असदुद्दीन ओवैसी देश को हरे रंग में रंगना चाहते हैं, कारण बताने की जरूरत है

असदुद्दीन ओवैसी ने इस बार जो बयान दिया है उस से पता चलता है कि वो हरे रंग के कितने बड़े प्रेमी है, फिर भी विवाद हो रहा है उनके बयान पर

New Delhi, Dec 23: देश में बोलने की आजादी है, जिसके मन में जो है वो बोल सकता है, खुद पीएम मोदी अपने मन की बात करते रहते हैं, इसके बाद भी कुछ लोग बोलने की आजादी की मांग करते हैं, उनका कहना है कि देश में असहिष्णुता बढ़ रही है, ये कौन सा तर्क हुआ, जिस देश में प्रधानमंत्री को कायर, मनोरोगी और नीच कहा जा सकता है वहां असहिष्णुता कैसे हो सकती है। बहरहाल देश में बोलने में उस्ताद लोगों की कमी नहीं है, कुछ हैं जो जब बोलते हैं हंगामा हो ही जाता है, उनको ये वरदान मिला है. जैसे असदुद्दीन ओवैसी, ये जब बोलते हैं तो बवाल हो जाता है, अब इस में इनका क्या कसूर है, ये भी तो अपने मन की बात बोलते हैं। अब ओवैसी का ताजा बयान ही सुन लीजिए।  

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प्रकृति प्रेमी इंसान हैं ओवैसी, देश में हरियाली लाना चाहते हैं, कह दिया कि देश को हरे रंग में रंगने की तमन्ना है। इस बयान पर भी विवाद हो गया है, खैर विवाद का कारण बताने की जरूरत नहीं है, वो आप की समझ के ऊपर है। पहले आपको बताते हैं कि असदुद्दीन ओवैसी ने ऐसा क्या है और क्यों वो अचानक से हरे रंग के प्रेमी बन गए हैं। हैदराबाद में एक कार्यक्रम के दौरान ओवैसी ने ये बयान दिया था। वो बोल रहे थे, लगातार बोल रहे थे, फिर उनके मुंह से निकला कि जब आप करें तो कुछ नहीं, लेकिन जब हम हरा पहनेंगे तो पूरा हरा कर देंगे, हमारे हरे रंग के आगे कोई नहीं टिकेगा, ना मोदी का रंग और ना कांग्रेस का रंग, किसी का रंग नहीं टिकेगा, सिर्फ हमारा हरा रंगा होगा, हरा, हरा और केवल हरा।

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देखिए कुदरत से, पर्यावरण से ओवैसी को कितनी मोहब्बत है। वो हरे रंग के कितने बड़े प्रेमी हैं, हर तरफ हरा करना चाहते हैं, पुरानी कहावत है कि सावन के अंधे को हरा ही हरा दिखाई देता है, लेकिन ओवैसी सियासत के अंधे और सियासत भी एक समुदाय की। जिस में हरा रंग काफी पवित्र माना जाता है। अब आपको समझ में आ गया होगा कि उनके बयान पर विवाद क्यों हो रहा है। ये पहला मौका नहीं है जब ओवैसी ने इस तरह का कोई विवादित बयान दिया है, इस से पहले भी उनकी जुबान से विवादित शब्द निकलते रहे हैं। कौन भूल सकता है कि जब ओवैसी ने नोटबंदी तक को धर्म से जोड़ दिया था। उनका कहना था कि नोटबंदी से एक खास समुदाय को परेशानी हो रही है।

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इसके अलावा भी असदुद्दीन ओवैसी के बयानों की श्रंखला काफी लंबी है। हाल ही में उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी को कोई पाकिस्तानी नहीं कहता है, जबकि मुझे पिछले कई सालों से पाकिस्तानी कहा जाता है, मैं इसकी शिकायत किस से करूं। साथ ही ओवैसी ने ये भी कहा कि भारत हिंदी, हिंदू और हिन्दुस्तान के आधार पर शासित नहीं किया जा सकता है.जलीकुट्टू के दौरान भी ओवैसी ने विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि सभी मुसलमानों को इसी तरह से एकजुट हो कर अपने हक की मांग करनी चाहिए। कुल मिलाकर ओवैसी इस बार हरे रंग के लप्रभाव और असर को बढ़ाना चाहते हैं, जाहिर है कि उनके बयान से हिंदू संगठनों को जरूर मिर्ची लगेगी, जो भारत को हिंदू देश कहते रहे हैं।