पाटीदारों के बिखराव से टूटे हार्दिक पटेल, अब चली नई चाल

पाटीदार आंदोलन के मुखिया रहे हार्दिक पटेल इन दिनों सियासी जोड़तोड़ में लगे हुए हैं। जो पाटीदार समुदाय को रास नहीं आ रहा है। पटेलों में बिखराव हो गया है।

New Delhi Nov 05 : गुजरात विधानसभा चुनाव में हार्दिक पटेल को पाटीदार समुदाय की ठेकेदारी महंगी पड़ती जा रही है। उनका दूसरे दलों से मोलभाव पाटीदारों को तनिक भी नहीं भा रहा है। उनके साथी उन्‍हें छोड़-छोड़कर जा रहे हैं। पाटीदार आंदोलन में हार्दिक पटेल को लेकर फूट पड़ चुकी है। पटेल बिखर चुके हैं। ऐसे में अब हार्दिक पटेल का सियासी अस्तित्‍व ही खतरे में पड़ गया है। पाटीदारों की फूट से बैकफुट पर चल रहे हार्दिक पटेल ने अब एक नई चाल चली है। उन्‍होंने पाटीदारों में बिखराव की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है। हालांकि उनके सिर्फ खारिज करने से पाटीदारों का बिखराव रुकने वाला नहीं हैं। बहरहाल, अब हार्दिक पटेल अपनी सियासी जमीन को बचाने के दावा कर रहे हैं पाटीदार की दो मुख्य संस्था खोडलधाम और उमिया धाम ऊंझा उनके साथ हैं। जो इस आंदोलन की असली ताकत हैं। यानी जिन लोगों ने हार्दिक का साथ छोड़ा है वो उन्हें एक तरह से फर्जी और कमजोर बताना चाहते हैं।

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इस संबंध में रविवार को हार्दिक पटेल ने एक ट्वीट किया और इसी के जरिए ये दावा किया है कि खोडलधाम और उमिया धाम ऊंझा ही उनकी असली ताकत है। दरसअल, हार्दिक पटेल को ये सफाई इसलिए देनी पड़ रही है क्‍योंकि अभी पिछले हफ्ते ही पाटीदारों की छह मुख्‍य संस्‍थानाओं ने एक साथ आकर कोर कमेटी का गठन कर लिया था। इन लोगों ने हार्दिक पटेल को नकार दिया था। जिन संस्‍थाओं की ओर से कोर कमेटी बनाने की बात सामने आई थी उसमें उमिया माताजी संस्थान ऊंझा, खोडलधाम कागवड़ राजकोट, सरदार धाम अहमदाबाद, विश्व उमिया फाउंडेशन अहमदाबाद, समस्त पाटीदार समाज सूरत और उमिया माता संस्थान सिडसर शामिल थे। इन संस्‍थानों ने हार्दिक के आंदोलन को प्राइवेट आंदोलन करार दिया था। इतना ही नहीं इन संस्‍थाओं ने इस बात पर भी नाराजगी जाहिर की थी कि आखिर हार्दिक पटेल सभी पाटीदारों की ओर से दूसरे दलों के साथ सौदेबाजी कैसे कर सकते हैं।

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इस संगठन का कहना था कि हार्दिक का ‘पाटीदार अनामत आंदोलन समिति’ असल में ‘प्राइवेट अनामत आंदोलन समिति’ है। पाटीदारों की इन संस्‍थाओं ने हार्दिक की जमकर क्‍लास लगाई थी। लेकिन, अब हार्दिक अपनी लाज बचाते हुए नजर आ रहे हैं। हार्दिक ने दावा किया है कि उन्‍हें पाटीदारों की प्रमुख संस्‍थाओं का समर्थन हासिल है। हार्दिक का कहना है कि पूरे गुजरात में सिर्फ खोडलधाम और उमिया धाम ऊंझा ही मजबूत संस्‍था है। 99 फीसदी पाटीदार इन्‍हीं संस्‍था को मानते हैं। बाकी संगठनों का ना तो कोई वजूद है और ना ही उनके पास कोई ताकत है। यानी अब पाटीदार ही आपस में भिड़ गए हैं या फिर उन्‍हें भिड़ाने की कोशिश की जा रही है। हार्दिक कुछ भी कहें लेकिन, हकीकत ये है कि अब गुजरात के पाटीदार समुदाय के लोग अपने इस युवा नेता को पहचान गए हैं। उन्‍हें पता चल गया है कि वो गुजरात विधानसभा चुनाव में उनकी ताकत का फायदा उठाना चाहते हैं।

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पाटीदारों का कौन संगठन कहां पर मजबूत है जरा ये भी समझ लीजिए। खोडलधाम कागवड़ को सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में काफी ताकवर माना जाता है। यहां के पाटीदार लोग खोडियार माता को अपनी कुलदेवी मानते हैं। गुजरात के दो पटेल समुदायों में से एक कड़वा पटेल खोडियार माता की पूजा करते हैं। इस इलाके में कड़वा पटेल करीब 40 फीसदी हैं। जो सौराष्‍ट्र में बडा असर डालते हैं। वहीं गुजरात के उत्तर-मध्य हिस्से में लेउवा पटेलों का जोर है। यहां के पाटीदार उमिया माता को अपनी कुलदेवी मानते हैं। इनके संगठन का नाम उमिया धाम ऊंझा है। लेउवा पटेलों की संख्‍या यहां पर करीब साठ फीसदी है। यानी ये लोग भी अपने इलाके में निर्णायक की भूमिका में होते हैं। हार्दिक पटेल का कहना है कि ये दोनों ही संगठन उनके साथ है। यही उनकी ताकत है। हार्दिक कुछ भी कहें लेकिन, जमीन पर हालात जुदा-जुदा नजर आ रहे हैं। गुजरात का पाटीदार समुदाय ये कभी बर्दास्‍त नहीं कर सकता है कि उसके नाम पर सौदेबाजी हो। चाहें वो किसी भी संगठन से ही क्‍यों ना जुड़ा हो।