ओवैसी और अखिलेश यादव को क्‍यों रास नहीं आ रहा है योगी का ताजमहल दर्शन ?

योगी आदित्‍यनाथ ने ताजमहल का दौरा क्‍या किया देश की सियासत में सांप लोटने लगे। ओवैसी और अखिलेश यादव को उनका ताज दर्शन नहीं भाया।

New Delhi Oct 26 : राजनीति में चित भी मेरी और पट भी मेरी वाला गेम खूब होता है। कुछ करो तो दिक्‍कत ना करो तो परेशानी। यही हाल अब ताजमहल को लेकर हो गया है। गुरुवार को उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने आगरा के ताजमहल का दौरा किया। यहां उन्‍होंने ताजमहल के पश्चिमी द्वार पर सफाई अभियान भी चलाया। इसके साथ ही कई परियोजनाओं का भी एलान किया। लेकिन, योगी आदित्‍यनाथ का ये दौरा विपक्ष को नागवार गुजर रहा है। सबसे ज्‍यादा तकलीफ AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी और यूपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को होती हुई नजर आई। असदुद्दीन ओवैसी ने योगी आदित्‍यनाथ पर हैदराबाद से निशाना साधा तो समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव लखनऊ में तीर कमान लिए बैठे हुए थे।

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अखिलेश यादव का कहना था कि ताजमहल पर बीजेपी नेताओं के बयान के जब अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर बदनामी होनी शुरु हुई तो केंद्र सरकार ने उत्‍तर प्रदेश सरकार पर दवाब डाला। जिसकेब योगी आदित्‍यनाथ को ताजमहल आना पड़ा। वहीं ओवैसी ने कहा कि योगी आदित्‍यनाथ को ताज महल की सफाई के बजाए अपने नेताओं के दिमाग की सफाई करनी चाहिए। ओवैसी का कहना है कि कोई ताजमहल को शिव का मंदिर बता रहा है तो कोई कह रहा है कि ये भारतीय संस्‍कृति के नाम पर धब्‍बा है। कुछ इसी तरह की बातें समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी करते हुए नजर आए। अखिलेश यादव का कहना है कि देखिए वक्‍त कैसे बदलता है। कल तक जो लोग इसकी बुराई कर रहे थे आज वो ही यहां पहुंच गए हैं। लेकिन, अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर बदनामी कराने के बाद।

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अखिलेश यादव ने दावा किया कि केंद्र सरकार के दवाब में योगी आदित्‍यनाथ को ताजमहल जाना पड़ा। अखिलेश ने ताजमहल में योगी आदित्‍यनाथ की ओर से चलाए गए सफाई अभियान पर भी तंज कसा। उनका कहना है कि जो लोग ताजमहल को अपनी संस्कृति का हिस्सा और अपनी धरोहर नहीं मानते थे, भगवान राम ने ऐसा कर दिया कि आज उन्‍हीं लोगों को इस इमारत में झाडू तक लगानी पड़ रही है। अखिलेश यादव ने कहा कि कुछ लोगों ने भगवा वस्‍त्र पहनकर ताजमहल में पूजा की। इस तरह के लोग प्रदेश से पर्यटन को खत्‍म करना चाहते हैं। अखिलेश यादव ने बीजेपी को चुनौती भी दी है कि अगर उनमें हिम्‍मत है तो वो ताजमहल को ऐतिहासिक धरोहरों की लिस्‍ट से हटाकर दिखाएं। यहां उन्‍होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने ताजमहल के पास सबसे ज्‍यादा काम किया।

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दरअसल, पिछले कई दिनों से ताजमहल पर सियासी घमासान मचा हुआ है। इस घमासान की शुरुआत उस वक्‍त हुई जब उत्‍तर प्रदेश के पर्यटन विभाग की नई बुकलेट जारी की गई थी। इस बुकलेट से ताजमहल गायब था। जबकि उसकी जगह पर गोरखपुर के मठ को शामिल किया गया था। इसके बाद मेरठ के सरधना से बीजेपी विधायक संगीत सोम ने कहा था कि इस वक्‍त मुगल शासकों के क्रूर इतिहास को बदलने को जरूरत है। जबकि बीजेपी के सांसद और फायरब्रांड नेता विनय कटियार का कहना था कि ताजमहल असल में शिव का मंदिर था जिसे लोग ताजोमहल के नाम से जानते थे। लेकिन, मुगल शासकों ने मंदिर और इस इमारत पर कब्‍जा कर इसे ताजमहल का नाम दे दिया था। ताजमहल के इतिहास को लेकर इन दिनों कई ऐतिहासिक मतभेद सामने आए हैं।