राहुल गांधी के दुश्मन कांग्रेस के अंदर ही हैं, खत्म कर दी जीत की उम्मीद

राहुल गांधी सियासी विरोधियों के खिलाफ हमलावर हो रहे हैं। लेकिन उनको पार्टी के भीतर अपने दुश्मनों को पहचानना होगा, तभी वो कुछ कर पाएंगे।

New Delhi, Nov 23: कांग्रेस उपाध्यक्ष और भविष्य के अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है गुजरात का चुनावी रण जीतना, इसके लिए उन्होंने कुछ रणनीतियां बनाई थीं, मुद्दों के आधार पर बीजेपी और मोदी सरकार पर हमला करना। सोशल मीडिया टीम को भी एक्टिव कर दिया था। कुल मिलाकर लग रहा था कि वो पुरानी परंपरा को छोड़कर नए तरीके से इस बार गुजरात चुनाव को देख रहे हैं। कांग्रेस को राहुल की इन रणनीतियों का फायदा भी हुआ, पार्टी चर्चा में आी, अचानक से लगने लगा कि कांग्रेस में नई जान आ गई है। बीजेपी को पिछले 22 साल में पहली बार चुनौती मिलती दिख रही है। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन कांग्रेस के एक पुरानी आदत ने सब खराब कर दिया।

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कांग्रेस का इतिहास रहा है सेल्फ गोल करना का, खास तौर पर नरेंद्र मोदी के खिलाफ तो ऐसे हमले किए जाते रहे हैं जिनका फायदा तो दूर की बात नुकसान ही होता है। मौत का सौदागर से लेकर खून की दलाली तक, ऐसे बयानों से कांग्रेस को कितना नुकसान हुआ है इसके बारे में कोई भी आम कांग्रेसी बता देगा। कांग्रेस का गुजरात चुनाव प्रचार पटरी पर था, अचानक से युवा कांग्रेस की ऑनलाइन मैगजीन ने एक ट्वीट कर दिया, जिस में चायवाला कहकर मोदी का मजाक उड़ाया गया था। ए और ट्वीट किया जिस में मोदी की शादीशुदा जिंदगी को लेकर भद्दा मजाक किया गया था। ये दोनों ट्वीट कांग्रेस के लिए सेल्फगोल से कम नहीं हैं। सवाल ये है कि इन दोनों ट्वीट को किसने किया था। जिस ने भी ये ट्वीट किए वो राहुल गांधी का शुभेच्छु तो नहीं हो सकता है।

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राहुल कांग्रेस के अध्यक्ष बनने वाले हैं, सबसे पहले उन्हे ऐसे लोगों से निपटना होगा जो उनकी रणनीति पंचर कर रहे हैं। सवाल राहुल के सामने कई, विकास पागल हो गया के नारे का इस्तेमाल कांग्रेस ने बंद किया, इसके पीछे राहुल ने कारण बताया कि वो प्रधानमंत्री के पद की गरिमा का ख्याल करते हुए इस नारे का इस्तेमाल नहीं करेंगे, अब उन्ही की पार्टी ने मोदी का इतना बड़ा अपमान कर दिया है तो इसे राहुल कैसे संभालेंगे। रायता तो फैल गया है और फैलता ही जा रहा है, बीजेपी इसे अभी और फैलाएगी। कांग्रेस की जिस गलती का इंतजार बीजेपी कर रही थी, वो उसे मिल गई है। चाय वाला कहकर मजाक उड़ाना अब कांग्रेस को भारी पड़ता जा रहा है।

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यहां पर एक बात जो गौर करने वाली है वो ये है कि या तो कांग्रेसियों को राहुल पर भरोसा नहीं है, और अगर भरोसा है तो वो कुछ ज्यादा ही है। कांग्रेसियों को लगता है कि  राहुल कुछ भी कर सकते हैं तो इस ट्वीट से हुए नुकसान की भरपाई भी कर देंगे। वहीं कांग्रेस में एक तबका ऐसा भी है जो ये मानता है कि राहुल अभी उतने काबिल नहीं हुए हैं जो इस तरह की घटनाओं पर डैमज कंट्रोल कर सकें। कांग्रेस का एक खेमा ये मान रहा है कि ट्वीट विवाद से कोई नुकसान नहीं होगा। वहीं दूसरा खेमा ये मान रहा है कि नुकसान तो हो गया है, अब उस नुकसान के आंकलन का समय है कि वो कितना ज्यादा होगा। कुल मिलाकर राहुल गांधी को अध्यक्ष बनने से पहले पार्टी के अंदर छिपे इन दुश्मनों की पहचान करनी होगी, जिस से सेल्फ गोल की जो आदत कांग्रेस ने बरसों से पाल रखी है उस से छुटकारा मिल सके।