खुद कांग्रेस को राहुल गांधी पर भरोसा नहीं, हवा में किले बना रही है पार्टी

कांग्रेस को राहुल गांधी पर भरोसा नहीं है, गुजरात में पार्टी की रणनीति से ये साफ हो रहा है। क्या कारण है कि राहुल को फ्री हैंड देने के बाद भी बैसाखी का जुगाड़ किया जा रहा है।

New Delhi, Nov 11: राहुल लाओ देश बचाओ, ये नारे आज से नहीं बल्कि कई सालों से कांग्रेस के नेता गुनगुना रहे हैं। राहुल गांधी ना हो गए देश की इकलौती उम्मीद हो गए, हालांकि ये असमंजस है कि कांग्रेस के नेता पार्टी को बचाने के लिए राहुल को अध्यक्ष बनाने की मांग करते हैं या फिर देश को बचाने के लिए। देश राहुल किस तरह से बचाएंगे, देश पर क्या खतरा मंडरा रहा है ये गांधी परिवार की भक्ति में डूबे कांग्रेसी ही बता सकते हैं। जिनके पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि कांग्रेस की ये हालत क्यों हो रही है वो इस तरह की बड़ी बड़ी बातें करते हैं। बहरहाल राहुल को कांग्रेस की कमान देने की मांग कई सालों से हो रही है। हालांकि पर्दे के पीछे से वो कांग्रेस को चला रहे हैं। गुजरात में राहुल के निर्देश पर ही सारे काम हो रहे हैं। इसके बाद भी कांग्रेस को राहुल पर भरोसा नहीं है।

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अगर ये बात सामने आ रही है तो इसके पीछे कई ठोस कारण भी हैं। एक पार्टी को अपने सबसे बड़े नेता पर भरोसा होता है तो वो उसे बैसाखी का सहारा लेने के लिए नहीं कहती है। गुजरात में राहुल गांधी  यही कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अभी भी कांग्रेस अध्यक्ष हैं। उनके निर्देश पर ही कांग्रेस पार्टी राज्य में तीन बैसाखियों को साधने की कोशिश कर रही है। हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी, अल्पेश ठाकोर, ये तीन नेता जिनके बारे में कहा जा रहा है कि ये चुनाव में जीत हार का अंतर पैदा कर सकते हैं। इनमें से अल्पेश ठाकोर तो कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। जिग्नेश और हार्दिक के साथ राहुल सौदेबाजी में जुटे हुए हैं।

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क्या अब भी आपको लगता है कि कांग्रेस को राहुल गांधी की क्षमताओं पर भरोसा है। अगर होता तो वो अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरते, जाति के समीकरण सुलझाने की कोशिश नहीं करते, लेकिन क्या करें 22 साल का सियासी सूखा खत्म करने के लिए ये सब करना ही है, इसके बाद भी गारंटी नहीं है कि सत्ता मिल ही जाएगी। कुल मिलाकर राहुल जिस तरह से आक्रामक हो कर प्रचार गुजरात में कर रहे हैं वो केवल ऊपरी दिखावा है, अंदरखाने कांग्रेस अपनी रणनीति पर काम कर रही है। हार्दिक पटल का ये बयान कि सोनिया गांधी पाटीदारों को आरक्षण के मुद्दे पर बात करेंगी, इस से साबित हो रहा है कि कांग्रेस को राहुल पर कितना भरोसा है।

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गुजरात में भले ही कांग्रेस कड़ी टक्कर देती दिखाई दे रही है लेकिन हालात  वैसे भी नहीं है जैसा कांग्रेस दिखाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस के मुताबिक गुजरात में उसकी लहर है, वो सरकार बनाने जा रही है, ये कैसे कोई मान ले, अमित शाह जैसे चुनावी रणनीति के धुरंधर और ब्रांड मोदी के होते हुए ये कैसे इतना आसान हो सकता है। यही कारण है कि राहुल भले मुद्दों के आधार पर बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस का खेल अंदर ही अंदर चल रहा है। वो जातिगत समीकरणों के सहारे गुजरात में सत्ता वापसी का ख्वाब देख रही है। उसकी ये चाल भी सामने आ चुकी है। विकास पागल हो गया कहने वाली कांग्रेस अब इस नारे का इस्तेमाल करने से डर रही है। इस से साबित हो रहा है कि गुजरात की जनता को आंकने में कांग्रेस से गलती हो गई है।