गफलत की जिदंगी जी रहे हैं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ?

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को लगता है कि अगर वो बीजेपी का साथ छोड़ देंगे तो महाराष्‍ट्र में कमल की मट्टी पलीत हो जाएगी। जबकि हकीकत उलट है।

New Delhi Nov 01 : महाराष्‍ट्र की सियासत में घमासान जारी है। अपने भाई की पार्टी के पार्षदों को तोड़ने वाले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे आज भारतीय जनता पार्टी को नसीहत दे रहे हैं और कह रहे हैं कि ठीक लगे तो देख लो नहीं तो छोड़ दो। यानी उद्धव ठाकरे का कहना है कि अगर बीजेपी को ठीक लगता है तो वो उसके साथ गठबंधन जारी रखेंगे और नहीं लगता है तो उन्‍हें छोड़ देना चाहिए। शिवसेना को ये नसीहत देने से पहले खुद भी गठबंधन धर्म निभाने की कसम खा लेनी चाहिए। लेकिन, नेता जी ने तो बीजेपी के धान बोने की कसम खा रखी है। शिवसेना विकास के हर काम में रोड़े अटकाती है, केंद्र की एक भी योजना उद्धव ठाकरे को पसंद नहीं आती हैं। और तो और आज कल तो शिवसेना को राहुल गांधी में भी बड़ा नेता नजर आने लगा है। कोई उन्‍हें पप्‍पू कहे ये बात शिवसेना को रास नहीं आती है।

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इतना ही नहीं उद्धव ठाकरे को लगता है कि अगर बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूटा तो कम से कम महाराष्‍ट्र में तो भारतीय जनता पार्टी की मिट्टी पलीत हो ही जाएगी। लेकिन, ये उद्ध ठाकरे की गलफहमी है। उन्‍हें हकीकत को समझना चाहिए। खैर देर-सवेर समझ में आ ही जाएगा। दरसअल, महाराष्‍ट्र में देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने अपने तीस साल पूरे कर लिए हैं। इसी मौके पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में संपादकीय लिखा और बीजेपी पर खुद को बदनाम करने का आरोप लगाया। सामना के संपादकीय में लिखा है कि “उन्होंने जो किया, उनके कर्मों का फल महाराष्ट्र की जनता भोग रही है। फिर भी हम देवेंद्र फडणवीस को शुभकामनाएं दे रहे हैं। ठीक लगे तो देख लो, नहीं तो छोड़ दो। समझने वालों को इशारा काफी है।” मतलब शिवसेना के साफ संकेत हैं कि वो अब बीजेपी के साथ और ज्‍यादा दिनों तक निभाने के मूड में नहीं है।

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दरअसल, अभी कुछ दिनों पहले ही महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक कार्यक्रम में कहा था कि शिवसेना राज्‍य में हो रहे विकास के कामों में रोड़े अटका रही है। इसी बात पर अब फिर से दोनों के बीच रार शुरु हो गई है। सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने लाखों रूपए खर्च कर बड़े-बड़े इंटरव्यू दिए। इन इंटरव्‍यू में सरकार की नीतियों को बताने की बताए शिवसेना पर तंज कसा गया है। जबकि सरकार को अपने भविष्‍य के दृष्टिकोण को स्‍पष्‍ट करना चाहिए। शिवसेना का कहना है कि महाराष्‍ट्र की जनता में सरकार के प्रति बेचैनी है। अविश्‍वास की भावना है। राज्‍य की जनता सरकार से खुश नहीं है और बीजेपी इसका ठीकरा शिवसेना के सिर पर फोड़ती है। कहती है कि हम विकास में रोड़े अटका रहे हैं। शिवसेना ने पूछा है कि अगर हम रोड़े अटका रहे थे मुख्‍यमंत्री क्‍या कर रहे थे।

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शिवसेना ने बीजेपी पर एनसीपी से सांठगांठ का भी आरोप लगाया है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को लगता है कि बीजेपी दरवाजे के पीछे से शिवसेना के खिलाफ साजिश रच रही है। उनका कहना है कि शिवसेना का इतिहास बीजेपी के जन्‍म से भी पहले का है। शिवसेना कहना है कि उन्‍हें सरकार के सिर में कील ठोकनी पड़ेगी। बहुत सारी बातें हैं जो सामना में कहीं गईं हैं। जिसका लब्‍बोलुआब यही निकलता है कि उद्धव ठाकरे इन दिनों बड़ी गफलत और गलतफहमी में जी रहे हैं। आप सभी को बीएमसी के चुनाव भी याद होंगे। शिवसेना का ग्राफ कहां से कहां पहुंच गया था। ये भी याद होगा। उन चुनाव में शिवसेना ने अपनी ओर से गठबंधन तोड़ लिया था। इसके बाद एक भी चुनाव में शिवसेना अकेले अपने दम पर बढ़त हासिल नहीं कर पाई है। शिवसेना की महाराष्‍ट्र में तमाम इलेक्‍शनों में जीत जरूर हुई है लेकिन, ग्राफ नीचे गिरा है। ये बात उद्धव ठाकरे को समझनी चाहिए और अपने दिमाग में बिठा लेनी चाहिए कि जो वो कहेंग जनता वही मानेगी ऐसा हरगिज नहीं है। जनता खुद देखती-सुनती और सोचती है फिर फैसला लेती है।