‘लाज’ बचाने वाले शरद यादव को ही धोखा देने में जुटे अहमद पटेल ?

गुजरात विधानसभा चुनाव में एक सवाल खड़ा हो गया है कि क्‍या कांग्रेस के चाणक्‍य अहमद पटेल जेडीयू के बागी नेता शरद यादव को धोखा दे रहे हैं ?

New Delhi Nov 16 : आप भी ये सोचकर हैरत में होंगे कि आखिर कांग्रेस पार्टी के वरिष्‍ठ नेता और सोनिया गांधी के राजनैतिक सलाहकार अहमद पटेल भला गुजरात विधानसभा चुनाव में जेडीयू के बागी नेता शरद यादव को कैसे धोखा दे सकते हैं। लेकिन, ऐसा होता हुआ नजर आ रहा है। असल मसला आपको तब समझ में आएगा जब आप फ्लैशबैक में जाएंगे। आपको गुजरात में राज्‍यसभा के चुनाव याद होंगे। अहमद पटेल कांग्रेस के उम्‍मीदवार थे। उस वक्‍त भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस से आए बलवंत सिंह राजपूत को अपना उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस में बगावत हो गई थी। अहमद पटेल की जीत पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। पटेल की हार तय थी। लेकिन, उस वक्‍त जेडीयू के बागी नेता शरद यादव उनके संकट मोचक बने थे। दरसअल, गुजरात में शरद यादव गुट के विधायक छोटूभाई वसावा ने अहमद पटेल को राज्‍यसभा चुनाव में पार्टी लाइन से हटकर वोट किया था। जिससे उनकी जीत तय हुई थी।

Advertisement

अहमद पटेल को इसके लिए शरद यादव और छोटूभाई वसावा का अहसान मानना चाहिए था। लेकिन, गुजरात में हालत तो मौकापरस्‍ती वाले दिख रहे हैं। दरसअल, जब से बिहार में नीतीश कुमार ने महागठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाई है तब से नीतीश कुमार और शरद यादव के बीच 36 का आंकड़ा चल रहा है। शरद यादव के गुट ने फैसला किया था कि गुजरात विधानसभा चुनाव में वो कांग्रेस को सपोर्ट करेगी। जबकि नीतीश कुमार का गुट बीजेपी के साथ है। इसी कड़ी में गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और शरद यादव की जेडीयू एक साथ सियासी रण में उतरने की तैयारी में है। लेकिन, अहमद पटेल की कथित दगाबाजी के चलते लग रहा है ऐसा हो पाना मुश्किल होता जा रहा है। दोनों ही दलों के बीच कई मसलों पर पेंच फंस गए हैं। ऐसे में अहमद पटेल और शरद यादव के रास्‍ते एक होने से पहले ही अलग-अलग हो सकते हैं।

Advertisement

दरसअल, बताया जा रहा है कि गुजरात में जेडीयू के कद्दावर नेता और विधायक छोटूभाई वसावा ही गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस से डील कर रहे हैं। छोटूभाई वसावा चाहते हैं कि चुनाव से पहले उनका कांग्रेस पार्टी से गठबंधन हो जाए। इसके लिए उन्‍होंने कांग्रेस पार्टी सामने कुछ शर्तें भी रख दी हैं। छोटूभाई वसावा राज्‍य में करीब एक दर्जन विधानसभा की सीटों पर अपने उम्‍मीदवारों को उतारना चाहते हैं। लेकिन, अहमद पटेल नहीं चाहते हैं कि छोटूभाई वसावा को दो से तीन सीटों से ज्‍यादा दी जाएं। कांग्रेस और शरद यादव गुट वाली जेडीयू में सबसे बड़ा पेंच सीटों के बंटवारे को लेकर ही है। बहुत मुमकिन हैं कि इस सूरत में छोटूभाई वसावा कांग्रेस से अलग होकर अपनी नई राह तलाश लें। लेकिन, अगर ऐसा होता है तो यही कहा जाएगा कि अहमद पटेल ने शरद यादव को धोखा दिया। वैसे भी कांग्रेस वसावा को बहुत भाव नहीं दे रही है।

Advertisement

कांग्रेस पार्टी के सिर पर इस वक्‍त तीन युवा नेताओं का जुनून सवार है। जिसमें हार्दिक पटेल, जिग्‍नेश मेवाणी और अल्‍पेश ठाकोर शामिल हैं। वसावा को उतना भाव नहीं दिया जा रहा है जितने के वो हकदार हैं। जिग्‍नेश मेवाणी और कांग्रेस की बढ़ती दोस्‍ती से भी छोटूभाई वसावा खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। छोटूभाई वसावा को गुजरात में आदिवासी समुदाय का दिग्‍गज नेता माना जाता है। राज्‍य की 27 विधानसभा सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं। राज्‍य में कुल 12 फीसदी आदिवासी वोटर हैं। ऐसे में इस समाज के नेता की अनदेखी करना कांग्रेस पार्टी खासतौर पर अहमद पटेल को बहुत भारी पड़ सकता है। बहरहाल, छोटूभाई वसावा को लेकर कांग्रेस पार्टी क्‍या फैसला लेती है देखना बेहद दिलचस्‍प होगा। देखते हैं राज्‍यसभा चुनाव में अहमद पटेल की लाज बचाने वाले वसावा से कांग्रेस वफा करती है या फिर धोखा देती है।