श्रीश्री रविशंकर को किसने दिया राम मंदिर में मध्यस्थता का हक ?
श्रीश्री रविशंकर ने अपनी ओर से राम मंदिर विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की पहल की है। लेकिन, अब इस पर विवाद शुरु हो गया है।
New Delhi Oct 31 : अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद वैसे तो सदियों से चला रहा है। देश की शायद ही ऐसी कोई पीढ़ी हो जिसने इस विवाद को नजदीक से ना देखा हो। मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। हर कोई चाहता हे कि राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद सुलझ जाए। आउट आफ कोर्ट सेटेलमेंट हो जाए। खुद सुप्रीम कोर्ट भी ये कह चुका है कि अगर अदालत के बाद इस मसले पर कोई समझौता होता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन, देश में कई ऐसे संगठन है जो नहीं चाहते हैं कि ये मसला सुलझे। इन सबके बीच आध्यात्मिक गुरू श्रीश्री रविशंकर ने इस मसले पर मध्यस्थता की पहल की है। मंगलवार को इसी पहल के चलते उत्तर प्रदेश सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने श्रीश्री रविशंकर से मुलाकात भी की थी। लेकिन, अब श्रीश्री रविशंकर की मध्यस्थता की ये पहल ही विवादों के घेरे में आ गई है।
हिंदू महासभा ने राम मंदिर पर श्रीश्री रविशंकर की मध्यस्थता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हिंदू महासभा का कहना है कि श्रीश्री रविशंकर को इस केस में मध्यस्थता का कोई अधिकार ही नहीं है। वो किस हैसियत से इस केस में मध्यस्थता कर रहे हैं। हिंदू महासभा के लोगों का कहना है कि उनका ये कदम राजनीति से प्रेरित है। ऐसा नहीं है कि हिंदू महासभा ये चाहता है कि इस मसले का हल बातचीत के जरिए ना निकले। लेकिन, वो ये जरूर चाहता है कि अगर राम मंदिर पर कल को कोई समझौता होता है और समझौते की प्रति सुप्रीम कोर्ट में दी जाती है तो कम से कम उस पर सवाल ना खड़े हो। कोई भी राममंदिर या फिर मस्जिद का पक्षकार नहीं बन सकता है और ना ही अपनी ओर से समझौता कर सकता है। इस संबंध में हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव मुन्ना शर्मा ने बाकायदा एक बयान भी जारी किया है।
बयान जारी कर के ही हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव मुन्ना शर्मा ने श्रीश्री रविशंकर की मध्यस्थता का विरोध किया है। हिंदू महासभा की ओर से साफ शब्दों में कहा गया है कि श्रीश्री रविशंकर कभी भी श्रीराम जन्मभूमि मामले से जुड़े नहीं रहे हैं। इसके साथ ही उन पर ये भी आरोप लगाए गए हैं कि श्रीश्री ने कभी भी अपनी ओर से मंदिर बनवाने का कोई प्रयास नहीं किया और ना ही उन्होंने कभी इससे जुड़े किसी आंदोलन में हिस्सा लिया। हिंदू महासभा का तो यहां तक कहना है कि श्रीश्री रविशंकर ने तो कभी भी राम लला के दर्शन तक नहीं किए हैं। ऐसे में वो खुद को इस केस में कैसे मध्यस्थ्त घोषित कर सकते हैं। ये बेहद ही हास्यास्पद है। हिंदू महासभा का कहना है कि श्रीश्री रविशंकर सरीखे लोग ही इस मसले को ठंडे बस्ते में डालना चाहते हैं। जो ठीक नहीं है।
दरअसल, सबसे बड़ा सवाल ये भी है कि जब श्रीश्री रविशंकर राम जन्म भूमि केस के पक्षकार भी नहीं है तो वो फिर वो खुद को अपनी ओर से कैसे इस केस का मध्यस्थ्त घोषित कर सकते हैं। हिंदू महासभा की ओर से दो टूक शब्दों में कह दिया गया है कि उनकी ओर से कोई भी श्रीश्री रविशंकर को मध्यस्थ्त नहीं मानेगा। हिंदू महासभा का कहना है कि राम मंदिर केस में सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस में अखिल भारतीय हिंदू महासभा प्रमुख पक्षकार है। मुन्ना शर्मा ये भी कहते हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में निर्णय दिया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के भीतर भी उनकी जीत तय है। इससे पहले उत्तर प्रदेश सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी श्रीश्री रविशंकर से मुलाकात कर ये कह चुके हैं कि अयोध्या में सिर्फ मंदिर ही था मस्जिद नहीं था। हर कोई इस केस में शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं। बस कुछ मौलवी ही इसका विरोध कर रहे हैं। लेकिन, अब हिंदू महासभा की आपत्ति के बाद श्रीश्री रविशंकर की मध्यस्थता ही विवादों के घेरे में आ गई है।