पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का ‘कंधा’ अब कांग्रेस के बहुत काम आ रहा है

अपने सियासी जीवन के आखिरी पड़ाव पर मनमोहन सिंह का कंधा कांग्रेस के काम आ रहा है, जिस पर मुद्दों की बंदूक रख कर मोदी पर हमला किया जा रहा है।

New Delhi, Dec 20: देखिए दो बातें सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र हैं, गुजरात में भले कांग्रेस हार गई, लेकिन इन चुनावों में राहुल गांधी को मंदिर जाना सिखा दिया और मनमोहन सिंह को बोलना सिखा दिया। अरे ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं। खैर इन दोनों ही बातों में कुछ हद तक तो सच्चाई भी है. राहुल गांधी जो पहले मंदिर नहीं जाते थे, उल्टा ये कहते थे कि मंदिर में जाने वाले लोग लड़कियों को छेड़ते हैं, उन्होंने गुजरात में 27 मंदिरों का दौरा किया, दूसरी तरफ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जो अपने मौन के कारण मशहूर थे, वो अब बोलने लगे हैं, कांग्रेस ने गुजरात में उनसे भी प्रचार करवाया, मनमोहन ने नोटबंदी और जीएसटी को लेकर मोदी सरकार को घेरने का काम किया।

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गुजरात में प्रचार के केंद्र में अचानक से मनमोहन सिंह आ गए थे, जब पीएम मोदी ने कहा था कि पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री के साथ मणिशंकर अय्यर के घर एक बैठक हुई थी जिस में मनमोहन भी शामिल थे। इस को लेकर कांग्रेस बिदक गई, कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान भी मोदी पर जोरदार हमला किया, और अब संसद के शीतकालीन सत्र में भी मोदी के उस बयान को आधार बना कर हंगामा कर रही है।  जिसके कारण संसद की कार्यवाही बार बार बाधित हो रही है। चुनावी बयानों से हटने की बात करते हुए वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि इस तरह के मुद्दों को आपस में बैठकर सुलझा लिया जाएगा। लेकिन कांग्रेस के तेवर कम नहीं हो रहे हैं।

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कांग्रेस के नेता चाहे आनंद शर्मा हों या फिर गुलाम नबी आजाद सभी को अब मनमोहन से ज्यादा ईमानदार और देशभक्त नेता दिखाई नहीं दे रहा है। वो लगातार कह रहे हैं कि मोदी को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मोदी ने मनमोहन की देश के प्रति वफादारी पर सवाल उठाया है इस पर उनको माफी मांगनी चाहिए। खास बात ये है कि जब आनंद शर्मा और गुलाम नबी आजाद राज्यसभा में जोरदार तरीके से मोदी पर हमला कर रहे थे तो उस समय भी मनमोहन निर्विकार भाव से हाथ बांधे बैठे हुए थे। जैसे उनको इस बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ता है। इस बात में कोई दो राय नहीं कि मनमोहन सज्जन आदमी हैं, लेकिन इस में भी कोई शक नहीं कि उनके प्रधानमंत्री रहते हुए देश के सबसे बड़े घोटाले हुए हैं।

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जब तक मनमोहन प्रधानमंत्री थे, वो हमेशा सरकार के घोटालों का बचाव करते रहे, जब भी सवाल उठता तो वो मौन हो जाते थे। एक के बाद एक घोटाले यूपीए सरकार में उनकी नाक के नीचे हो रहे थे, लेकिन मनमोहन मौन थे, यहां तक कि उन्होंने सवालों का जवाब शेर से दिया कि हजार जवाबों से अच्छी मेरी खामशी थी। अपनी खामोशी के आवरण में वो क्या छिपा रहे थे। और कांग्रेस के नेता मनमोहन को लेकर इतने आक्रामक क्यों हो गए हैं, आनंद शर्मा और गुलाम नबी आजाद ने उस समय अपना विरोध क्यों नही जताया था, जब राहुल गांधी ने मनमोहन कैबिनेट द्वारा पास किया गया बिल फाड़ दिया था। क्या उस से मनमोहन की इज्जत बढ़ी थी। उस समय आक्रामक क्यों नहीं हुए थे जब मनमोहन ने खुद कहा था कि राहुल जब चाहें प्रधानमंत्री बन सकते हैं, मैं कुर्सी खाली कर दूंगा, बहरहाल ये सब पुरानी बातें हैं जो कांग्रेसियों को याद रखनी चाहिए, वहीं दूसरी तरफ भले अब मनमोेहन पीएम नहीं हैं लेकिन उनका कंधा कांग्रेस के काम आ रहा है, जिस पर बंदूक रख कर बीजेपी पर हमला किया जा रहा है।