हिमाचल चुनाव में कांग्रेस के दिग्‍गजों ने ही वीरभद्र सिंह से काटी कन्‍नी, शर्तिया हार तय

हिमाचल चुनाव में अब तक कांग्रेस हाईकमान ने मुख्‍यमंत्री वीरभद्र सिंह से दूरी बना रखी है। स्‍टार प्रचारकों की लिस्‍ट तो बनी लेकिन, पहुंचा एक भी नहीं।

New Delhi Nov 04 : हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के खेमे में सन्‍नाटा नजर आ रहा है। बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल में रैली कर चुके हैं। अमित शाह लगातार हिमाचल चुनाव में दहाड़ मार रहे हैं। जबकि कांग्रेस की ओर से मुख्‍यमंत्री वीरभद्र सिंह ऐकला चलो की राह पर दिखाई पड़ रहे हैं। हिमाचल चुनाव में उन्‍हें अकेले ही भारतीय जनता पार्टी के दिग्‍गजों का मुकाबला करना पड़ रहा है। वीरभद्र सिंह की सभाओं में भीड़ भी नहीं जुट रही है। चुनावी माहौल गरम होने की बजाए बेहद ठंडा नजर आ रहा है। ऐसे में कई सवाल भी उठने शुरु हो गए हैं। हिमाचल से लेकर दिल्‍ली तक ये पूछा जा रहा है कि क्‍या कांग्रेस पार्टी ने हिमाचल चुनाव से पहले ही अपने हथियार डाल दिए हैं। क्‍या कांग्रेस ने मान लिया है कि हिमाचल में उनका जीत पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है।

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दरअसल, इन सवालों के पीछे कई वजह हैं। पहली वजह ये है कि कांग्रेस पार्टी ने सबसे पहले हिमाचल प्रदेश में इस बात का एलान कर दिया कि उनकी ओर से वीरभद्र सिंह ही मुख्‍यमंत्री पद के दावेदार होंगे। जबकि ये कल्‍चर कांग्रेस में है नहीं। कांग्रेस चुनाव से पहले इस बात का एलान करने से हमेशा कतराती है कि वो उस राज्‍य में अपना मुख्‍यमंत्री का दावेदार किसे बनाएगी। ये परंपरा बीजेपी ने शुरु की थी। यानी एक तरह से देखे तो कांग्रेस हाईकमान ने हिमाचल चुनाव का पूरा जिम्‍मा वीरभद्र सिंह के ही कंधे पर रख दिया और खुद किनारे हो गए। इसके पीछे वीरभद्र सिंह और कांग्रेस पार्टी के बीच चली आ रही अनबन भी हो सकती है। हालांकि ये अनबन हिमाचल चुनाव से पहले ही शुरु हो गई थी। लेकिन, चुनाव में बात ना बिगड़े इसलिए इस पर खुलकर कोई भी बयानबाजी नहीं की गई। लेकिन, हर किसी को पता है कि वीरभद्र सिंह और कांग्रेस हाईकमान के बीच इन दिनों पट नहीं रही है।

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इसके अलावा कांग्रेस हाईकमान ने हिमाचल चुनाव के लिए अपने चालीस स्‍टार प्रचारकों की लिस्‍ट तो जारी कर दी। लेकिन, एक भी स्‍टार प्रचारक ने अब तक हिमाचल में झांकना भी मुनासिब नहीं समझता। इसके भी दो कारण नजर आ रहे हैं। या तो वीरभद्र सिंह की ओर से इन स्‍टार प्रचारकों के कोई कार्यक्रम ही शिड्यूल ही नहीं किया गया है। या फिर कांग्रेस के स्‍टार प्रचारकों की ओर से ही हिमाचल कांग्रेस को टाइम ना मिला हो। असल वजह क्‍या है इसका जवाब सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही दे सकती है। जवाब कुछ भी हो लेकिन, कांग्रेस पर इन सब का बुरा असर पड़ता हुआ नजर आ रहा है। हालांकि बताया जा रहा है कि छह नवंबर को कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी हिमाचल चुनाव में रैली करने वाले हैं। वो एक ही दिन में तीन रैलियों को संबोधित करेंगे। ऐसे में क्‍या माना जाए कि कांग्रेस पार्टी को लगता है कि राहुल गांधी आएंगे और जनता को चुनावी घुट्टी पिलाएंगे और जीत जाएंगे।

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हरगिज ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है। नौ नवंबर को हिमाचल चुनाव में मतदान होना है। सात नवंबर की शाम पांच बजे से चुनाव का शोर थम जाएगा। तीन तारीख गुजर चुकी है। ताकत झोंकने के लिए सभी दलों के पास अब सिर्फ चार, पांच, छह और सात तारीख का आधा दिन बचा हुआ है। बीजेपी ने यहां पर अपने केंद्रीय मंत्रियों की फौज उतार रखी है। संघ के कार्यकर्ता भी इस वक्‍त हिमाचल में डेरा जमाए हुए हैं। जबकि कांग्रेस नेता सिर्फ दिल्‍ली में बैठकर प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं। उन्‍हें लग रहा है कि शायद इसी तरह से चुनाव जीता जा सकता है। या फिर कांग्रेस पार्टी मान चुकी है कि वो किसी भी कीमत पर हिमाचल का चुनाव जीतने वाली नहीं है। इसलिए उसके नेताओं ने यहां पर मेहनत भी करनी बंद कर दी है। राहुल गांधी भी इसलिए यहां से दूरी बनाए हुए हैं कि ताकि हार का ठीकरा उनके सिर पर फोड़ा जाए।