गुजरात में आप की बत्ती गुल, अरविंद केजरीवाल फिर जला बैठे हाथ

गुजरात में खुद को बीजेपी का विकल्प बताने वाली आम आदमी पार्टी का हाल बुरा है। क्या अरविंद केजरीवाल एक बार फिर से अपने हाथ जला बैठे हैं।

New Delhi, Dec 18: गुजरात में कांग्रेस और राहुल गांधी की जोरदार मेहनत से बहुत पहले एक और ताकत के उभरने की बात की जा रही थी। दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी ने गुजरात में विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान काफी पहले ही कर दिया था। इसके लिए अरविंद केजरीवाल खुद गुजरात की यात्रा पर गए थे। लगने लगा था कि गुजरात में इस बार बीजेपी को मुश्किल का सामना करना पड़ेगा, हुआ भी वही, बीजेपी को मुश्किल तो आई लेकिन आप के कारण नहीं बल्कि कांग्रेस के कारण, तो क्या वजह है कि गुजरात में आप की खटिया खड़ी हो गई, बत्ती गुल हो गई, पार्टी के प्रदर्शन पर नजर डालें तो पता चलता है कि 20 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली आप अपनी जमानत भी नहीं बचा पा रही है।

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पहले गोवा फिर पंजाब उसके बाद दिल्ली एमसीडी में हाथ जलाने वाले अरविंद केजरीवाल को शायद इस बात का अंदेशा था कि उनकी पार्टी गुजरात में कुछ खास नहीं कर पाएगी, लिहाजा उन्होंने सभी सीटों पर लड़ने के बजाय 20 सीटों पर किस्मत आजमाने का फैसला किया था। उनको उम्मीद थी कि अगर कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करती है और सत्ता से कुछ कदम दूर रह जाती है तो वो उसके समर्थन से सरकार में शामिल हो सकते हैं। लेकिन उनकी ये योजना भी फेल हो गई। गुजरात में आप ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ा उनमें से कोई भी उम्मीदवार टॉप टेन में भी नहीं आ पाया है। ये केजरीवाल के लिए बहुत ही निराशाजनक नतीजे साबित हो रहे हैं। वो केजरीवाल जो डोर टू डोर अभियान चला कर बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने की बात करते थे।

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कई सीटें तो ऐसी हैं जहां पर आप उम्मीदवार निर्दलीय उम्मीदवार से भी पीछे हैं। ऐसे में सवाल ये है कि केजरीवाल ने क्या सोच कर गुजरात में चुनाव लड़ने का फैसला किया था। आप के ज्यादातर उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने का खतरा मंडरा रहा है। गुजरात में सूरत में चुनाव प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल ने हुंकार भरी थी। उन्होंने व्यापारियों की समस्याओं को खत्म करने का वादा किया था। दावा किया था कि वो किसानों और ग्रामीण इलाकों की समस्याओं को खत्म करने की दिशा में काम करेंगे। आम आदमी पार्टी को बीजेपी के विकल्प के तौर पर पेश करने की कोशिश फेल हो गई है। यहां तक कि केजरीवाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल पर भी हमला किया था। उन पर भी कई आरोप लगाए थे।

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गुजरात में मतदान से पहले केजरीवाल ने मतदाताओं से अपील भी की थी कि वो चाहे जिसे वोट कर दें लेकिन बीजेपी को किसी भी कीमत पर वोट ना करें, उनके इस बयान की जमकर आलोचना भी हुई थी। बीजेपी ने कहा था कि केजरीवाल पूरी तरह से कांग्रेसी हो गए हैं। वहीं सियासी जानकारों का भी कहना है कि आप ने केवल नाम के लिए उम्मीदवार खड़े किए थे। मुख्य मुकाबला पहले की तरह इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच में था। एक पार्टी के तौर पर आप विस्तार करना चाहती है, इसलिए वो गुजरात के चुनाव में उतरी थी। लेकिन उसे पहले दिन से पता था कि उसे कोई सीट नहीं मिलने वाली है। अब ये साफ हो गया है कि गुजरात में आप का लड़ना किसी काम नहीं आया, आप तो चर्चा में भी नहीं आ पाई, मुख्य मुकाबले की बात तो दूर है।