अखिलेश यादव को अब गठबंधन पर नहीं रहा भरोसा, कैसे बचाएंगे टोपी की लाज ?
राहुल गांधी के साथ गठबंधन कर यूपी विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त खाने वाले अखिलेश यादव को अब शायद गठबंधन पर भरोसा नहीं रहा है। जानिए क्यों।
New Delhi Dec 20 : करीब डेढ़ साल बाद यानी साल 2019 में लोकसभा के चुनाव होने हैं। जिस तरह से बीजेपी ने गुजरात में अपनी सत्ता बचाई और हिमाचल को कांग्रेस से छीन लिया है उससे बीजेपी विरोधी दलों में बैचेनी बढ़ गई है। बैचेनी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने की है। किसी को अभी ये समझ में नहीं आ रहा है कि वो गठबंधन करके मोदी के विजय रथ को रोकें या फिर अकेले अपने दम पर बीजेपी की राह में रोड़े अटकाएं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के भीतर भी यही कंफ्यूजन नजर आ रहा है। कहने को यूपी में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन है। लेकिन, विधानसभा चुनाव के बाद दोनों दलों ने ना तो निकाय चुनाव में गठबंधन का धर्म अपनाया और ना ही उपचुनाव में अपना रहे हैं। यानी एक तरह से देखा जाए तो विधानसभा चुनाव के साथ ही अखिलेश यादव और राहुल गांधी का गठबंधन भी खत्म हो गया। 2019 में मोदी के खिलाफ ये गठबंधन रहेगा या नहीं इस पर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। हालांकि अखिलेश यादव का कहना है कि उनका पूरा फोकस इस वक्त संगठन को मजबूत करने को लेकर है। 2019 में क्या समीकरण बनते है उसी के हिसाब से गठबंधन पर विचार किया जाएगा। ऐसी सूरत में तो साफ समझा जा सकता है कि दूध के जले अखिलेश यादव अब छाछ भी फूंक-फूंककर पीना चाहते हैं। वैसे भी अगर देखे तो मुलायम सिंह यादव कभी भी कांग्रेस के साथ गठबंधन के पक्षधर नहीं रहे। यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त भी जब अखिलेश यादव और राहुल गांधी गठबंधन करना चाहते थे उस वक्त भी मुलायम सिंह यादव ने इसका विरोध किया था। बाद तक वो इसका विरोध करते रहे थे। यहा तक की उन्होंनें गठबंधन वाली सीटों पर प्रचार तक करने से इनकार कर दिया था।
भविष्य में भी मुलायम सिंह यादव अखिलेश यादव और राहुल गांधी के गठबंधन पर राजी होंगे लगता नहीं हैं। हालांकि अब समाजवादी पार्टी में चलती सिर्फ अखिलेश यादव की है। मुलायम सिंह यादव दर्शक दीर्घा में बैठकर सिर्फ तमाशा ही देखते हैं। उनकी सुनता कोई नहीं है। वैसे गुजरात और हिमाचल के चुनावी नतीजों पर भी अखिलेश यादव का बयान सामने आया। हिमाचल पर वो चुप रहे लेकिन, गुजरात पर कांग्रेस की तारीफ की। खासतौर पर राहुल गांधी की। अखिलेश यादव का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से अपनी बात और मुद्दों को गुजरात की जनता के सामने रखा है उसका फायदा पार्टी को मिला है। पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले कांग्रेस की सीटों में काफी इजाफा हुआ है।
अखिलेश यादव के मुताबिक गुजरात में बीजेपी की कम सीटें आना बताता है कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी का पतन शुरु हो गया है। वो कहते हैं कि कांग्रेस का प्रदर्शन यहां बहुत ही अच्छा रहा। लेकिन, जब उनसे 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन के बारे में पूछा जाता है तो कांग्रेस पर उनका भरोसा डगमगाता हुआ नजर आता है। वो कहते हैं पहले हम अपना संगठन मजबूत करेंगे। चुनाव में गठबंधन से पहले जनता के मुद्दों को समझने की जरूरत है। इसके बाद ही कोई विचार होगा। यानी एक तरह से अखिलेश यादव अभी सिर्फ 2019 की तैयारियां ही कर रहे हैं। जबकि बीजेपी और विपक्ष में यही फर्क है। बीजेपी किसी भी चुनाव को लेकर सालों पहले से ही उसकी प्लानिंग कर उस पर अमल शुरु कर देती है। लेकिन, विपक्ष तो अभी गठबंधन के ही फेर में उलझा है।