2019 में मोदी के समर्थन में सियासी हवा बदल देगा ट्रिपल तलाक के खिलाफ बनने वाला कानून
मोदी सरकार ट्रिपल तलाक के खिलाफ बिल संसद में पेश कर चुकी है। माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में इसका बड़ा फायदा मिलेगा।
New Delhi Dec 29 : मुस्लिम महिलाओं को अपने जिस हक का बरसों से इंतजार था अब वो खत्म हो चुका है। आजादी के बाद शायद मोदी सरकार ही देश की पहली ऐसी सरकार रही होगी जिसने खुलकर ट्रिपल तलाक की मुखालफत की। नहीं तो बाकी सियासी दलों ने तो मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक ही समझ रखा था। सालों से बीजेपी विरोधी दल मुसलमानों को इस पार्टी का डर दिखाकर वोट हासिल करते रहे हैं। लेकिन, अब समीकरण बदलते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। मुस्लिम मतदाता जागरुक हो चुका है। उसे भी विकास की दरकार है। उसे भी अब ये पता चल चुका है कि अब तक वो सिर्फ इस्तेमाल ही होता रहा है। अगर इस समीकरण को भी अलग कर दें तो भी 2019 में मुसलमान मोदी के पाले में खड़े दिखाई दे रहे हैं। खासतौर पर मुस्लिम महिलाएं।
दरसअल, मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ अपना जो रवैया दिखाया है और अपना जो स्टैंड रखा है उसने मुस्लिम महिलाओं का दिल जीत लिया है। इससे अब मुस्लिम समुदाय ट्रिपल तलाक को लेकर सीधे-सीधे दो धड़ों में बंट गया है। एक धड़ा वो है जो ट्रिपल तलाक का समर्थन करता है। जबकि दूसरे धड़े में शामिल लोग इसके विरोध में हैं। ऐसे लोगों की पहचान कट्टरपंथी के तौर पर भी की जा सकती है। जो कहते हैं कि किसी को भी मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड में दखल देने का अधिकार नहीं है। ये वो लोग तो पहले भी बीजेपी को पसंद नहीं करते थे और आज भी नहीं करते हैं। यकीन मानिए इस सूरत में लगता भी नहीं है कि भविष्य में ये लोग कभी मोदी के कामों के मुरीद होंगे। लेकिन, दूसरा धड़ा 2019 में बीजेपी के साथ खड़ा नजर आ सकता है।
अगर ऐसा होता है तो यकीनन 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी की जीत और आसान हो जाएगी। जबकि विपक्ष की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। क्योंकि इतिहास गवाह रहा है कि जब जब मुस्लिम वोटों का बंटवारा हुआ है इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला है। अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को ही देख लीजिए। यहां पर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में भी बीजेपी को अच्छे खासे वोट मिले। हालांकि मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर बीजेपी की जीत पर मायावती सरीखे नेताओं ने हैरानी जताते हुए वहीं ईवीएम में गड़बड़ी का घिसापिटा आरोप लगाया था। जबकि असल गड़बड़ी नेताओं की सोच में हैं। जरा सोचिए दशकों से मुस्लिम महिलाओं पर ट्रिपल तलाक के नाम पर अत्याचार होता रहा है लेकिन, किसी ने इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई।
अब जब बीजेपी तलाक-ए-बिद्दत के खिलाफ कानून बनाने जा रही है तो सभी के होश उड़े हैं। ओवैसी सरीखे नेताओं को लगता है कि इससे पुरुषों के मूल अधिकारों का हनन होगा। जबकि कईयों को इस बात पर आपत्ति है कि इसे आपराधिक क्यों माना जा रहा है। किसी भी गैर कानूनी काम को अपराध की श्रेणी में क्यों नहीं रखा जाएगा। जाहिर है कि इस बिल का पूरा फायदा बीजेपी को आज भी मिलेगा और उस वक्त भी मिलेगा जब देश में लोकसभा के चुनाव होंगे। मुस्लिम तबके में बीजेपी के फायदे का मतलब साफ है कि विपक्ष को इसका नुकसान उठाना होगा। लेकिन, ये सब होगा। जाहिर है इस कानून को लेकर मुस्लिम समुदाय की महिलाएं ताउम्र मोदी को याद करेंगी। उनका हक जो उन्हें मिल रहा है।