प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्‍ड ट्रंप ने तैयार कर ली है चीन की काट

मनीला में चल रहे आसियान सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप से मुलाकात की। हालांकि औचारिक मुलाकात सोमवार को होगी।

New Delhi Nov 12 : इस वक्‍त मनीला में आसियान सम्मेलन चल रहा है। जिसमें हिस्‍सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मनीला पहुंच चुके हैं। यहां आयोजित डिनर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के बीच मुलाकात हुई। हालांकि दोनों नेताओं की औपचारिक और आधिकारिक मुलाकात सोमवार को होगी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नरेंद्र मोदी और डोनाल्‍ड ट्रंप की मुलाकात पौने घंटे से लेकर एक घंटे तक हो सकती है। मोदी और ट्रंप की पिछले पांच महीने के भीतर ये दूसरी मुलाकात है। जिसमें कई महत्‍वपूर्ण मसले पर चर्चा होगी। माना जा रहा है कि मोदी और ट्रंप मिलकर चीन की काट तैयार करेंगे। चीन की भी नजर ट्रंप और मोदी की होने वाली आधिकारिक मुलाकात पर टिकी हुई है। लेकिन, खबर है कि चीन के खिलाफ भारत, अमेरिका, आस्‍ट्रेलिया और जापान एकसाथ आ गए हैं। ऐसे में ये मीटिंग काफी महत्‍वपूर्ण रहने वाली है।

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वैसे भी अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने अपनी साउथ एशिया की नीति में बदलाव किया है जिसमें उसका पूरा झुकाव भारत की ओर है। अमेरिका को भी ये पता है कि अगर उसे चीन पर काबू पाना है तो भारत को अपने साथ मिलाकर चलना होगा। चीन का रवैया पिछले कुछ महीनों में बहुत ठीक नहीं रहा है। डोकलाम जैसे मुद्दे सामने आ चुके हैं। जिस पर अमेरिका का पूरा सपोर्ट भारत को मिला है। इसके अलावा चीन के OROB की तर्ज़ पर ईस्ट एशिया को जोड़ने वाले नए मार्ग पर भी काम कर रहा है। इन सारे हालातों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्‍ड ट्रंप की मीटिंग बहुत महत्‍वपूर्ण है। माना जा रहा है कि भारत, अमेरिका, आस्‍ट्रेलिया और जापान ये चारों देश मिलकर चीन के बढ़ते दबदबे को चुनौती देंगे। चीन के दबदबे के खिलाफ ये चारों देश एक साथ हैं। भारत-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग और उसके भविष्य की स्थिति पर चारों देशों ने मनीला में पहली बार चतुष्कोणीय बातचीत भी की।

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दरअसल, चीन जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है और वो अपनी सैन्‍य ताकत बढ़ा रहा है। ऐसे में अगर उसे वक्‍त रहते काबू नहीं किया गया तो उसे पकड़ पाना मुश्किल होगा। वैसे भी इन चारों ही देशों के दीर्घकालिक वैश्विक हित इसमें जुड़े हुए हैं। दरअसल, चीन अपने महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट वन वेल्ट वन रोड यानी OBOR के जरिए पूरी दुनिया पर अपना दबदबा कायम करना चाहता है। साउथ चाइना सी पर भी उसका कई पड़ोसी मुल्‍कों के साथ विवाद चल रहा है। चीन चाहता है कि वो हिंद महासागर में भी अपना प्रभाव बढ़ाए। ऐसे में भारत, अमेरिका, आस्‍ट्रेलिया और जापान का ये नया मोर्चा काफी महत्‍वपूर्ण है। सबसे खास बात ये है कि इन्‍हीं सारे मसले पर इन चारों ही लोकतांत्रिक देशों के बीच पहली बार चतुष्कोणीय मीटिंग भी हुई। इस मीटिंग में आतंकवाद का मुद्दा भी काफी अहम रहा। चारों ही देश आतंकवाद के खिलाफ जंग के लिए प्रति‍बद्ध हैं।

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विदेश मंत्रालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में बताया गया कि भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान और के विदेश विभाग के अफसरों ने फिलीपींस में ये मीटिंग की। इस मीटिंग में इंडो-पसिफिक क्षेत्र में पारस्परिक हित के कई मसलों पर चर्चा की गई। विदेश मंत्रालय का कहना है कि मीटिंग के दौरान इंटरकनेक्टेड क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए आपसी सहयोग को बढ़ाने पर फोकस किया गया। चारों ही देशों ने इस बात पर अपनी सहमति जताई कि एक स्वतंत्र, खुला, समृद्ध और समावेशी भारत-प्रशांत क्षेत्र सभी मुल्‍कों और दुनिया के दीर्घकालिक हितों के लिए काम कर सकता है। सबसे खास बात ये है कि ये मीटिंग उस वक्‍त हुई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मनीला में आसियान सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने पहुंचे हैं। सीधे शब्‍दों में इसे ऐसे समझ लीजिए कि भारत, अमेरिका, आस्‍ट्रेलिया और जापान इन चारों ही देशों ने मिलकर चीन की खाट खड़ी करने का मन बना लिया है। चीन की दादागिरी किसी भी कीमत पर बर्दास्‍त नहीं जाएगी।