फिर गरजेंगे अन्ना हजारे, इस बार निशाने पर नरेंद्र मोदी, कितना होगा असर

जन लोकपाल और किसानों के मुद्दे पर अन्ना हजारे फिर से आंदोलन करने वाले हैं। इस बार उनके निशाने पर नरेंद्र मोदी की सरकार होगी। क्या आंदोलन का असर हो पाएगा।

New Delhi, Nov 30: कभी उनकी एक आवाज पर सत्ताधीशों की सांसें अटक जाया करती थी, उनके नाम से एक आंदोलन खड़ा हुआ था, जंतर मंतर से आंदोलन दिल्ली की सत्ता तक पहुंचा, अरविंद केजरीवाल उनकी वजह से ही मुख्यमंत्री बन पाए। वही अन्ना हजारे एक बार फिर से आंदोलन की राह पर हैं। इस बार निशाने पर मोदी सरकार है। अन्ना ने रालेगण सिद्धी से इसका एलान किया है। वो लोकपाल और किसानों के मुद्दे पर दिल्ली में फिर से आंदोलन करेंगे। उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि वो किसानों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करना बंद करे। उन्होंने कहा कि वो इन मुद्दों पर पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख चुके हैं। जिसका जवाब उन्हे आज तक नहीं मिल पाया है।

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अन्ना की इस चेतावनी को केंद्र सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए। 2011 में यूपीए सरकार के खिलाफ अन्ना हजारे ने जंतर मंतर पर ही 12 दिनों तक अनशन किया था। उस आंदोलन से दे का सियासी माहौल हमेशा के लिए बदल गया था। यूपीए को अगले लोकसभा चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा था। वहीं दिल्ली में भी कांग्रेस की सरकार को आम आदमी पार्टी ने उखाड़ फेंका था। अब अन्ना एक बार फिर से आंदोलन करने वाले हैं। देश भर के किसानों की समस्याओं को लेकर और लोकपाल के मुद्दे पर वो केंद्र सरकार को घेरेंगे। अन्ना ने कहा कि पिछले 22 साल में 12 लाख किसान अपनी जान दे चुके हैं। अन्ना का आंदोलन 23 मार्च से शुरू होगा।

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अन्ना ने बताया कि उनका आंदोलन 23 मार्च से क्यों शुरू होगा, क्योंकि वो शहीदी दिवस है। इस आंदोलन मं जन लोकपाल, किसानों के मुद्दे और चुनाव सुधार को लेकर सरकार से सवाल किया जाएगा। अन्ना ने बताया कि वो इन सारे मुद्दों पर पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख चुके हैं। लेकिन उन्हे जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा कि देश जानना चाहता है कि पिछले 22 के दौरान कितने कारोबारियों ने जान दी। वहीं लोकपाल के मुद्दे पर भी उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला किया। मोदी सरकार ने अभी तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं की है। आखिर लोकपाल की नियुक्ति में पेंच क्या है। क्या दिक्कतें आ रही हैं। केंद्र सरकार ने तकनीकी कारणों का हवाला दिया है। इन सारे मुद्दों पर अन्ना केंद्र सरकार के घेरेंगे।

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लोकपाल की नियुक्ति में सरकार तकनीकी कारणों का हवाला देती है, लोकपाल एक्ट के तहत लोकपाल के चयन के लिए प्रधानमंत्री, लोकसभा स्पीकर, लोकसभा में विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की कमेटी बनाई जानी चाहिए। फिलहाल लोकसभा में कोई भी विपक्ष का नेता नहीं है, इस लिए ये कमेटी नहीं बन पा रही है।सुप्रीम कोर्ट में अपने हलफनामे में भी केंद्र सरकार ने यही कारण बताया है। फिलहाल अन्ना हजारे पूरे जोश में दिखाई दे रहे हैं। सवाल ये उठता है कि अन्ना का आंदोलन कितना असरदार रहेगा। केजरीवाल के अलग होने के बाद अन्ना ने कुछ आंदोलन किए लेकिन वो देश का ध्यान अपनी तरफ नहीं खींच पाए। वहीं क्या जनता फिर से उसी तरह सड़कों पर उतरेगी, जैसा पहले हुआ था, जानकारों के मुताबिक इन बातों में संदेह है। समय तेजी से बदल चुका है। मोदी सरकार से जनता फिलहाल नाराज तो नहीं दिखाई दे रही है।