चीन के जाल में फंसा मालदीव, ‘पानी’ की कीमत भूल मोदी से की ‘गद्दारी’

मालदीव की हरकतों से लगता है कि वो चीन के चक्‍कर में फंस गया है। यहां के एक न्‍यूजपेपर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ संपादकीय छापा है।

New Delhi Dec 21 : मालदीव चीन के प्रभाव में आ गया है। अब उसने भारत के खिलाफ चीन की भाषा बोलनी शुरु कर दी है। जिस तरह से चीन को जब किसी भी देश के खिलाफ बोलना होता है तो वो उसके विरुद्ध अपने मुखपत्र में संपादकीय छपवा देता है। कुछ इसी तर्ज पर अब मालदीव के एक न्‍यूज पेपर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ संपादकीय छापा है। इस अखबार को सरकार मुखपत्र माना जाता है। मालदीव के अखबार में छपे भारत विरोधी संपादकीय के बाद राजनैतिक भूचाल आ गया है। इस संपादकीय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कट्टर हिंदूवादी नेता बताने के साथ ही एंटी मुस्लिम भी बताया गया है। इस अखबार ने अब भारत की बजाए चीन को अपना बेस्‍ट फ्रेंड बताया है। कुल मिलाकर कहें तो मालदीव ने भारत के साथ बहुत बड़ी गद्दारी कर दी है।

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स्थानीय धिवेही भाषा में निकलने वाले इस न्‍यूज पेपर ने हिंदुस्‍तान को अपना सबसे बड़ा दुश्‍मन भी करार दिया है। इस अखबार को यहां के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन का मुखपत्र माना जाता है। मालदीव के इस अखबार के संपादकीय में भारत पर आरोप लगाया है कि उसने राष्ट्रपति यमीन सरकार के खिलाफ सैन्य तख्तापलट की साजिश रची थी। इसके साथ ही भारत पर श्रीलंका और कश्‍मीर में अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों के उल्‍लंघन का भी आरोप लगाया गया। वहीं दूसरी ओर इस अखबार के संपादकीय के खिलाफ मालदीव में ही विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए हैं। मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी की अगुवाई में यहां के विरोधी दलों ने ना सिर्फ संपादकीय बल्कि राष्‍ट्रपति अब्दुल्ला यमीन के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया।

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विपक्ष का भी यही कहना है कि ये अखबार राष्ट्रपति अब्‍दुल्‍ला यमीन का ही मुखपत्र है। इस अखबार में जब भी इस तरह का कोई संपादकीय छपता है तो उसे पहले राष्‍ट्रपति कार्यालय से मंजूरी लेनी होती है। राष्‍ट्रपति आफिस से मंजूरी मिलने के बाद ही संपादकीय छापा जाता है। जानकारों का कहना है कि राष्‍ट्रपति अब्‍दुल्‍ला यमीन ने चीन को खुश करने के लिए इस तरह का संपादकीय छपवाया है। मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री अहमद नसीम कहते हैं कि अब्‍दुल्‍ला यमीन का ये कदम ठीक नहीं है। भारत विरोधी इस तरह के लेख से उन्‍हें ही नुकसान होगा। अहमद नसीम का कहना है कि भारत हमारा पुराना दोस्‍त रहा है। अगर हम भारतीय मानकों के साथ चलेंगे तो दोनों ही देशों का भला होगा।

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मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और मौमून अब्दुल गयूम भी इस संपादकीय के खिलाफ हैं। वो भारत के साथ खड़े हो गए हैं। उनका कहना है कि हिंदुस्‍तान हमारा पुराना और सबसे अच्‍छा दोस्‍त रहा है। जबकि आज उसे सबसे बड़े दुश्‍मन के तौर पर प्रोजेक्‍ट किया जा रहा है जो ठीक नहीं है। पूरा देश इससे सहमत नहीं है। स्‍थानीय नेताओं का कहना है कि हमें कम से पानी के उस मोल को तो चुकाना चाहता था। जब समुद्र के बीच में रहते हुए हम पीने के पानी को तरस रहे थे उस वक्‍त सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही मदद की थी। वायु सेना के विमानों और नौसेना के पोतों के जरिए मालदीव को मिनरल वाटर की सप्‍लाई की गई थी। उस वक्‍त भारत ने 200 टन पानी यहां पर भिजवाया था। लेकिन, इस एहसान को भी मालदीव के राष्‍ट्रपति भूल गए हैं क्‍योंकि उन पर चीन का दुष्‍प्रभाव पड़ गया है।