राहुल गांधी फजीहत से बचना है तो गुजरात से टिकट कटवा लीजिए

यूपी नगर निगम चुनाव में कांग्रेस पार्टी खासतौर पर राहुल गांधी की जो फजीहत हुई है उससे सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस कैसे गुजरात चुनाव जीतेगी।  

New Delhi Dec 02 : लोग कह रहे हैं कि उत्‍तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का सूपड़ा साफ हो चुका है। हम कह रहे हैं कि यूपी में कांग्रेस पार्टी का अस्तित्‍व ही नहीं बचा है। यूपी विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को पहले ही नकार चुकी है। फिर भी कांग्रेस पार्टी को गुमान है कि उनका जनाधार बचा हुआ है। यूपी नगर निगम चुनाव में कांग्रेस पार्टी के हर्ष का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राहुल गाधी के गढ़ अमेठी में भी कांग्रेस पार्टी अपनी लाज नहीं बचा पाई। ऐसे में अगर कांग्रेस पार्टी गुजरात में राज करने का सपना देखती है तो इसे अपराध ही माना जाएगा। जो राहुल गांधी अपने गढ़ को नहीं बचा पाए वो भला कैसे गुजरात जीत सकते हैं। इस बात का जवाब राहुल गांधी और उनके सिपहसलारों को देश की जनता को जरूर देना चाहिए। वैसे कहा तो यही जा रहा है कि अगर राहुल गांधी को फजीहत से बचना है तो उन्‍हें गुजरात से अपना वापसी का टिकट कटवा ही लेना चाहिए।

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इसमें कोई शक नहीं है कि कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी की छवि को बनाने में दिन रात एक किए हुए है। सोशल मीडिया के हर प्‍लेटफार्म पर राहुल की ओर से जब‍रदस्‍त फिल्डिंग और बैटिंग की जा रही है। लेकिन, सोशल मीडिया पर होने वाली आक्रामकता और वोटिंग में जमीन आसमान का फर्क है। सोशल मीडिया भोकाल तो बनाया जा सकता है लेकिन, जनता अपने भोकाल को सिर्फ मतदान के दिन ही दिखाती है। यूपी में एक साल के भीतर ही दो दो बार कांग्रेस की बुरी तरह फजीहत हो चुकी है। फिर भी ना जाने क्‍यों ये बात कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को समझ में नहीं आ रही है। अगर हम सिर्फ गुजरात की ही बात करें तो कांग्रेस पार्टी ने अभी दो महीने के भीतर के ही अपना प्रचार तेज किया है। जबकि इससे पहले पार्टी के नेता ठंडे बस्‍ते में पड़े हुए थे। अहमद पटेल के राज्‍यसभा इलेक्‍शन के बाद कांग्रेस ने गुजरात में तेजी दिखाई। जबकि शंकर सिंह वाघेला कब से चिल्‍ला रहे थे गुजरात में पार्टी को ताकत झोंक देनी चाहिए।

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शंकर सिंह वाघेला कांग्रेस से चले गए। लेकिन, किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। अब राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की पूरी की पूरी टीम को लगता है कि वो गुजरात चुनाव को निकाल लेंगे। लेकिन, जनता तो ये सवाल करेगी ही कांग्रेस अपने जिस युवराज के गढ़ में नगर निकाय का चुनाव नहीं जीत पाई वो भला कैसे गुजरात फतेह करेगी। कहने वाले कह सकते हैं कि गुजरात विधानसभा चुनाव को यूपी नगर निगम के चुनाव से कंप्‍येर करना ठीक नहीं है। कहने वाले ये भी कह सकते हैं कि नगर निगम के चुनाव स्‍थानीय मुद्दों पर लडे जाते हैं और विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय मसलों को भी चुनावी मुद्दा बनाया जा सकता है। कोई कुछ भी कहे लेकिन, ये बात माननी होगी कि यूपी नगर निगम के चुनावों में भी स्‍थानीय मुद्दों पर राष्‍ट्रीय मुद्दे भारी रहे। कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी जिन मुद्दों को लेकर गुजरात और यूपी में जनता के बीच पहुंची थी, उन्‍हीं मुद्दों को बीजेपी ने हथियार बनाया।

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जिस नोटबंदी और जीएसटी को कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी कोसते हैं बीजेपी उसी का इस्‍तेमाल कर चुनाव में कांग्रेस का सफाया करती जा रही है। जिससे एक बात तो साफ है कि जनता अभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी में अपनी आस्‍था जता रही है। नोटबंदी और जीएसटी का विरोध यूपी में कांग्रेस पार्टी को भारी पड़ चुका है। यही हाल रहा तो गुजरात विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी का सूपड़ा साफ होना तय है। क्‍योंकि जनता इस बात को अपने मन में बिठा चुकी है कि नोटबंदी से सबसे ज्‍यादा वो ही लोग परेशान हैं जिनके पास ब्‍लैक मनी थी और जीएसटी से वो लोग बैचेन हैं जो टैक्‍स चोरी करते थे। अब राहुल गांधी को ये तय करना है यूपी नगर निगम के चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद उन्‍हें गुजरात में अपनी रणनीति बदलनी चाहिए या फिर गुजरात से वापसी का टिकट ही कटवा लेना चाहिए।