राहुल गांधी धर्मसंकट में, अमेठी छोड़ेंगे तो भगोड़े कहलाएंगे, लड़ेंगे तो हारने का खतरा

अगले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अमेठी से लड़ेंगे या फिर राय बरेली से, दोनों ही जगहों के अपने फायदे और नुकसान हैं, ये फैसला कांग्रेस की दिशा तय करेगा।

New Delhi, Dec 23: कांग्रेस के लिए कुछ अच्छी खबरें तो आई हैं, लेकिन ये उतनी अच्छी नहीं है जिनसे भविष्य की इमारत तैयार की जा सके, खास बात ये है कि ये खबरें कांग्रेस से ज्यादा यूपीए के सहयोगी दलों के लिए अच्छी हैं। गुजरात में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन उसके कई कारण हैं, ऐसे में सवाल ये है कि गुजरात की हार को नैतिक जीत मानने वाले कांग्रेस के नेता 2019 में राहुल के किले को कैसे बचा पाएंगे, बात अमेठी की हो रही है, जहां से राहुल लोकसभा सांसद हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल को बीजेपी की स्मृति ईरानी ने जोरदार टक्कर दी थी, राहुल की जीत का अंतर काफी कम हो गया था, अब राहुल कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, क्या वो अमेठी से चुनाव लड़ेंगे या फिर राय बरेली को चुनेंगे।

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ये चर्चा इसलिए शुरू हुई है क्योंकि सोनिया गांधी ने राजनीति से सन्यास लेने की बात कही है, अगर वो सन्यास ले लेती हैं तो राय बरेली की सीट खाली हो जाएगी, अमेटी के मुकाबले राय बरेली अभी तक कांग्रेस के लिए अभेद है, यहां से कांग्रेस का कोई भी कैंडिडेट खड़ा हो जाए वो जीत सकता है, लेकिन अमेठी के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता है। दरअसल राहुल अपने नए अवतार में अभी आए हैं, जबकि अमेटी से वो कई सालों से सांसद हैं, वीआईपी सीट होने के बाद भी अमेठी विकास के मामले में बहुत पिछड़ा हुआ है। कांग्रेस की सरकार रहने के बाद भी अमेठी की जनता विकास के लिए तरसती रही है। अब हालात बदल रहे हैं। कांग्रेस को उसी के किले में चुनौती मिल रही है। दरवाजा तो पिछली बार ही खुल गया था, इस बार किले के ढहने की आशंका जताई जा रही है।

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पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि वो चुनाव हार गई थी, लेकिन उन्होंने कांग्रेस की नींद एक बार के लिए उड़ा दी थी। हार के बाद भी ईरानी लगातार अमेठी का दौरा करती रही, वो अमेठी के लोगों से मिलती रहीं, खास तौर पर महिलाओं का उनको जोरदार समर्थन मिल रहा है। वहीं चुनाव जीतने के बाद भी राहुल अमेठी को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं दिखाई देते हैं। बीजेपी लगातार कह रही है कि राहुल ने अमेठी के लिए कुछ नहीं किया, विकास के मुद्दे पर राहुल अमेठी में मात खा जाएंगे. ऐसे में सवाल ये है कि क्या राहुल अमेठी को छोड़कर अपनी मां की सीट राय बरेली से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे।

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सोनिया गांधी सन्यास ले लेती हैं तो राय बरेली की सीट खाली हो जाएगी, अमेठी में लगातार कड़े हो रह7े मुकाबले को देखते हुए कहा जा रहा है कि राहुल गांधी अगले लोकसभा चुनाव में राय बरेली से चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन ऐसा करने के दो नुकसान हैं, एक तो जनता में संदेश जाएगा कि हार के डर से राहुल ने अपनी सीट बदली है, दूसरा ये भी स्थापित हो जाएगा कि राहुल और कांग्रेस ने अमेठी में विकास के नाम पर कुछ नहीं किया है। अगर राहुल राय बरेली से लड़ते हैं तो बीजेपी को मौका मिल जाएगा उन पर हमला करने का, राहुल पर भगोड़े का टैग लगा दिया जाएगा। इस से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर सकता है। ऐसे में ये साफ है कि राहुल अमेठी की सीट नहीं छोड़ेंगे, भले ही उनको कितनी भी कड़ी टक्कर मिले।