EVM पर सवाल उठाने वालों की खुल गई पोल, झूठ बोल रही थी शबाना
यूपी निकाय चुनाव में जीरो वोट मिलने की बात कहकर EVM पर आरोप लगाने वाली शबाना का झूठ खुल कर सामने आ गया है. उसे 87 वोट मिले थे।
New Delhi, Dec 03: ये एक रिवाज बन गया है, हाल फिलहाल में हर चुनाव के बाद EVM पर सवाल उठाना परंपरा बन गया है। अगर बीजेपी जीत गई तो ईवीएम पर सवाल उठा दो, अगर कोई और दल जीत गया तो ईवीएम सही, यूपी निकाय चुनाव के बाद भी सपा और बसपा ने ईवीएम पर सवाल खड़े कर दिए, इसी के साथ एक निर्दलीय उम्मीदवार शबाना ने भी ईवीएम को लेकर बड़ा आरोप लगा दिया। शबाना ने सहारनपुर से पार्षद का चुनाव निर्दलीय लड़ा था। परिणाम आने के बाद शबाना ने दावा किया कि उनको कोई वोट नहीं मिला है, इसी को आधार बना कर शबाना ने ईवीएम पर सवाल खड़ा कर दिया। जीरो वोट मिलने की खबर को सभी दलों ने एक बड़ा मुद्दा बना कर बीजेपी पर हमला शुरू कर दिया।
अब इस पूरे घटनाक्रम की हकीकत सामने आ गई है। चुनाव आयोग की वेबसाइट देखने से पता चलता है कि शबाना ने झूठ बोला था। जीरो वोट की बात उस ने हार की बौखलाहट में उठाई थी। खुद उसके पति ने जीरो वोट की बात का खंडन किया है। शबाना ने जो आरोप लगाए थे, उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। सपा के साथ साथ प्रशांत भूषण और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी उसे रीट्वीट किया था। शबाना ने कहा था कि उसे एक भी वोट नहीं मिला ऐसा कैसे हो सकता है। उसका खुद का वोट तो उसे मिलना चाहिए था। अब उसके झूठ की पोल खुल गई है। चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक शबाना को 87 वोट मिले थे। प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल को उनके आरोपों का जवाब मिल गया होगा।
शबाना के पति इकराम के मुताबिक उनके वार्ड में 387 से 391 तक कुल 11 बूथ बने थे। उनके परिवार ने बूथ संख्या 388 में वोट डाले थे। 390 में एक, 392 में 9 और 393 में दो वोट डाले गए थे। इन वोटों को ईवीएम में दिखाया भी गया था। जिला निर्वाचन अधिकारी ने भी कहा कि शबाना को 87 वोट मिले हैं। इसी के साथ शबाना के झूठ का पर्दाफाश हो गया। उत्तर प्रदेश इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर पूरा डाटा मौजूद है। क्या ये उन लोगों के लिए एक सबक नहं है जो बिना सच्चाई जाने ही EVM पर सवाल खड़ा करने लगते हैं। मीडिया में सनसनी मचाने के लिए वो इस तरह के बयान देते हैं। ईवीएम की प्रमाणिकता एक बार नहीं कई बार साबित हो चुकी है। उसके बाद भी अपनी हार की जिम्मेदारी ईवीएम पर डाल देते हैं नेता।
ऐसा नहीं है कि चुनाव आयोग ने ईवीएम पर आरोप लगने के बाद कोई सफाई नहीं दी, आयोग ने तो सभी दलों को चैलेंज बी दिया था कि वो आएं और EVM को हैक करके दिखाएं, उस चैलेंज में ना तो केजरीवाल की पार्टी की तरफ से कोई पहुंचा, ना ही कांग्रेस की तरफ से कोई और ना ही मायावती की पार्टी की तरफ से कोई पहुंचा, सवाल ये है कि जब चुनाव आयोग कह रहा है कि ईवीएम को हैक कर दिखाओ तो वो चुनौती कोई स्वीकार नहीं करता है, लेकिन चुनाव में हार के बाद फिर से ईवीएम पर सवाल खड़े कर दिए जाते हैं। जनता के मन में ये धारणा बनाने की कोशिश की जाती है कि बीजेपी ईवीएम की मदद से जीत रही है। जनता को अब हकीकत समझ में आ गई है कि ये केवल हार की बौखलाहट में इस तरह के आरोप लगाते हैं।