कांग्रेस की डर्टी पॉलिटिक्स, मालेगांव ब्लास्ट में भागवत और योगी को फंसाना चाहती थी UPA सरकार ?
मालेगांव ब्लास्ट में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। केंद्र की यूपीए सरकार पर आरोप लगा है कि वो इस केस में योगी और मोहन भागवत को फंसाना चाहती थी।
New Delhi Oct 24 : आठ सितंबर 2006 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए धमाकों का दर्द आज भी तमाम लोग बर्दास्त कर रहे हैं। मालेगांव ब्लास्ट को लेकर उस वक्त भी सियासत हुई थी और आज भी राजनीति हो रही है। मालेगांव ब्लास्ट के बाद ही एक नया शब्द सुनने को मिला था सैफरॉन टेररिज्म यानी भगवा आतंकवाद। आतंकवाद की ये नई परिषाभा किसी और ने नहीं बल्कि उस वक्त की केंद्र मे मौजूद यूपीए सरकार के नेताओं ने गढ़ी थी। कांग्रेस के नेताओं ने भगवा आतंकवाद को लेकर बीजेपी और संघ परिवार को घेरना शुरु कर दिया था। लेकिन, 13 साल पुराने इस केस के गढ़े मुर्दे अब भी उखाड़े जा रहे हैं। जिसमें कांग्रेस की गंध निकलकर सामने आ रही है। दावा किया जा रहा है कि उस वक्त की यूपीए सरकार इस केस में योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत को भी फंसाना चाहती थी। क्या ये बात सच है ? आखिर इन आरोपों पर कांग्रेस पार्टी चुप क्यों हैं ?
दरसअल, ये सनसनीखेज खुलासा बनारस ब्लास्ट और मालेगांव ब्लास्ट के आरोपी सुधारक चतुर्वेदी ने किए हैं। सुधाकर चतुर्वेदी ने यहां तक दावा किया है कि इस केस की इंवेस्टीगेशन के दौरान जांच अधिकारियों ने साध्वी प्रज्ञा को अपने लैपटॉप पर गंदी और अश्लील फोटो और मूवी तक दिखाई और उन्हें टॉर्चर किया। सुधारक चतुर्वेदी का कहना है कि योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत को फंसाने की साजिश कांग्रेस के बड़े नेताओं ने रची थी। सुधारक चतुर्वेदी अभी सोमवार को ही जमानत पर रिहा होकर मीडिया के सामने आए थे। उनका कहना था कि कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम, दिग्विजय सिंह और शरद पवार की सोची समझी साजिश के तहत मालेगांव ब्लास्ट के जांच अधिकारी हेमंत करकरे इसे भगवा आतंकवाद साबित करना चाहते थे।
जांच अधिकारियों ने अपनी इस थ्योरी को साबित करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की। बड़े चेहरों के तौर पर योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत को फंसाने की साजिश रची गई। लेकिन, वो कामयाब नहीं हो सकी। सुधाकर चुतर्वेदी का कहना है कि जिस वक्त उन्हें मालेगांव ब्लास्ट केस में अरेस्ट किया गया था उस वक्त उसने सिर्फ योगी आदित्यनाथ और उनके संगठन के बारे में ही पूछताछ की जा रही थी। उस वक्त के जांच अधिकारी जानना चाहते थे योगी आदित्यनाथ के मठ में क्या कामकाज होता है और उनके ठिकाने और कहां-कहां हैं। सुधाकर ने तो ये तक बताया कि जांच अधिकारियों के पास पहले से ही योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट था। लेकिन, सबूत ना होने की वजह से उन्हें अरेस्ट नहीं किया गया।
यूपीए सरकार के दौरान एनआईए और एटीएस के जांच अधिकारियों ने इस केस से जुड़े सभी लोगों को बहुत टॉर्चर किया था। खुद सुधाकर चतुर्वेदी को ही तीन दिनों तक भूखा रखा गया था। बाथरूम में करंट लगाया जाता था। नंगा कर पैरों के तलुओं पर लाठियों से पिटाई होती थी। जाहिर है कांग्रेस ये दलील दे सकती है कि एक आरोपी के आरोपों को नहीं माना जा सकता है। लेकिन, मालेगांव ब्लास्ट केस में जितने भी आरोपी अब सालों बाद जमानत पर रिहा हो रहे हैं वो कांग्रेस सरकार की पोल जरूर खोल रहे हैं। चाहें वो खुद साध्वी प्रज्ञा ही क्यों ना हो या फिर कर्नल श्रीकांत पुरोहित। हर किसी ने ये बताया कि किस तरह से साजिशन सभी लोगों को फंसाया गया और भगवा आतंकवाद की फर्जी थ्योरी पर काम किया गया। क्या वाकई राजनीति इतनी गंदी है ?