कायम रही कांग्रेस की परंपरा, राहुल गांधी निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए

जो बात सबको पता थी, उसका एलान आखिरकार हो गया है, राहुल गांधी कांग्रेस के नए अध्यक्ष बन गए हैं। वो निर्विरोध चुने गए हैं। कांग्रेस की परंपरा कायम रही।

New Delhi, Dec 11: पूरा ड्रामा कंप्लीट हुआ, वंशवादी परंपरा को कायम रखने के लिए चुनाव का जो नाटक किया गया था, वो आखिरकार राहुल गांधी के निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने के साथ खत्म हो गया है। इसी के साथ कांग्रेस की कमान मां सोनिया गांधी के हाथ से बेटे राहुल के पास चली गई है। ये कांग्रेस का लोकतंत्र है, जिसे साबित करने के लिए चुनाव का नाटक किया गया था, जबकि पहले दिन से सभी को ये पता था कि राहुल के अलावा कोई अध्यक्ष बन ही नहीं सकता है। बहरहाल अब ये औपचारिक हो गया है, कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में रिटर्निंग अधिकारी मुलापल्ली रामचंद्रन ने इस बात का एलान किया। उन्होंने कहा कि राहुल के अलावा किसी ने नामांकन दाखिल नहीं किया था, इस लिए वो उनको अध्यक्ष घोषित करते हैं।

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इसी के साथ एक चक्र पूरा हो गया है, गांधी परिवार और कांग्रेस एक दूसरे के पर्याय रहे हैं। इस परिवार से राहुल गांधी छठे शख्स हैं जो अध्यक्ष पद पर काबिज हो रहे हैं। इसी के साथ कांग्रेस मुख्यालय में जश्न शुरू हो गया है। कांग्रेस मुख्यालय के बाहर भारी संख्या में समर्थक और कार्यकर्ता इस ताजपशी का गवाह बनने के लिए खड़े हैं। हालांकि कांग्रेस के कई नेता दबी जुबान में ये मान रहे हैं कि ये चुनाव नहीं बल्कि सेलेक्शन है। शहजाद पूनावाला ने तो खुल कर आरोप लगा दिया था कि राहुल की जीत के लिए कांग्रेस ने फर्जी डेलीगेट्स तयार किए हैं। ये चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया के नाम पर धब्बा है। शहजाद को इस आरोप की सजा के तौर पर पार्टी से बेदखल कर दिया गया।

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गांघी नेहरू परिवार का कांग्रेस पर सबसे ज्यादा समय तक राज रहा है। इसी को लेकर वंशवाद के आरोप लगते रहे हैं। बता दें कि सबसे पहले मोतीलाल नेहरू इस परिवार से कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। मोतीलाल नेहरू के बाद उनके बेटे जवाहर लाल नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष बने, जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी ने अपने पिता के बाद पार्टी की कमान संभाली थी। इंदिरा गांधी के बाद उनके बेटे राजीव गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने, राजीव गांधी से ये सिलसिला उनकी पत्नी सोनिया गांधी तक आया, जो सबसे लंबे समय तक कांग्रेस अध्यक्ष रहीं, अब उनके बेटे राहुल गांधी कांग्रेस के नए अध्यक्ष बन गए हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस की वशवादी परंपरा कायम रही और राहुल के खिलाफ किसी भी नेता ने नामांकन दाखिल नहीं किया।

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कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के साथ ही राहुल के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गी हैं। अध्यक्ष बनने से पहले भी वो पार्टी के सारे फैसले खुद करते थे, लेकिन वो परदे के पीछे रहकर बिना जवाबदेही के काम करते थे, लेकिन अब कांग्रेस की सारी जिम्मेदारी राहुल के ऊपर आ गई है। अबी तक राहुल को बचाने के लिए कोई ना कोई बलि का बकरा खड़ा हो जाता था, अब उनको हर हार और जीत की जिम्मेदारी खुद लेनी होगी। बतौर अध्यक्ष उनकी पहली परीक्षा हिमाचल प्रदेश और गुजरात के चुनाव हैं. इन दोनों राज्यों के नतीजे राहुल के भविष्य के बारे में बता देंगे. अगर जीत मिलती है तो राहुल का कद राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा हो जाएगा, और कहीं अगर कांग्रेस ये दोनों चुनाव हार जाती है तो इसकी जिम्मेदारी सीधे तौर पर राहुल की होगी।