राहुल गांधी से बड़े नेता निकले हार्दिक पटेल और अल्पेश, उम्र और असर में बहुत आगे

गुजरात में राहुल गांधी तीन युवा नेताओं के सहारे जीत का ख्वाब देख रहे हैं। ये तीनो ही अपनी उम्र और सियासी असर के मामले में राहुल से बड़े नेता दिखाई दे रहे हैं।

New Delhi, Nov 16: गुजरात चुनाव में अभी तक कांग्रेस के लिए उम्मीद की जो किरण दिखाई दे रही है वो तीन युवा नेताओं से दिखाई दे रही है। हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर, जिग्नेश मेवाणी जो अपने अपने समुदायों के नेता हैं, वो कांग्रेस के साथ आने की तैयारी कर रहे हैं। अल्पेश ठाकोर को तो राहुल गांधी ने कांग्रेस में शामिल भी करा लिया है। इन तीन नेताओं का कद राजनीति में कितना है इस पर बहस हो सकती है लेकिन इन तीनों ने जितने कम समय में अपनी पहचान बनाई है वो चर्चा का केंद्र है। तीनों कांग्रेस के साथ आ रहे हैं। सीटों को लेकर बात चल रही है। हार्दिक का कद इतना बड़ा हो गया है कि अब कांग्रेस भी उनकी मांगें मान रही है। हार्दिक के 7-8 समर्थकों को कांग्रेस टिकट देने को तैयार हो गई है।

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इस बात से पता चलता है कि हार्दिक पटेल सियासी तौर पर कांग्रेस के लिए कितने अहम है। साथ ही अल्पेश ठाकोर जो ओबीसी नेता हैं उन्होंने भी अपने समर्थकों के लिए 10-15 टिकट मांगे हैं। इस पर कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि उन्हे इस शर्त से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि जो भी उम्मीदवार उतारे जाए वो जीतने लायक हों। कांग्रेस ने कहा है कि वो जल्दी ही गुजरात चुनाव के लिए उम्मीदवारों का एलान करेगी। इन दोनों के अलावा दलित नेता जिग्नेश मेवाणी का भी कहना है वो कांग्रेस का समर्थन करेंगे। दलितों को टिकट बंटवारे में प्रतिनिधित्व मिलेगा, इसके लिए कांग्रेस तैयार होती दिख रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को ऐसे कैंडिडेट उतारने चाहिए जो दलित, ओबीसी और पाटीदार तीनों समुदायों को स्वीकार्य हों।

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इन तीनों की ये बातें और कांग्रेस द्वारा इनकी शर्तें मानने से साफ हो रहा है कि ये तीनों कांग्रेस के लिए कितने अहम है। इसी के साथ सोशल मीडिया पर एक नई बहस शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि गुजरात के तीनों युवा नेता अपनी उम्र और असर के मामले में राहुल गांधी से कहीं ज्यादा दमदार दिखाई देते हैं। ये तीनों ही राहुल से ज्यादा असरदार दिखाई दे रहे हैं, इसलिए ये कहा जा रहा है कि ये तीनों जब राहुल की उम्र तक पहुंचेंगे तो उनसे बड़े नेता साबित होंगे। हालांकि इस बारे में सोशल मीडिया पर हलचल तेज है। जिस अंदाज में राहुल अपनी सियासत कर रहे हैं, वो अभी तक अपने दम पर कांग्रेस को किसी चुनाव में जीत नहीं दिलवा पाए हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से राहुल को लगातार नाकामियों का सामना करना पड़ा है।

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युवा नेता हार्दिक पटेल भले ही फिलहाल सीडी कांड में फंसे हुए हैं। उसके बाद भी कांग्रेस उनकी मांग मान रही हैं। ये कांग्रेस की मजबूरी है कि उसके पास ऐसा कोई नेता नहीं है जो गुजरात का रण अपने दम पर जीत सके. विकास की बात करने वाले राहुल गांधी भी जातिवादी राजनीति के फेर में फंस गए हैं। गुजरात चुनाव राहुल के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं है, यहां पर वो आक्रामक दिखाई भी दे रहे हैं। प्रचार की शुरूआत से ही वो मोदी पर हमलावर हैं, लेकिन इन तीन युवा नेताओं का सहारा ले कर उस से केवल इन तीनों का ही सियासी कद बढ़ा है, राहुल तो जहां थे वहीं हैं। बस उनके तेवरों में कुछ बदलाव आया है।