मोदी ने निभाया मुस्लिम बहनों से किया वादा, क्राइम बना ट्रिपल तलाक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में ही इतनी ताकत थी कि वो मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिला पाते। ट्रिपल तलाक पर मोदी सरकार ने जो कहा वो किया।

New Delhi Dec 16 : देश को आजाद हुए 70 बरस गुजर चुके हैं। लेकिन, इन 70 सालों में आज तक किसी ने भी ट्रिपल तलाक पर मुस्लिम महिलाओं के दर्द को समझने की कोशिश नहीं की। जबकि हर दल मुसलमानों को वोट बैंक के तौर पर इस्‍तेमाल करते रहे हैं। कभी सांप्रदायिकता के नाम पर उन्‍हें ठगा गया तो कभी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर। लेकिन, पहली बार केंद्र की मोदी सरकार ट्रिपल तलाक के खिलाफ खड़ी हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरी सभा और सार्वजनिक तौर पर कहा था कि वो मुस्लिम महिलाओं के साथ अत्‍याचार नहीं होने देंगे। मुस्लिम बहनों को उनका हक जरुर मिलेगा। केंद्र की मोदी सरकार ने अपना वादा निभा दिया है। ट्रिपल तलाक को कानून बनाने के लिए इससे संबंधित बिल को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी दे दी गई है।

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जाहिर है इसका सीधा फायदा मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी को 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। अभी शुक्रवार की ही बात है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों का संरक्षण) बिल यानि ट्रिपल तलाक बिल को मंजूरी दी गई। सबसे खास बात ये है कि ये बिल इस शीतकालीन सत्र में बीजेपी के मुख्‍य एजेंडों में शामिल हैं। दोनों ही सदनों में बीजेपी के लिए इस बिल को पास कराने में भी ज्‍यादा दिक्‍कत नहीं होगी। राज्‍यसभा में थोड़ी दिक्‍कतें आ सकती हैं। लेकिन, लोकसभा में इस बिल का पास होना तय है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्‍यक्षता में बने ग्रुप आफ मिनिस्‍टर्स ने इस बिल को तैयार किया था। कानून बनने के बाद ट्रिपल तलाक को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा। जिसमें कड़े प्रावधान किए गए हैं।

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ट्रिपल तलाक के इस बिल में पीड़िता को ये अधिकार दिया गया है कि वो अपने और अपने नाबालिग बच्‍चों के गुजारा भत्‍ता के लिए मजिस्‍ट्रेट से गुहार लगा सकें। इतना ही नहीं ट्रिपल तलाक की पीडित महिला अपने नाबालिग बच्‍चों के संरक्षण का भी अधिकार मांग सकती है। जिस पर अंतिम फैसला मजिस्‍ट्रेट ही लेंगे। यानी अब अगर कोई भी व्‍यक्ति अपनी पत्‍नी को तीन बार तलाक कहेगा तो उसे गैर कानूनी माना जाएगा। इतना ही नहीं  लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजे गए ट्रिपल तलाक के संदेश को भी अपराध की ही श्रेणी में रखा जाएगा। दोषी पाए जाने पर ट्रिपल तलाक देने वाले पति को तीन साल तक की सजा सुनाइ्र जा सकती हे। कानून में कहा गया है कि ये गैर जमानती और संज्ञेय अपराध होगा।

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हालांकि ट्रिपल तलाक के खिलाफ ये कानून जम्‍मू-कश्‍मीर को छोड़कर पूरे देश में लागे होगा। ये बिल केंद्र सरकार की ओर से इसी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। केंद्र सरकार के इस बिल को अब तक आठ राज्यों का समर्थन मिल चुका है। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, झारखंड, असम, मणिपुर और छह अन्य राज्यों ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ केंद्र सरकार केइस बिल का समर्थन किया है। हालांकि बाकी राज्‍यों ने अब तक इस पर अपना जवाब सरकार को नहीं भेजा है। माना जा रहा है देर सवेर उनके जवाब भी केंद्र सरकार को मिल ही जाएंगे। लेकिन, राज्‍यों की ये लेट लतीफी कानून की राह में रोड़ा नहीं बनेंगे। दरअसल, हर राज्‍य ट्रिपल कानून में अपना नफा नुकसान तलाश रहे हैं।