अब ताजमहल में ‘नमाज’ और ‘शिव चालीसा’ पर गरमाई राजनीति

ताजमहल पर जारी विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब ये विवाद ऐतिहासिक धरोहर से हटकर नमाज और शिवचालीसा में उलझ गया है।

New Delhi Oct 27 : ताजमहल पर जारी विवाद थमने की बजाए लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ये हाल तब हैं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्‍यनाथ सभी को ऐतिहासिक धरोहरों को लेकर नसीहत भी दे चुके हैं। लेकिन, नसीहत पर सियासत भारी पड़ती हुई नजर आ रही है। अभी कल की ही बात है जब उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने ताजमहल का दौरा किया था। माना जा रहा था कि वो डैमेज कंट्रोल की कोशिश में हैं। लेकिन, इस विवाद में डैमेज कंट्रोल होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति ने अब इस सुलगती आग को और हवा दे दी है। संघ की इस शाखा ने मांग की है कि ताजमहल में हर शुक्रवार को होने वाली जुमे की नमाज पर प्रतिबंध लगाया जाए। संघ परिवार का मानना है कि ये ऐतिहासिक धरोहर है। ऐतिहासिक धरोहर का इस्‍तेमाल सिर्फ मुसलमान ही क्‍यों करें ?

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति के सचिव डॉ बालमुकुंद पांडे कहते हैं कि अगर ताजमहल में नमाज पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाता है तो वहां पर हिंदुओं को भी शिव चालीसा का पाठ करने की इजाजत दी जाए। क्‍योंकि ये ताजमहल से पहले भगवान शिव का मंदिर ताजोमहल था। ऐतिहासिक धरोहरों के इस्‍तेमाल में हिंदू और मुसलमानों के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति की इस मांग के बाद ताजमहल में स्थित मस्जिद के इमाम सामने आए हैं। इस मस्जिद के इमाम सादिक अली का कहना है कि ताजमहल में शिव चालीसा हो ही नहीं सकती है। उनका कहना है कि पहली बात ताजमहल में मस्जिद है। दूसरी बात यहां कब्रिस्‍तान है और कब्रिस्‍तान में कहीं भी शिव चालीसा नहीं पढ़ी जा सकती है।

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सादिक अली कहते हैं कि ताजमहल पर जो विवाद हो रहा है वो ठीक नहीं है। बातचीत के जरिए इस विवाद को सुलझाना चाहिए। दरसअल, इस विवाद की शुरुआत उस वक्‍त हुई थी जब उत्‍तर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग ने अपनी बुकलेट से ताजमहल का नाम ही हटा दिया था। इस पर मेरठ के सरधना से बीजेपी के विधायक संगीत सोम ने कहा था कि अब देश के इतिहास को बदलने की जरूरत है। हम लोगों को मुगल शासकों के क्रूर इतिहास को नहीं ढोना चाहिए। मुगल शासकों का इतिहास सिर्फ क्रूर रहा है। उन्‍होंने हिंदुस्‍तान के मंदिरों को गिराकर उन पर मस्जिदें बना दी थी। ये लोग अपने ही पिता को कैद कर लेते थे। हिंदुस्‍तानियों पर अत्‍याचार करते थे। लड़कियों से बलात्‍कार करते थे। मुगल शासकों के इतिहास से कोई शिक्षा नहीं मिलती है। उन्‍होंने ताजमहल जैसी इमारतों को मुगलशासकों की क्रूरता की निशानी करार दिया था।

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वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के फायर ब्रांड नेता और सांसद विनय कटियार ने दावा किया था कि ताजमहल असल में भगवान शिव का मंदिर था और हिंदू राजाओं का महल था। जिस पर मुगल शासकों ने कब्‍जा कर लिया था। उन्‍होंने यहां पर शिवचालीसा की भी वकालत की थी। इन सारे विवादों के बीच उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ गुरुवार को ताजमहल पहुंचे थे। यहां उन्‍होंने करीब एक घंटे का वक्‍त बिताया था। कई परियोजनाओं की शुरुआत की थी। इसके साथ ही विवाद करने वालों को नसीहत दी थी कि हम सभी लोगों को देश की ऐतिहासिक धरोहरों को मिलकर बचाना होगा। लेकिन, इतना सबकुछ होने के बाद भी इस मसले पर विवाद जारी है। इस मसले पर ना हंगामा थम रहा है और ना ही राजनीति। पता नहीं अब ताजमल का विवाद कहां जाकर थमेगा। सवाल इस पर भी है कि ये ताजमहल ही रहेगा या ताजोमहल कहलाएगा ? यहां नमाज होती रहेगी या फिर शिव चालीसा भी होगी ?