेमाल कर रहा है।

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रेशमा पटेल का कहना है कि हमारा आंदोलन बीजेपी की सरकार को सत्‍ता से बाहर करने और उसकी जगह कांग्रेस को लाने के लिए नहीं था। बल्कि हमारा आंदोलन ओबीसी कोटे के तहत रिजर्वेशन की मांग को लेकर था। बीजेपी सरकार पाटीदारों की ज्‍यादातर मांगों को मान चुकी है। ऐसी सूरत में कांग्रेस और हार्दिक पटेल अब सिर्फ पटेलों को वोट बैंक के तौर पर इस्‍तेमाल कर रहे हैं। रेशमा पटेल और वरूण पटेल का कहना है कि हम इस साजिश का हिस्‍सा नहीं बन सकते हैं। उधर, हार्दिक पटेल ने भी रेशमा पटेल और वरूण पटेल के बीजेपी में शामिल होने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि अगर आपको गेहूं खाना हैं तो उसे साफ करना ही होगा। नहीं तो कंकड आ जाएंगे। चुनाव से पहले इस तरह के कंकड़ धीरे-धीरे खुद ब खुद साफ हो जाएंगे।

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हार्दिक पटेल का कहना है कि मैं कई बार ये बात कह चुका है कि मेरा कांग्रेस के प्रति ना तो कोई लगाव है और ना ही कोई प्रेम। लेकिन, राज्‍य से अहंकारी ताकतों को हटाने के लिए कांग्रेस का सत्‍ता में आना जरूरी है। हार्दिक का कहना है कि कोई चोर है कोई महाचोर, लेकिन, अहंकारी ताकतों को हटाने के लिए किसी को तो बिठाना होगा। दरसअल, हार्दिक पटेल को लगता है कि गुजरात के सारे के सारे पाटीदार उनके साथ हैं और उनके ही इशारे पर वो वोट डालेंगे। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। पाटीदारों के भीतर बीजेपी को लेकर कुछ नाराजगी थी जरूर लेकिन, पाटीदार आंदोलन के बाद ही उनकी तमाम मांगों को मान लिया गया था। इसके बाद बीजेपी ने पाटीदारों के गढ़ कहे जाने वाले सौराष्‍ट्र में कई ऐसे काम भी किए हैं जिसे पाटीदार समुदाय भुला नहीं पाएगा।