चाबहार पोर्ट से चालाक चीन की हालत खराब, पाकिस्तान तो बौखला ही गया

चीन और पाकिस्तान की जोड़ी को भारत ने चाबहार पोर्ट के जरिए जवाब दिया है। चीन की सारी चालाकी धरी की धरी रह गई, पाक बौखला रहा है।

New Delhi, Dec 04: इसे कहते हैं नहले पर दहला, जिस आर्थिक गलियारे के दम पर चन भारत को घेरने की योजना बना रहा है, उस से पहले ही भारत ने चाबहार पोर्ट के जरिए उसे मुंहतोड़ जवाब दे दिया है। चाबहार से चीन की सारी चालाकी धरी की धरी रह गई, वहीं पाकिस्तान तो बौखला गया है। उसने रोना भी शुरू कर दिया है कि भारत चाबहार के जरिए उसे घेरने की योजना बना रहा है। ये सब क्यों हो रहा है ये जानना भी बहुत जरूरी है। दरअसल भारत और ईरान के सहयोग से बन रहा चाबहार बंदरगाह का पहाल चरण पूरा हो गया है, इसका उद्घाटन हाल ही में किया गया। ईरान के राष्ट्रपति चाबहार बंदरगाह पर नए बने विस्तार क्षेत्र का उद्घाटन किया। अब पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट की अहमियत कम हो जाएगी।

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दरअसल चाबहार पोर्ट चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए ही परेशानी का कारण बन गया है। भारत के लिए रणनीतिक तौर पर ये बहुत महत्वपूर्ण कदम है। चाबहार के जरिए भारत अब पाकिस्तान का रास्ता बचा कर ईरान और अफगानिस्तान के साथ एक आसान और नए व्यापारिक मार्ग पर व्यापार कर सकता है। चाबहार के विस्तार की जिम्मेदारी भारत ने ली है. इसके विस्तार के बाद इस पोर्ट की क्षमता तीन गुना बढ़ जाएगी। पिछले काफी समय से कूटनीतिक तौर पर भारत की साख से परेशान चीन ने पाकिस्तान से होकर गुजरने वाले आर्थिक गलियारे के निर्माण में पूरी ताकत झोंक रखी है। इसके जरिए चीन अपने शिनझियांग प्रांत को ग्वादर पोर्ट से जोड़ना चाहता है। इस प्रोजेक्ट को पाकिस्तान इस तरह से प्रचारित कर रहा है जसे उसकी सारी समस्याएं इस से खत्म हो जाएंगी।

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ग्वादर पोर्ट तक चन की आसान पहुंच भारत के लिए परेशानी का कारण बन रही है। इसके अलावा चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा बलूचिस्तान और पीओके से हो कर गुजर रहा है। ये भारत की सुरक्षा के लिए खतरा है। भारत इसके विरोध में लगातार आवाज उठा रहा है। अब चाबहार पोर्ट के विस्तार से भारत ने चन और पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है। इस पोर्ट के जरिए भारत मध्य एशिया तक सीधा रास्ता बनाएगा, जिस में पाकिस्तान का कोई रोल नहीं होगा। भारत, अफगानिस्तान और रूस के रिश्ते और मजबूत हो जाएंगे। अभी तक भारत को अभगानिस्तान के साथ व्यापार करने के लिए पाकिस्तान से होकर गुजरना होता था। लेकिन चाबहार बंदरगाह के खुलने के बाद अब भारत बिना पाकिस्तान गए ही अफगानिस्तान तक व्यापार कर सकेगा।

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केवल इतना ही नहीं, चाबहार के जरिए भारत के लिए नए बाजार का रास्ता भी खुल गया है। अब भारत यूरोप के बाजार तक अपना माल पहुंचा सकता है। जिसके लिए पहले पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट की जरूरत पड़ती थी। चाबहार बंदरगाह का सामरिक महत्व भी बहुत ज्यादा है। चाबहार और ग्वादर पोर्ट की दूरी केवल 100 किलोमीटर ही है।बता दें कि भारत ने पिछले साल ईरान के साथ करार किया था। जिसके तहत भारत ने 10 साल के पट्टे पर चाबहार में निवेश का करार किया था। इस बंदरगाह के जरिए भारत ने व्यापार भी शुरू कर दिया है। अफगानिस्तान को गेंहू इसी पोर्ट के जरिए भेजा गया था। कुल मिलाकर चाबहार का विस्तार भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और सामरिक बढ़त है।