लालू यादव दोषी करार, विपक्ष में सन्नाटा, टूजी का जिन्न भी मरा नहीं है

चारा घोटाले के एक अन्य मामले में लालू यादव दोषी करार दिए गए हैं, इस फैसले से विपक्ष परेशान है, इसका स्वागत करे तो दिक्कत खिलाफत करे तो दिक्कत

New Delhi, Dec 24: लालू यादव को एक बार फिर से झटका लगा है, जिस घोटाले ने उनके राजनीतिक करियर को लगभग खत्म कर दिया था, वो उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है। चारा घोटाले में लालू दोषी करार हुए तो इसके कई मायने निकाले जा सकते हैं, देश की राजनीति पर इसका साफ असर पड़ेगा, विपक्ष की एकजुटता और भावी गठबंधन प्रभावित होगा, सबसे ज्यादा तो खैर लालू परिवार प्रभावित होगा, आरजेडी के भविष्य को लेकर अभी से अटकलें लगाई जा रही हैं, बता दें कि अभी लालू पर चारा घोटाले में 6 मामले और चल रहे हैं, उन पर भी जल्द ही फैसला आ सकता है। ऐसे में सवाल ये है कि ये महज संयोग है या फिर कुछ और, पिछले तीन दिन के अंदर देश की अदालतों के तीन फैसलों ने विपक्ष को हतप्रभ कर दिया है।

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सबसे पहले टूजी घोटाले में ए राजा और कनिमोझी को बरी किया गया, जिस घोटाले के कारण यूपीए की सरकार को जनता ने नकारा था, उसी घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने ए राजा और कनिमोझी को बरी कर दिया, इस फैसले को विपक्ष ने सराहा और कहा कि देश में काून का राज है, सीबीआई ने झूठे केस में फंसाने की साजिश की थी। उसके बाद आदर्श घोटाले में महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण पर केस चलाने की इजाजत के राज्यपाल के फैसले को कोर्ट ने खारिज किया। इस पर भी विपक्ष खुश हुआ और मोदी सरकार पर हमला बोल दिया, इन दोनों ही मामलों को लेकर विपक्ष काफी खुश था, इसे सत्य और कानून व्यवस्था की जीत बता रहा था।

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इन दोनों फैसलों के बाद लालू यादव को भी उम्मीद जगने लगी थी कि वो भी बरी हो जाएंगे, फैसला आने से पहले उन्होंने कहा था कि जिस तरह से टूजी में ए राजा बरी हुए हैं वो भी बरी हो सकते हैं। लेकिन रांची की सीबीआई कोर्ट ने लालू को झटका देते हुए उनको दोषी करार दिया। इस फैसले को लेकर विपक्ष के नेताओं में सन्नाटा है, केवल आरजेडी के नेता ही लगातार बयान दे रहे हैं। आरजेडी का कहना है कि ये बीजेपी की साजिश है, वो गरीबों और पिछड़ों के नेता को परेशान कर रही है। सवाल ये है कि कल तक जो विपक्ष टूजी और आदर्श मामले में कोर्ट के फैसले से खुशी मना रहा था, वो अब लालू यादव के दोषी करार होने पर बयान तक क्यों नहीं दे रहा है।

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दरअसल लालू के दोषी होने से विपक्ष की एकता पर जंग लग गई है। लालू कांग्रेस के करीबी नेता हैं, बिहार में कांग्रेस के साथ गठबंधन है, यूपीए सरकार में भी वो शामिल थे, चारा घोटाले के दोषी लालू के साथ क्या कांग्रेस के नए अध्यक्ष राहुल गांधी कोई सियासी संभावना देखते हैं, जिस तरह की राजनीति फिलहाल राहुल कर रहे हैं उस में लालू की कोई भूमिका नहीं दिखाई दे रही है। भ्रष्टाचार के दोषी के साथ कौन दिखाई देना चाहेगा। इसलिए ही कहा जा रहा है कि क्या ये केवल संयोग है कि तीन दिन में अदालतों के तीन फैसलों से विपक्ष पस्त हो गया है, अपनी ही चाल में विपक्ष फंस रहा है, वो कोर्ट के दो फैसलों को सही कह रहा है लेकिन लालू के फैसले को गलत कहने का मतलब ये होगा कि जब आपके हक में फैसला ना आए तो वो गलत और जब आए तो वो सही। यही कारण है कि विपक्ष को समझ नहीं आ रहा है कि वो किस तरह से इस पर प्रतिक्रिया दे।