पाटीदारों से उतरा हार्दिक पटेल का खुमार, अकेले पड़े तो याद आए अटल

हार्दिक पटेल को अब अहसास हो रहा है कि वो अकेले पड़ रहे हैं। कांग्रेस का साथ, अश्लील सीडी के कारण उनका असर पाटीदारों पर कम होता जा रहा है।

New Delhi, Nov 21: गुजरात विधानसभा चुनाव में किंग मेकर बनने की ताकत किसी में है तो वो हार्दिक पटेल हैं। साल 2015 में हार्दिक पहली बार चर्चा में आए थे, पाटीदार आरक्षण के नाम पर उन्होंने जो आंदोलन शुरू किया था। उस में उनकी पुकार पर लाखों लोग सड़क पर उतर आए थे। अहमदाबाद की रैली में पांच लाख के करीब लोग पहुंचे थे। इसी के बाद हार्दिक राष्ट्रीय परिदृश्य पर छा गए। उसके बाद से अब तक वो गुजरात की राजनीति में एक अहम चेहरा बन गए, हार्दिक और पाटीदारों की बीजेपी से नाराजगी को कांग्रेस ने भुनाने की रणनीति बनाई। इसके बाद हार्दिक शुद्ध राजनीति में आ गए। बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस का साथ देने का फैसला कर लिया। सियासत में उलझे हार्दिक अब खुद को अकेला पा रहे हैं।

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पाटीदारों से हार्दिक का खुमार उतरता दिख रहा है। एक के बाद एक पाटीदार आंदोलन के नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। बीजेपी ने पाटीदारों की नाराजगी को काफी हद तक दूर कर लिया है। सियासी शतरंज की बिसात पर हार्दिक मात खाते दिख रहे हैं। आंदोलन खड़ा करना अलग बात है और राजनीति में आकर विरोधियों को पस्त करना अलग बात है। ये बात हार्दिक को अरविंद केजरीवाल से सीख लेनी चाहिए थी। बहरहाल अब हार्दिक का दर्द छलकने लगा है। ट्वीट पर उन्होंने एख पोस्ट डाली है, जिस से पता चल रहा है कि वो कितना अकेले हैं। इस अकेलेपन में हार्दिक को बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की भी याद आने लगी है। पटेल समुदाय से खुद का असर कम होता देख हार्दिक को चिंता होने लगी है।

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हार्दिक ने ट्वीट करके एक कविता पोस्ट की है। जो इस तरह से है, वीरों की शहादत भी नजर ना आए, जरा सा याद कर लो अपने वायदे जुबान को,गर तुम्हे अपनी जुबां का कहा याद आए। इस कविता के जरिए क्या हार्दिक पाटीदार नेताओं को कोई संदेश देना चाह रहे हैं। इसके बाद हार्दिक ने अटल बिहारी बाजपेयी की कविता को पोस्ट किया। हार्दिक ने ट्वीट किया कि बाधाएं आती हैं आएगी, घिरे प्रलय की घोर घटा, पांवों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसे यदि ज्वालाएं,निज हाथों में हंसते हंसते, आग लगाकर जलना होगा, क़दम मिलाकर चलना होगा। इस कविता से साफ है कि हार्दिक को ये अहसास हो गया है कि पाटीदार समाज पर उनका असर कम हो रहा है। वो एक बार फिर से संघर्ष की बात कर रहे हैं। साथ चलने की बात कर रहे हैं।

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एक आंदोलनकारी जब राजनीति में आता है तो इस तरह के मुकाम आते हैं। हार्दिक पटेल पिछले 2 हफ्ते में ही पाटीदारों की नजर में अपना सम्मान और असर खोते दिखाई दिए हैं। पहले उनकी अश्लील सीडी सामने आई और उसके बाद कांग्रेस के समर्थन ने बाकी काम कर दिया। राजनीति के जानकार मानते हैं कि पाटीदारों की नाराजगी बीजेपी से काफी हद तक दूर हो गई है। हार्दिक के साथी उनका साथ छोड़कर बीजेपी में जा रहे हैं, इनमें केतन पटेल, रेशमा पटेल, चिराग पटेल और श्वेता पटेल जैसे युवा नेता शामिल हैं। गुजरात के सियासी जानकार मानते हैं कि पाटीदार बीजेपी के परंपरागत वोटर रहे हैं। वो कांग्रेस के साथ ज्यादा समय के लिए सेट नहीं हो सकते हैं। तो क्या मान लिया जाए कि पाटीदार समाज से हार्दिक की पड़ कमजोर हो गई है। कांग्रेस की लिस्ट के बाद जिस तरह से पाटीदारों ने हंगामा किया है उस से भी साफ है कि कांग्रेस उनको पर्याप्त सम्मान नहीं दे रही है।