उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का ये सुझाव सभी को मानना चाहिए
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अंग्रेजों के समय से चली आ रही एक परंपरा को खत्म करने की वकालत की है, उनका सुझाव हर सांसद को मानना चाहिए।
New Delhi, Dec 30: सत्ता परिवर्तन के साथ कुछ नई चीजें आती हैं, ये केवल सत्ता ही नहीं बल्कि हर परिवर्तन के साथ होता है। समय के साथ बदलाव जरूरी है, भारतीय लोकतंत्र में भी ये बात लागू होती है, अंग्रेजों से आजादी मिले हमें काफी समय हो गया है, उसके बाद भी आज तक कई ऐसे काम हैं जो अंग्रेजों के समय से चले आ रहे हैं, जैसे वो सभी के अंदर रच बस गया हो, अदालतों में जजों को मी लॉर्ड कहना, संसद में कोई भी पेपर सदन के पटल पर रखने से पहले आई बेग टू ले द पेपर्स कहना, उसी के उदाहरण हैं, ये गुलामी की याद दिलाते हैं, संसदीय कार्यप्रणाली में अभी भी बहुत से ऐसे वाक्य हैं जो अंग्रेजों के समय से चले आ रहे हैं। ऐसे में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने एक सुझाव दिया है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को संसद में इस तरह के वाक्यों से परेशानी होती है, उन्होंने सांसदों से इस परंपरा को बदलने के लिए कहा है। उन्होंने संसद सदस्यों से कहा कि सदन में पेपर रखने के लिए निवेदन करने की कोई जरूरत नहीं है। इस तरह की शब्दावली का प्रयोग ठीक नहीं है। इसके बजाय आपको सीधे कहना चाहिए कि सदन के पटल पर कागजात रख रहे हैं। शीतकालीन सत्र की शुरूआत में नायडू ने ये बात कही थी। उन्होंने खास तौर पर बेग शब्द पर जोर दिया था। नायडू ने कहा था कि बेग करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी मंत्रियों और सांसदों को अंग्रेजी दौर की मानसिकता से उबरना होगा। आई बेग टू ले का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
दरअसल उपराष्ट्रपति के कहने के बाद भी ये सब जारी रहा, कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने सदन में दस्तावेज रखते हुए कहा कि बेग शब्द का इस्तेमाल किया, इस पर वेंकैया नायडू ने कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है, इसकी जगह आप आई राइज टू प्रेजेंट द पेपर्स लिस्टेड अगेंस्ट माई नेम का भी प्रयोग कर सकते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि वो निवेदन ना करें, जो भी कहना है वो सीधे कहें। नायडू ने कहा कि जब उन्होंने इस बारे में बात की थी तो शायद चौधरी सदन में मौजूद नहीं थे। नायडू ने इसके बाद जो कहा वो दिल खुश कर देने वाला है। उन्होंने कहा कि वो कोई आदेश नहीं दे रहे हैं। इसे एक सुझाव की तरह लिया जाए।
बता दें कि 15 दिसंबर के बाद किसी भी सदस्य या फिर मंत्री ने इस शभ्द का प्रयोग नहीं किया। जब पीपी चौधरी ने बेग शब्द का इस्तेमाल किया तो नायडू ने कहा कि भारत आजाद है, इस तरह के शब्दों का प्रयोग ना करें। इसकी जगह आई रेज टू ले ऑन द टेबल का ही प्रयोग करें। संसद में किसी को भी ये विनती करने की जरूरत नहीं है, हम आजाद भारत में रहते हैं। इतना कहने के बाद उपराष्ट्रपति ने ये भी साफ किया कि ये केवल एक सुझाव है, इसे आदेश की तरह लेने की जरूरत नहीं है। उपराष्ट्रपति ने अपने सुझान के जरिए साफ कर दिया कि अंग्रेजी मानसिकता से बाहर निकलने का समय आ गया है। अंग्रेजों के समय से चली आ रही परंपराओं को खत्म करने का समय आ गया है।