अयोध्या विवाद में सुलह की पहल में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने लगा दिया पलीता
अयोध्या विवाद में श्रीश्री रविशंकर की सुलह की कोशिशों में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पलीता लगा दिया है। उसे श्रीश्री रविशंकर की मध्यस्थता मंजूर नहीं।
New Delhi Nov 15 : अयोध्या विवाद में जिस बात का डर था वही हो गया है। आध्यामिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने तमाम विरोध के बाद भी इस मामले में सुलह की कोशिशें शुरु की थीं। लेकिन उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने उनकी तमाम कोशिशों में एक बार में ही पलीता लगा दिया है। बुधवार की ही सुबह श्रीश्री रविशंकर ने राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के विवाद को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। इसके बाद वो गुरुवार को अयोध्या जाने वाले हैं। श्रीश्री रविशंकर का कहना था कि वो अयोध्या जाकर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्षकारों से बात करेंगे। लेकिन, उनके अयोध्या पहुंचने से पहले ही सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उसने मुलाकात से ही इनकार कर दिया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने श्रीश्री रविशंकर की ओर से भेजे गए बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। यानी अब श्रीश्री रविशंकर सुन्नी वक्फ बोर्ड के किसी भी प्रतिनिधि से मुलाकात नहीं कर पाएंगे।
जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड इस केस में पक्षकार है। इतना ही नहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड ने श्रीश्री रविशंकर के प्रस्ताव को ठुकराया तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी उसका समर्थन किया। इन दोनों मुस्लिम बॉडीज का कहना है कि श्रीश्री रविशंकर के पास इस केस में कोई भी लीगल स्टैंड नहीं है इसलिए इस मुद्दे पर उनसे बातचीत का कोई मतलब ही नहीं बनता है। इसी वजह से उनके प्रस्ताव को ठुकराया जा रहा है। इससे पहले हिंदू महासभा की ओर से भी इसी तरह की बात की जा चुकी है। हिंदू महासभा ये भी ये कह चुका है कि आखिर श्रीश्री रविशंकर किस हैसियत से इस केस में सुलह की कोशिश कर रहे हैं। उनकी मध्यस्थता को कानूनी जामा नहीं पहनाया जा सकता है। इसके साथ ही हिंदू महासभा का ये भी कहना था कि श्रीश्री रविशंकर ना तो कभी इस मामले में पक्षकार रहे हैं और ना ही वो कभी राम मंदिर आंदोलन से जुड़े। सिर्फ पब्लिसिटी पाने के लिए वो ऐसा कर रहे हैं।
हालांकि दूसरी ओर उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड बातचीत के पक्ष में हैं। पिछले हफ्ते ही यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने श्रीश्री रविशंकर से मुलाकात की थी और कहा था कि अयोध्या में जहां मंदिर है वहीं बनाया जाएगा। मस्जिद को दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है। वसीम रिजवी का कहना था कि हम सभी लोग चाहते हैं कि इस विवाद का हल बातचीत के जरिए ही निकाल लिया जाए। हालांकि उस वक्त भी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने वसीम रिजवी और श्रीश्री रविशंकर की मुलाकात पर आपत्ति जताई थी। सुन्नी वक्फ बोर्ड के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा था कि हमने शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी के फार्मूले को एकपक्षीय बताकर खारिज कर दिया है। ऐसे में ये विवाद एक बार फिर लंबा खिंचता हुआ नजर आ रहा है। हालांकि एक बात है कि श्रीश्री रविशंकर से इस वक्त ना तो मुस्लिम पक्षकार खुश हैं और ना ही हिंदू।
ना जाने क्यों दोनों ही समुदाय के पक्षकारों को लग रहा है कि श्रीश्री रविशंकर इस केस में ख्याति हासिल करना चाहते हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि भी श्रीश्री रविशंकर को अपने निशाने पर ले चुके हैं। उनका कहना था कि श्रीश्री रविशंकर कोई संत नहीं हैं जिनकी बात मानी जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर बनवा पाना श्रीश्री रविशंकर के बस की बात नहीं हैं। फिलहाल, रविशंकर के प्रतिनिधियों ने पहले से ही अयोध्या में डेरा डाल लिया है। गुरूवार को सुबह 11 बजे वो भी अयोध्या पहुंच जाएंगे। देखना बेहद दिलचस्प होगा कि अयोध्या में रविशंकर को हिंदू और मुसलमानों के पक्षकारों से क्या रिस्पांस मिलता है। खासतौर पर भारतीय अखाड़ा परिषद और हासिम अंसारी बेटे का रिस्पांस देखने वाला होगा।