सौ फीसदी सफल रही नोटबंदी, इन आंकड़ों से क्‍यों भागता है विपक्ष ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन पर लगाम लगाने के लिए पिछले साल नोटबंदी का एलान किया था। जो सौ फीसदी सफल रही। आंकड़े इसके गवाह हैं।

New Delhi Nov 07 : पिछले साल आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात आठ बजे दूरदर्शन पर देश की जनता को संबोधित करते हुए बहुत बड़ा फैसला लिया था। उन्‍होंने नोटबंदी का एलान कर दिया था और बता दिया था कि रात बारह बजे के बाद पांच सौ और एक हजार के नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे। इस एलान के साथ ही देश में जिन लोगों के पास ब्‍लैक मनी भरी पड़ी थी वो देखते ही देखते रद्दी के ढेर में तब्‍दील हो गई। जरा सोचिए उस वक्‍त उन लोगों के दिलों पर क्‍या गुजरी होगी जिनके कमरे कभी नोटों की गड्डियों से भरे रहते थे। उन लोगों को पता चल चुका था कि अब ये नोट किसी काम के नहीं रहे। हालांकि सरकार ने लोगों को मौका दिया और कहा कि वो अपने पास जमा धन बैंकों में जमा कराएं और जो टैक्‍स और पेनॉल्‍टी बनती है उसका भुगतान कर कार्रवाई से बचे। भतेरे लोगों ने ऐसा किया। जिसके बाद सरकार के पास 1.48 लाख करोड़ रुपए जमा हुए। नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा हुआ ये सबसे बड़ा अमाउंट था। लेकिन, विपक्ष इन पैसों की कभी कोई बात नहीं करता है।

Advertisement

विपक्ष हमेशा से मोदी सरकार पर ये आरोप लगाता है कि नोटबंदी ने देश को तोड़ दिया। लोगों को बेरोजगार कर दिया। हो सकता है कि नोटबंदी के बाद कई लोगों की नौकरी गई हो। लेकिन, हम ये भी यकीन से कह सकते हैं कि जिनकी नौकरी नोटबंदी के बाद गई होगी उन्‍हें अब तक रोजगार मिल चुका होगा। वैसे भी ये संख्‍या बहुत बड़ी थी। अगर नोटबंदी का देशव्‍यापी विरोध होता तो यकीन मानिए पिछले साल नोटबंदी के दौरान ना जाने कितने दंगे फसाद हो चुके होते। लेकिन, देश की जनता ने ब्‍लैक मनी के खिलाफ इस जंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ दिया। वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी पर जो संसद में बयान दिया था उसमें उन्‍होंने ये कहा था कि डिमोनिटाइजेशन के बाद 1.48 लाख बैंक खातों में कुल 1.48 लाख करोड़ रूपए जमा हुए। यानी हर खाते में औसतन तीन करोड़ तीस लाख रुपए जमा किए गए। तय रकम से ज्‍यादा जिन लोगों ने पैसा बैंकों में जमा किया उन्‍हें पेनॉल्‍टी और टैक्‍स भी चुकाना पड़ा। यानी सरकार के पास एक बड़ा अमाउंट पहुंच चुका था। जिसे कुछ लोगों ने दबा रखा था।

Advertisement

इस रकम का मतलब आप समझते हैं ना। अगर नहीं समझते हैं तो देखिए कि 1.48 लाख करोड़ रुपए में कितने जीरो निकलेंगे। जिसका जिक्र आज तक विपक्ष ने नहीं किया। हमें ये बात कहने में कोई हर्ज नहीं है कि नोटबंदी के बाद बैंकिंग सिस्‍टम में बड़ा अमाउंट वापस आया। जबकि बहुत से लोगों ने कार्रवाई के डर से नोटों को ही नष्‍ट कर दिया। ओवरऑल अगर देखा जाए तो नोटबंदी के दौरान 1.09करोड़ बैंक खातों में रकम जमा कराई गई। यानी हर अकाउंट में औसतन पांच लाख रुपए जमा हुए। जो अब तक सरकार के पास नहीं था। चंद महीनों के भीतर ही दो तिहाई पैसा बैंकिंग सिस्‍टम में वापस आ गया था। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक कुल 15.3 लाख करोड़ रूपए की वैल्‍यू वाले नोट वापस बैंकिंग सिस्‍टम में लौटे। यानी 99 फीसदी पैसा सरकार के पास वापस आ चुका था। ऐसे में कौन सा अर्थशास्‍त्री ये कहेगा कि नोटबंदी पूरी तरह विफल रही। ये बात सिर्फ विपक्ष के ही अर्थशास्‍त्री कर सकते हैं। जिनका खुद का बजट गड़बड़ाया होगा।

Advertisement

नोटबंदी कालेधन के खिलाफ कड़ा प्रहार था। इस दौरान सरकार को डिमोनिटाइजेशन के बाद बंद हुईं तीन लाख कंपनियों में से पांच हजार कंपनियों के खातों में चार हजार करोड़ रुपए की जानकारी का पता चला।देश में आजतक इतना पैसा एक साथ सरकार के पास नहीं पहुंचा। फिर भी राहुल गांधी और ममता बनर्जी सरीखे नेता कहते हैं कि नोटबंदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी भूल थी। यकीन मानिए अगर देश की जनता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी का फैसला नहीं सुहाता तो वो मोदी सरकार को अर्श से फर्श पर लाने में देर नहीं लगाती। इस पर हंगामा तब भी सिर्फ राजनैतिक गलियारों में हुआ और आज भी वहीं पर हो रहा है। विपक्ष आठ नवंबर को ब्‍लैक डे मना रहा है। लेकिन, विपक्ष को जनता को ये जवाब देना होगा कि वो ब्‍लैक डे क्‍यों मना रहा है क्‍या वो ब्‍लैक मनी के समर्थन में हैं। क्‍या उनका अपना निजी नुकसान हुआ परेशानी इस बात की है। अगर विपक्ष जनता की बात करता है तो फिर जनता नोटबंदी के बाद मोदी के खिलाफ सड़कों पर क्‍यों नहीं उतरती। क्‍यों बीजेपी को लगातार चुनावों में जीत हासिल हो रही है। नोटबंदी की तस्‍वीर कुछ है लेकिन, दिखाई कुछ जा रही है।