कश्‍मीर में अब रहम की भीख मांगेगे पाकिस्‍तान परस्‍त ‘पत्‍थरबाज’ प्रदर्शनकारी

कश्‍मीर में आपने आए दिन हिंसा की खबरें सुनी होंगी। ये भी देखा होगा कि किस तरह से पाकिस्‍तान परस्‍त पत्‍थरबाज प्रदर्शनकारी हंगामा करते हैं। लेकिन, अब ये सब नहीं चलेगा।

New Delhi Oct 28 : कश्‍मीर में शांति बहाली के केंद्र की मोदी सरकार और राज्‍य की महबूबा मुफ्ती की सरकार ने जो चक्रव्‍यू रचा था उसका असर अब दिखना शुरु हो गया है। केंद्र सरकार ने पहले कश्‍मीर में मौजूद आतंकियों और घुसपैठ करने वालों को ठिकाने लगाने के लिए ऑपरेशन शुरु किया। जिसके तहत हर रोज घाटी में मौजूद आतंकियों को ढूंढ-ढूंढकर मौत के घाट उतारा जा रहा है। आर्मी का ये ऑपरेशन तब तक जारी रहेगा जब तक घाटी में सभी आतंकियों का खात्‍मा नहीं हो जाता। इसके साथ ही टेरर फंडिंग केस में एनआईए ने कश्‍मीर के अलगाववादी नेताओं पर शिकंजा कसना शुरु किया। इस मामले में अब तक कई अलगाववादी नेताओं को सलाखों के पीछे भेजा जा चुका है। जबकि कईयों को भेजने की तैयारी चल रही है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने वार्ता की भी पहल शुरु कर दी। अब बारी कश्‍मीर के पत्‍थरबाज प्रदर्शनकारियों की है।

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दरअसल, आर्मी के ऑपरेशन में सबसे ज्‍यादा परेशानी इन्‍हीं पाकिस्‍तान परस्‍त पत्‍थरबाजों के प्रदर्शनों के दौरान होती है। लेकिन, राज्‍य की महबूबा मुफ्ती की सरकार ने अब इनसे भी सख्‍ती से निपटने की रणनीति बना ली है। जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने महबूबा मुफ्ती की सरकार के उस अध्यादेश को मंजूरी दे दी है जिसके तहत हड़ताल या फिर प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई प्रदर्शनकारियों से की जाएगी। पत्‍थरबाज प्रदर्शनकारियों पर जुर्माने के साथ-साथ पांच साल की सजा का भी प्रावधान किया गया है। जाहिर है प्रदर्शन के दौरान जो भी सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता पकड़ा जाएगा यकीन मानिए वो सरकार से सिर्फ और सिर्फ रहम की ही भीख मांगेगा। क्‍योंकि नुकसान की भरपाई में प्रदर्शनकारी भिखारी बन जाएंगे लेकिन, सरकारी नुकसान फिर भी पूरा नहीं होगा।

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दरसअल, महबूबा मुफ्ती की सरकार ने जम्मू-कश्मीर पब्लिक प्रॉपर्टी (प्रिवेंशन ऑफ डैमेज) (अमेंडमेंट) ऑर्डिनेंस, 2017 के तहत पब्लिक प्रॉपर्टियों के नुकसान से जुड़े मौजूदा कानूनों में बदलाव कर दिया है। जिसके बाद इस अध्‍यादेश को राज्‍य में तत्‍काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। सरकार के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ये अध्‍यादेश उन व्‍यक्तियों और संगठनों को प्रदर्शन के दौरान सरकारी और पब्लिक प्रॉपर्टी के नुकसान से रोकेगा, जो इस तरह की गतिविधियों में रहते हैं। दरसअल, राज्‍य में जब-जब अलगाववादी नेता और संगठन घाटी में बंद की कॉल करते हैं तो उसमें हिंसा जरूर होती है। बंद के दौरान अलगाववादी नेताओं के दिहाड़ी पत्‍थरबाज माहौल को खराब करने के लिए सुरक्षाबलों पर पथराव करते हैं इसके साथ ही पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाते हैं। कई बार प्रदर्शनों के दौरान सरकारी गाडि़यों को फूंका जा चुका है।

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सरकार का मानना है कि इस कानून से पब्लिक प्रॉपर्टी का नुकसान रुकेगा क्‍योंकि अब लोगों को पता है कि अगर वो ऐसा करते हैं तो ये दंडनीय अपराध है। इसके अलावा ऐसे अपराधों को अंजाम देने के लिए लोगों को उकसाने वालों को भी इस कानून के तहत सीधे-सीधे जिम्‍मेदार माना जाएगा। बंद, प्रदर्शन या फिर हड़ताल के दौरान अगर कोई भी पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाता पकड़ा गया तो उसे दो साल से लेकर पांच साल तक की कैद भी हो सकती है। ऐसे लोगों पर बाजार मूल्‍य के हिसाब से ही जुर्माना भी लगाया जाएगा। पहले इस कानून में सिर्फ सरकारी संपत्ति के नुकसान पर ही दंड का प्रावधान था। राज्‍य के इस नए अध्‍यादेश का सबसे ज्‍यादा असर घाटी के उन अलगाववादी नेताओं पर पड़ेगा जिनकी हमेशा ये मंशा रहती है कि हिंसा फैलाकर कश्‍मीर का माहौल बिगाड़ा जाए। ये अध्‍यादेश अब पाकिस्‍तान परस्‍त पत्‍थरबाज प्रदर्शनकारियों को भिखारी बना देगा।