गुजरात चुनाव में बीजेपी के लिए ‘संजीवनी’ साबित होंगे केजरीवाल ?
केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी इस बार गुजरात चुनाव में उतरने का फैसला किया है। लेकिन, देखना होगा कि आप किसे फायदा पहुंचती है और किसे नुकसान ?
New Delhi Oct 24 : गुजरात में अब तक चुनावी बिगुल नहीं बजा है लेकिन, सियासी घमासान चरम पर है। बेशक पार्टियां लाख दावे करें कि वो पूरी तरह साफ सुथरी हैं। कोई खरीद-फरोख्त नहीं की जा रही है। लेकिन, हकीकत ये है कि गुजरात इलेक्शन से पहले हर तरह का जोड़तोड़ जारी है। गुजरात इलेक्शन के लिए साम, दाम, दंड, भेद हर किसी का इस्तेमाल किया जा रहा है। केजरीवाल की आम अादमी पार्टी भी पहली बार गुजरात चुनाव में उतरने का एलान कर चुकी है। आम आदमी पार्टी के गुजरात प्रभारी गोपाल राय का कहना है कि उनकी पार्टी 150 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। आप ने उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी करनी शुरु कर दी है। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर आम आदमी पार्टी के चुनाव मैदान में उतरने से किस दल को नफा होगा और किसे नुकसान।
आम आदमी पार्टी ने जब पहली बार साल 2013 में दिल्ली में विधानसभा का चुनाव लड़ा था तब सबसे ज्यादा वोट कांग्रेस पार्टी के ही काटे थे। भारतीय जनता पार्टी के वोट प्रतिशत में कोई खास फर्क नहीं पड़ा था। हालांकि 2013 में भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल 32 सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद भी दिल्ली में सरकार नहीं बना पाई थी। उस वक्त बीजेपी को करीब 34 फीसदी वोट मिले थे। कांग्रेस को 25 फीसदी वोट और आम आदमी पार्टी को करीब तीस फीसदी वोट मिले थे। 49 दिनों में ही केजरीवाल की सरकार गिर गई थी। इसके बाद साल 2015 में फिर से दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए थे। जिसमें केजरीवाल की पार्टी ने 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
तब भी बीजेपी को करीब 33 फीसदी वोट मिले थे। कांग्रेस का वोट बैंक घट कर दस फीसदी पर आ गया था। कांग्रेस का सारा वोट बैंक आम आदमी पार्टी के खात में चला गया था और उसे करीब 55 फीसदी वोट मिले थे। यानी केजरीवाल की पार्टी ने सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को पहुंचा था। गुजरात चुनाव में भी कुछ ऐसा ही होता हुआ नजर आ रहा है। कांग्रेस समेत पूरे के पूरे विपक्ष की नजर इस वक्त बीजेपी के असंतुष्ट वोटों पर हैं। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल बेशक राहुल गांधी से गुपचुप मुलाकात कर रहे हों लेकिन, वो केजरीवाल के भी बेहद करीबी हैं। केजरीवाल ने हार्दिक पटेल को उस वक्त खुला समर्थन दिया था जब वो मुसीबत में थे। आम आदमी पार्टी ने गुजरात चुनाव में अपने जिन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, उसमें एक भी चेहरा जीतने के काबिल नजर नहीं आ रहा है।
लेकिन, ग्राउंड रिएलिटी ये बताती है कि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कांग्रेस के संभावित वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को ही मिलेगा। शायद यही वजह है कि कांग्रेस चाहती है कि बिहार की तर्ज पर गुजरात चुनाव में भी बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन हो जाए और सभी दल एक ही मंच पर आ जाएं। लेकिन, गुजरात की राजनैतिक परिस्थितियां बिहार के मुकाबले एकदम अलग है। यहां बीजेपी के खिलाफ दल तो तमाम हैं लेकिन, दम हर किसी में नहीं दिख रहा है। हर कोई बंटा हुआ है। कोई पाटीदार तक सीमित है तो कोई ओबीसी और दलित तक। ऐसे में बीजेपी के इस गढ़ में विपक्ष की सेंधमारी आसान नहीं होगी।