अब राबड़ी देवी तय करेंगी उनसे कौन पूछताछ करे और कौन नहीं ?

लालू यादव का पूरा का पूरा परिवार इस वक्‍त तमाम भ्रष्‍टाचार के केस में घिरा हुआ। उनकी पत्‍नी राबड़ी देवी भी फंसी हुई है। जिनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

New Delhi Nov 03 : अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब बिहार की पूर्व मुख्‍यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की पत्‍नी राबड़ी देवी सलाखों के पीछे नजर आएंगी। लालू यादव के परिवार को केंद्रीय जांच एजेंसियों को हल्‍के में लेना भारी पड़ सकता है। पहले लालू यादव और उनके बेटे तेजस्‍वी यादव सीबीआई के नोटिस की अनदेखी करते रहे। लेकिन, जब सिर पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी तो बाप-बेटे दोनों ही सीबीआई हेडक्‍वार्टर पहुंच गए थे। वहीं काम अब राबड़ी देवी कर रही हैं। रेलवे टेंडर घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय राबड़ी देवी को पांच बार नोटिस जारी कर चुका है। उन्‍हें ईडी के सामने पेश होने का समन भेजा जा चुका है। लेकिन, हर बार राबड़ी देवी कोई ना कोई बहाना बनाकर प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ से बचती रही हैं। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय ने राबड़ी देवी को छठा नोटिस भी जारी कर दिया है।

Advertisement

लेकिन, राबड़ी देवी को लगता है कि प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ का कोई औचित्‍य ही नहीं है। उनका कहना है कि वो दिल्‍ली में प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश नहीं होंगी। राबड़ी देवी ने बताया कि उनसे रेलवे टेंडर घोटाले में आयकर विभाग पहले ही पटना में पूछताछ कर चुका है। ऐसे में उसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ का क्‍या मतलब है। राबड़ी देवी कहती है कि अगर एक ही मामले में आयकर विभाग उसने पूछताछ कर चुका है तो फिर प्रवर्तन निदेशालय को तो उन्‍हें समन भी नहीं भेजना चाहिए। यानी अगर हम राबड़ी देवी के पाले में खड़े होकर देखे तो उनका कहने का मतलब ये है कि किस घोटाले में उसने कौन जांच एजेंसी पूछताछ करे और कौन नहीं ये वो खुद ही तय करेंगी। इतनी बड़ी और गजब की बात वाकई लालू यादव के परिवार के लोग ही कर सकते हैं। जो जांच एजेंसियों को भी हलवा समझते हैं।

Advertisement

लेकिन, राबड़ी देवी को प्रवर्तन निदेशालय के इन नोटिसों की अनदेखी करना बहुत भारी पड़ सकता है। राबडी देवी को ये बात नहीं भूलनी चाहिए कि वो रेलवे टेंडर घोटाले में आरोपी हैं। सीबीआई उनके खिलाफ केस तक दर्ज कर चुकी है। ऐसे में अगर वो जांच एजेंसियों की इंक्‍वायरी में सहयोग नहीं करती है तो उनके खिलाफ जमानती या फिर गैर जमानती वारंट तक जारी हो सकता है। दरसअल, किसी भी मामले में जांच करने वाली जांच एजेंसियों को ये अधिकार होता है कि वो जब चाहें आरोपी को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुला सकते हैं। अगर आरोपी पूछताछ के लिए जांच एजेंसी के समक्ष पेश नहीं होता है तो वो संबंधित अदालत में आरोपी की गिरफ्तारी के लिए वारंट तक जारी करा सकते हैं। जिसमें पुराने नोटिसों का हवाला देकर अदालत को बयाता जाता है कि आरोपी उनकी जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। इसीलिए वो पूछताछ में भी शामिल नहीं हो रहा है।

Advertisement

वैसे भी राबड़ी देवी ये हरगिज तय नहीं कर सकती हैं कि कौन उसने पूछताछ करे और कौन नहीं। अगर लालू यादव का परिवार तमाम भ्रष्‍टाचारों के मामले में पूरी तरह पाक साफ है तो फिर इस परिवार के लोग जांच एजेंसियों के सामने जाने से डरते क्‍यों हैं। अगर राबड़ी देवी के मन में चोर और जांच एजेंसी के प्रति डर नहीं है तो फिर वो सात नवंबर को प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश क्‍यों नहीं होती। इससे पहले के नोटिस में वो कभी अपनी अस्‍वस्‍थता तो कभी छठ पूजा का बहाना बताकर पूछताछ से बचती रहीं हैं। लेकिन, कब तक। एक ना एक दिन तो उन्‍हें इसका सामना करना होगा। बस परिस्थितियां बदली हो सकती है। आज जांच एजेंसी समन भेजकर पूछताछ के लिए बुला रही है कल को हो सकता है कि अदालत वारंट जारी कर पहले गिरफ्तार कराए फिर रिमांड पर भेजकर पूछताछ हो। राबड़ी देवी के सामने दोनों ही विकल्‍प मौजूद हैं। अब उन्‍हें ही फैसला करना चाहिए कि वो किसे चुनना चाहती हैं।