शहजाद पूनावाला के जरिए कांग्रेस ने चली ढाई चाल, एक तीर और तीन निशाने

शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए राहुल के इलेक्शन को सेलेक्शन बताते हुए वंशवाद के आरोप लगाए, लेकिन क्या ये कांग्रेस की ही चाल थी।

New Delhi, Dec 02: कांग्रेस ने गुजरात में चुनाव जीतने के लिए जितनी तैयारी और रणनीति बनाई थी, उन पर पानी फिरता दिख रहा है। धर्म संकट में फंसे राहुल गांधी को अपने धर्म के बारे में बताना पड़ रहा है। जितना वो इस मामले में उलझेंगे कांग्रेस को उतना ही नुकसान होगा। इस बात का अंदाजा कांग्रेस को भी लग चुका है, इसलिए धर्म विवाद से जनता का ध्यान भटकाने के लिए कांग्रेस ने अलग ही रणनीति चल दी है। इस रणनीति का एक सिरा कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव से जुड़ा हुआ है। दरअसल अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 1 दिसंबर से शुरू हो रही है। कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए राहुल के अलावा कोई दूसरा नेता है ही नहीं, वंशवाद का जो सिलसिला चलता आया है उसी क आगे बढ़ाते हुए राहुल की ताजपोशी तय मानी जा रही है। इसी पर शहजाद पूनावाला नाम के कांग्रेसी नेता ने सवाल खड़े किए हैं।

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यहीं पर कांग्रेस ने खेल कर दिया है। शहजाद पूनावाला के बारे में कौन जानता है, बहुत कम लोग जानते होंगे कि शहजाद महाराष्ट्र कांग्रेस के सचिव रहे हैं। वो अक्सर टीवी डीबेट में कंग्रेस का बचाव करते दिखाई देते हैं। अब वही शहजाद कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को ड्रामा बता रहे हैं। आखिर शहजाद ने ऐसा आरोप क्यों लगाया है, वो क्यों कह रहे हैं कि अध्यक्ष पद का इलेक्शन नहीं सेलेक्शन हो रहा है, सारा चुनाव फिक्स है। शहजाद जिनकी आवाज पहले नहीं निकली अब गुजरात चुनाव के ठीक पहले वो इस तरह के सवाल उठा रहे हैं। इधर राहुल धर्म संकट में फंसे और उधर शहजाद ने अध्यक्ष पद को लेकर आरोप लगा दिए। कहीं कुछ तो गड़बड़ है, क्या ये कांग्रेस की चाल है जिसका शहजाद केवल एक प्यादा भर हैं।

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दरअसल शहजाद पूनावाला के आरोप से कांग्रेस को नुकसान कम और फायदा ज्यादा हो सकता है। इसके अलावा जिस तरह से शहजाद के भाई तहसीन ने इस आरोप के बाद अपने भाई से सारे राजनीतिक संबंध खत्म किए हैं वो भी ट्वीटर के माध्यम से वो भी किसी ड्रामे से कम नहीं लग रहा है। पहली बात तो ये है कि धर्म को लेकर विवाद में फंसे राहुल को इस आरोप से राहत मिलेगी। लोगों का ध्यान धर्म से हटकर कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव पर लग जाएगा। कांग्रेस भी पूरी ताकत से शहजाद के आरोपों का खंडन करेगी। इस से मीडिया का ध्यान भी इस ओर आएगा। अगर बीजेपी ने कांग्रेस पर इसको लेकर हमला शुरू कर दिया तो कांग्रेस की योजना कामयाब हो जाएगी। लेकिन बीजेपी इस चाल में फंसती दिखाई नहीं दे रही है, उसका मुख्य ध्यान राहुल के धर्म वाले विवाद पर ही है।

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शहजाद के आरोपों को कांग्रेस राहुल के लिए सहानुभूति के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकती है। कांग्रेस कह सकती है कि पार्टी में लोकतंत्र है, कोई भी अपनी बात कहने के लिए आजाद है। विरोधी सवाल नहीं उठा रहे हैं , लेकिन कांग्रेस के अंदर से ही खिलाफत की आवाजें उठ रही हैं। ये शक इसलिए भी गहरा हो रहा है कि शहजाद कांग्रेस की योजना में एक सैनिक हैं क्योंकि कांग्रेस ने शहजाद के आरोपों पर उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है। इस से पहले राहुल गांधी के खिलाफ बोलने वाले नेता को फौरन पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता था। कुल मिलाकर शहजाद के आरोप कांग्रेस के लिए वो तीर हैं जिनके सहारे वो तीन निशाने साधने की कोशिश कर रही है। अब वो कितना कामयाब रही है इस पर तो संदेह बना ही रहेगा।