लालू यादव ने तो राहुल गांधी को नकार दिया, याद आया पुराना दर्द

लालू यादव ने कहा कि अगला लोकसभा चुनाव राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा ये कहना जल्दबाजी होगी, लालू के मन में क्या चल रहा है।

New Delhi, Dec 17: एक तरफ कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता खुश हो रहे हैं, राहुल गांधी अध्यक्ष जो बन गए हैं। कांग्रेसियों को लग रहा है कि बीजेपी के खिलाफ भविष्य में कोई भी गठबंधन बनता है तो राहुल उसके सर्वमान्य नेता होंगे। यानि राहुल के नेतृत्व में ही विपक्ष मोदी के खिलाफ हुंकार भरेगा, कांग्रेसियों की सोच का आधार वही परिवारवादी परंपरा है जिसके दम पर राहुल अध्यक्ष बनें हैं। लेकिन इसी परिवारवादी सोच के एक और नेता हैं, जिन्होंने कांग्रेसियों के जश्न को ठंडा कर दिया है। लालू यादव ने राहुल को बधाई तो दी है लेकिन साथ ही ये भी कहा है कि अगला लोकसभा चुनाव राहुल के नेतृत्व में लड़ा जाएगा ये नहीं कहा जा सकता है।

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लालू यादव ने साफ कर दिया कि राहुल के अलावा भी विपक्ष में कई नेता हैं जो बीजेपी के खिलाफ गठबंधन का नेतृत्व कर सकते हैं। लालू ने कहा कि अगला लोकसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा इसका फैसला समय आने पर किया जाएगा। इसके लिए राहुल को सभी दलों से बात करनी होगी। लालू को शायद अपने पुराने दर्द याद आ गए होंगे, जब राहुल गांधी ने उस बिल को फाड़ दिया था जिस से दागी नेताओं को राहत मिल सकती थी। उसी के बाद से लालू चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो गए हैं। लालू ने राहुल की ताजपोशी के बाद भी कहा कि वो सोनिया गांधी से बात करना जारी रखेंगे। वो भले ही सन्यास लेने की बात कर रही हैं लेकिन उनको अभी कई काम करने हैं।

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लालू ने कहा कि भले ही सोनिया गांधी रिटायमेंट की बात कर रही हैं, लेकिन उन पर बड़ी जिम्मेदारी है, इसी के साथ राहुल पर भी जिम्मेदारी है, जिन पर उनको खरा उतरना होगा, लालू ने कहा कि वो सोनिया गांधी से बात करना जारी रखेंगे। इस से साफ हो रहा है कि लालू के लिए अभी भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। जाहिर है कि राहुल लालू से उम्र में काफी छोटे हैं, सियासी अनुभव में कहीं नहीं हैं। ऐसे में लालू की बात राहुल समझ पाएंगे, और क्या राहुल के साथ सीधे समझौते की बात करेंगे, अगर वो ऐसा करते हैं तो उनकी नई राजनीति पर प्रश्न चिन्ह लग जाएगा। भ्रष्टाचार के प्रतीक पुरुष के साथ राहुल गठबंधन कर रहे हैं, ये हेडलाइन बन जाएगी।

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लालू ने राहुल को क्यों नकारा इसके पीछए भी उनकी अपनी महत्वकांक्षा है। जिस परंपरा से निकल कर राहुल अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचे हैं, लालू भी उसी परंपरा के राही हैं। लालू अपने बेटे तेजस्वी को भविष्य में केंद्रीय राजनीति में देख रहे हैं। बिहार की राजनीति में तेजस्वी ने डिप्टी सीएम तक का तमगा हासिल कर लिया. बिहार में चुनाव में काफी समय है, उस से पहले लोकसभा के चुनाव होंगे, ऐसे में लालू के मन में भी ये तमन्ना होगी कि राष्ट्रीयट राजनीति में जो मुकाम वो हासिल नहीं कर पाएं वो उनका बेटा हासिल करे। हो सकता है कि इस लिए ही लालू पहले से भूमिका बना रहे हैं। कारण कुछ भी हो, अब देखना ये है कि क्या कांग्रेस वाकई राहुल गांधी के इशारों पर चलेगी या फिर परदे के पीछे से सोनिया गांधी को कमान संभालनी पड़ेगी।