क्‍या UPA में शामिल होगी शिवसेना ? राहुल गांधी को ‘पप्‍पू’ कहा तो सुलग उठेगी ‘सेना’

बीजेपी की पुरानी सहयोगी पार्टी शिवसेना के मिजाज लगातार बदलते जा रहे हैं। राहुल की खिल्‍ली उड़ाने वाली सेना को अब उनका पप्‍पू कहलाना पसंद नहीं।

New Delhi Oct 27 : पिछले करीब एक साल से भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच खटपट चल रही है। जहां तक मुझे याद पड़ता है दोनों पार्टियों के बीच खटास की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के एलान के बाद शुरु हुई थी। नोटबंदी के बाद ना जाने बीजेपी ने कौन सी शिवसेना की भैंस खोल दी कि पूरी की पूरी पार्टी उसके पीछे लाठी लेकर घूम रही है। अब तक तो सिर्फ बीजेपी के फैसलों का ही विरोध होता था लेकिन, अब शिवसेना विरोध से दो कदम और आगे बढ़ चुकी है। शिव सेना के नेताओं ने बीजेपी की धुर विरोधी पार्टियों के नेताओं की तारीफ शुरु कर दी है। शिवसेना संजय राउत ने सार्वजनिक मंच पर कहा कि कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी को पप्‍पू कहकर उनकी खिल्‍ली उड़ाना ठीक नहीं है। राहुल गांधी के भीतर देश का नेतृत्‍व करने की क्षमता है। ये वही शिवसेना है जो खुद 2015 तक राहुल गांधी की खिल्‍ली उडाया करती थी।

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साल 2015 में शिव सेना के नेताओं ने कहा था कि अगर देश में सौ राहुल गांधी भी आ जाएं तो वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला नहीं कर सकते हैं। लेकिन, दो साल में शिवसेना के हालात और तीन साल में राहुल गांधी के हालात बदल गए हैं। संजय राउत का कहना है कि आज से तीन साल पहले राहुल गांधी को पप्पू कहा जाता था लेकिन, अब हालात वैसे नहीं हैं। कांग्रेस पार्टी को राहुल गांधी के रूप में एक नेता मिल गया है। इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि अब देश में मोदी की लहर फीकी पड़ती जा रही है। संजय राउत ने दावा किया कि जीएसटी का सबसे ज्‍यादा विरोध गुजरात में ही हो रहा है। जिससे साफ है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। बीजेपी को गुजरात में विपक्ष से कड़ी टक्‍कर मिलेगी। अब संजय राउत के इस बयान का क्‍या मतलब निकाला जाए ?

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जिस तरह से संजय राउत ने कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी के लिए तारीफों के पुल बांधे हैं उससे ये सवाल तो उठने लाजिमी हैं कि क्‍या शिवसेना एनडीए का साथ जोड़कर यूपीए में शामिल होगी ? हालात तो कुछ इसी तरह के बनते हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि जब से शिवसेना और बीजेपी की दूरियां बढ़ी हैं सेना को लगातार महाराष्‍ट्र में सियासी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन सब के बाद भी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। अब पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को ही ले लीजिए। उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय के जरिए भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर निशाना साधा। उद्धव ठाकरे तो यहां तक कहते हैं कि नरेंद्र मोदी का उनके गृह राज्‍य गुजरात में ही कोई जनाधार नहीं हैं। अब भला इस तरह के झूठ को आम जनता कैसे पचा सकती है। उद्धव ठाकरे इस साल के शुरुआत में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल से भी मुलाकात कर चुके हैं।

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हालांकि गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए शिवसेना ने अब तक अपने पत्‍ते नहीं खोले हैं। लेकिन, संजय राउत ये जरूर कहते हैं कि उनकी मंशा गुजरात में भारतीय जनता पार्टी के लिए अपशकुन करने की नहीं है। संजय कहते हैं कि उनकी भाजपा के साथ कोई व्‍यक्तिगत लड़ाई नहीं है। ये लड़ाई वैचारिक है। केवल विरोध के लिए विरोध करना भी हमारा एजेंडा नहीं है। बेशक संजय राउत कुछ भी कहें लेकिन, इस वक्‍त शिवसेना की जो राजनीति चल रही है। उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि सेना ने भी ठान लिया है कि अब सिर्फ विरोध के लिए विरोध करना है। इसके लिए उसे चाहें कितनी भी हदों को पार ही क्‍यों ना करना पड़े। उद्धव ठाकरे एंड कंपनी अगर बीजेपी के विरोध की यही राजनीति अपनाती रही तो वो दिन दूर नहीं जब जूनियर ठाकरे आपको कांग्रेस के खेमे में बैठे हुए नजर आएंगे।