सत्ता अगर चाहे तो ईमानदार अधिकारी आज भी मिल सकते हैं

भले ही आज के समय में अधिकारियों की मंशा पर शक किया जाता है, लेकिन अगर सरकार चाह ले तो उसे आज भी ईमानदार अधिकारी मिल सकते हैं।

New Delhi, Oct 28: इंडियन एक्सप्रेस’ में एक उद्योगपति के हवाले से एक सनसनीखेज बात छपी है।प्रदीप नामक उस उद्योगपति ने कहा है कि उसने एक सी.बी.आई.निदेशक पर खर्च करने के लिए मीट व्यापारी माईन कुरैशी को 5 करोड़ रुपए से भी अधिक दिए थे। उस व्यापारी के खिलाफ सी.बी.आई.ने केस चला रखा था।उसे उस मामले में सी.बी.आई. से मदद की दरकार थी। याद रहे कि कुरैशी गत अगस्त में गिरफ्तार हुआ ।उस पर काले धन को सफेद करने का आरोप है। कुरैशी उस निदेशक का मित्र है।एक्सपे्रस ने उस निदेशक का नाम भी लिखा है।मैं नहीं लिख रहा हूं।केस आगे बढ़ने पर मैं भी लिखूंगा।  क्या यह संयोग था कि उसे सी.बी.आई.का निदेशक उस सरकार ने बनाया था जिस पर टू -जी ,कोयला घोटाला तथा इस तरह के कई अन्य महा घोटालों के आरोप लगे थे ?

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यह खबर पढ़कर मुझे अपने गांव के बगल के गांव के निवासी एक ऐसे ईमानदार अफसर राजदेव सिंह की याद आयी जिन्हें मोरारजी देसाई सरकार ने सी.बी.आई.का निदेशक बनाया था। पर, 1980 में सत्ता में आते ही इंदिरा गांधी सरकार ने राजदेव सिंह को हटा दिया था।राजदेव सिंह की जगह जिसे निदेशक बनाया,वह उच्चस्तरीय निदेश पर बिहार का चर्चित बाॅबी हत्याकांड मुकदमे को खा गया क्योंकि उसमें सत्ताधारी नेता फंसे हुए थे। हालांकि उससे पहले इंडियन एक्सप्रेस के एक लेख में राजदेव सिंह पर आरोप लगाया गया था कि उनकी सहानुभति इंदिरा परिवार के प्रति रही, इसीलिए इंदिरा गांधी के मेहरौली फार्म हाउस की सी.बी.आई.ने तब ठीक से तलाशी नहीं लेने दी थी ।

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हालांकि जहां तक मेरी जानकारी है कि उसके अनुसार राजदेव सिंह किसी को बचाने या फंसाने वाले अफसर नहीं थे।पर ऐसे अफसर तो कुछ सत्ताधारी नेताओं को पसंद ही नहीं आते।पसंद आते तो सी.बी.आई. को कभी-कभी सरकार का तोता नहीं कहा जाता। सारण जिले के दिघवारा के पास स्थित राजदेव सिंह के गांव मठिया के उनके बुजुर्ग पत्रकार मित्र ने मुझे काफी पहले एक चिट्ठी दिखाई थी। वह चिट्ठी राजदेव सिंह की हस्तलिखित थी।आई.पी.एस.बनने के बाद भी राजदेव बाबू ने किसी खास परिस्थिति में अपने उस पत्रकार मित्र से कुछ कर्ज ले रखा था।पत्र मेेंं उन्होंने लिखा था कि आपका कर्ज मैं अब चुका दूंगा, क्योंकि मुझे कुछ भत्ता मिलने वाला है।

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ऐसे ही एक अन्य ईमानदार व सरल अफसर दीनेश्वर शर्मा की चर्चा बिहार वाणिज्य मंडल के एक नेता एन.के.ठाकुर ने व्हाट्सेप पर की है। बिहार के गया जिले केhonest बेला गंज अंचल के पाली गांव के मूल निवासी दीनेश्वर शर्मा जब गांव आते हैं तो कंधे पर गमछा रख कर अपने खेतों में काम करते पाए जाते हैं। बेहद सरल और ईमानदार शर्मा जी जनवरी , 2015 से दिसंबर 2016 तक आई.बी. के प्रधान रहे।अब कश्मीर में वात्र्ताकार नियुक्त किए गए हैं। यानी, हमारे सत्ताधारी नेता चाहें तो आज भी जहां -तहां उन्हें ईमानदार व कत्र्तव्यनिष्ठ अफसर मिल सकते हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)