वाह रे, वाह ! आपणे निराले राजस्थान में भ्रष्टाचारियों को बचाने वाला काला क़ानून
राजस्थान की सीएम वसुंधरा के इस बिल में लोकसेवकों,नेताओं के भ्रष्टाचार की ख़बर छापना बैन होगा। इस अध्यादेश पर राष्ट्रपति से अनुमति ली जा चुकी है।
New Delhi, Oct 25: वाह रे, वाह ! आपणे निराले राजस्थान में भ्रष्टाचारियों को बचाने वाला काला क़ानून……बिल, वसुंधरा और अब ‘मीडिया’ का भी बवाल ! उत्तर प्रदेश में कब आएगा ऐसा लोकसेवक-का-लुभावना अधिनियम? राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने भ्रष्ट अधिकारियों, जजों,सांसद/विधायक/मंत्री को सुरक्षा कवच देने वाले आपराधिक प्रक्रिया (राजस्थान संशोधन) विधेयक-2017 बना दिया। इस बिल में CRP की धारा 156 में बदलाव करके 190 (1) को जोड़ा है ताकि कोई कोर्ट के माध्यम से भी भृष्टाचारियों के विरुद्ध FIR दर्ज न करा सके। बिना सरकार की अनुमति के लोकसेवकों पर कोई FIR दर्ज नहीं होगी। म्हारो महान महाराष्ट्र ने तो ऐसा काला क़ानून २०१६ में ही पारित करा लिया है…. किसी को कानों-कान ख़बर भी नहीं चली।
वसुंधरा के इस बिल में नौकरशाहों/लोकसेवकों/नेताओं के भ्रष्टाचार की ख़बर प्रेस में छापना प्रतिबंधित होगा। इस अध्यादेश पर राष्ट्रपति से अनुमति ली जा चुकी है। आख़िर ये सब क्यों किया ‘महारानी’ …..वसुंधरा ने ?उत्तर प्रदेश जैसे भ्रष्ट राज्य में चाहे कोई भी सरकार आ जाए …यहाँ तो पहले से ही भृष्ट नौकरशाह, नेताओं के ‘आशीर्वाद रूपी’ कवच से अच्छादित हैं, शायद यहाँ ऐसे अधिनियम की ज़रूरत न पड़े ? उदाहरणार्थ…उत्तर प्रदेश में ‘लखनऊ-आगरा’ इक्स्प्रेस्वे के भ्रष्टाचार की जाँच का वादा चाहे गत विधान सभा चुनावों में किया गया था…अब इसमें फँसे ‘लम्बे-२’ नौकरशाहों ने सरकार से मिलकर वायुसेना के लड़ाकू विमान इस इक्स्प्रेस्वे पर उतरवाकर यह सिद्ध करने की कोशिश की है कि इसमें सब कुछ ठीक-ठाक है।
इस इक्स्प्रेस्वे के भ्रष्टाचार पर अब सरकार की आँखें बंद हैं….. ये प्रभाव है भ्रष्ट ‘बलशाली’ नौकरशाहों का उत्तर प्रदेश में। चाहे सरकार बदल जाए लेकिन भ्रष्ट नौकरशाहों का उत्तर प्रदेश में जलवा क़ायम रहता है, अतः राजस्थान जैसे काले अधिनियम को उत्तर प्रदेश में लाने की ज़रूरत भला क्यों कर होगी ? नोट भरी एक कार से कुचल गया मज़दूर, बीच सड़क पर मर गया, हुई गरीबी दूर…….. ये नायाब तरीक़ा है, इस देश में ग़रीबी मिटाने का ….
भ्रष्ट नेता/नौकरशाह कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते अपने भ्रष्टाचार(नोट भरी हुई कार) को छुपाने में , चाहे क़ानून ही क्यों न बदलना पड जाए। कुछ भ्रष्ट मीडियाकारों ने भी इस गठजोड़ में शामिल होकर, ग़रीबजन को ‘रोटी-की-रट-रट’ में छोड़ दिया है, मरने के लिए …..सरकार कोई भी हो, महाभृष्टों की पों-बारह हो रही है, मेरे इस प्यारे देश/प्रदेश में ! ‘बिकाऊ’ व्यवस्था और ‘लाचार’ लोकतंत्र की पटकथा का लोकमंचन हो रहा है…. देखते रहो-दिखाते रहो….फिर चुनाव आ रहा है, चुनावी नौटंकी का दौर !!!